एक बार फिर बेटी ने भारत का गौरव बढ़ाया है। विश्व जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर भारत की हिमा दास ने इतिहास रच दिया। आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप के महिला 400 मीटर फाइनल में स्वर्ण पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला एथलीट बन गई हैं, लेकिन हिमा के लिए उपलब्धि आसान नहीं थी, शुरुआत में पिछड़ने के बाद आखिरी पलों में उन्होंने गोल्डन रेस पूरी की।
चैथे नंबर की लेन में दौड़ रहीं हिमा दास अंतिम मोड़ के बाद रोमानिया की आंद्रिया मिकलोस से पिछड़ रही थीं लेकिन आखिरी के कुछ पलों में उन्होंने काफी तेजी दिखाते हुए बाकी धावकों को पीछे छोड़ दिया। 18 साल की हिमा ने 51.46 सेकेंड में रेस पूरी की। रोमानिया की आंद्रिया मिकलोस ने 52.07 सेकेंड के साथ सिल्वर मेडल और अमेरिका की टेलर मेनसन ने 52.28 सेकेंड के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता।
रेस में आधे से ज्यादा वक्त तक हिमा 4 धावकों से पीछे थीं लेकिन जैसे-जैसे वो फिनिश लाइन के करीब आ रही थीं उन्होंने अपने कदमों को और तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया। रेस खत्म होने से पहले हिमा ने सभी धावकों को पीछे छोड़ दिया। हिमा ने आखिरी के 100 मीटर में काफी तेजी दिखाई और स्वर्णिम इतिहास रच दिया। हालांकि वह 51.13 सेकेंड के अपने निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से पीछे रह गईं। हिमा दास से पहले भारत की किसी भी महिला ने विश्व चैंपियनशिप के किसी भी स्तर पर स्वर्ण पदक नहीं जीता था। वह विश्व स्तर पर ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भारत के लिए इससे पहले 2002 में सीमा पूनिया चक्का फेंक में ब्रॉन्ज और 2014 में नवजीत कौर ढिल्लों चक्का फेंक में ही ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं।
असम की हिमा दास ने रेस के बाद कहा, ‘विश्व जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर मैं काफी खुश हूं। मैं स्वदेश में सभी भारतीयों को धन्यवाद देना चाहती हूं और उन्हें भी जो यहां मेरी हौसलाअफजाई कर रहे थे।’ हिमा की उपलब्धि पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई दिग्गज हस्तियों ने उन्हें बधाई भी दी है।
हिमा दास ने फिनलैंड के टेम्पेरे में अंडर-20 चैंपियनशिप की महिलाओं की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीत कर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करवा लिया है। हिमा ने राटिना स्टेडियम में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए ये बड़ी जीत हासिल की।
स्थानीय कोच ने सलाह दी थी कि उन्हें एथलेटिक्स में अपना करियर बनाना चाहिए जिसके बाद उन्होंने किस्मत आजमाने की सोची और आज वह शीर्ष एथलीटों की कतार में खड़ी हैं। हिमा मौजूदा अंडर 20 सत्र में सर्वश्रेष्ठ समय निकालने के कारण खिताब की प्रबल दावेदार थी। हिमा के हुनर को देखते हुए कोच ने उन्हें अपने गांव से 140 किलोमीटर दूर गुवाहाटी में शिफ्ट होने के लिए कहा ताकि वह अपने एथलेटिक्स में ज्यादा फोकस कर सके, लेकिन हिमा के माता-पिता अपने 6 बच्चों में से सबसे छोटी बेटी को अकेला किसी के पास छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए। बाद में कोच ने उनके परिवार को राजी कर लिया, जिसके बाद हिमा दास को उनके कोच ने ट्रेनिंग देनी शुरू की और बहुत जल्द ही हिमा बेहतरीन स्पीड पकड़ने में सफल हो गईं। हिमा के कोच निपॉन ने हिमा के लिए सरसाजई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के पास एक किराए पर रहने वाले घर में रहने की व्यवस्था की, जिसके बाद उन्होंने हिमा के लिए अधिकारियों से राज्य अकादमी में शामिल होने के लिए रिक्वेस्ट की जो मुक्केबाजी और फुटबॉल में मशहूर था। वहीं एथलेटिक्स के लिए कोई अलग विंग नहीं था लेकिन हिमा के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें अकादमी का हिस्सा बना लिया गया। जैसे ही हिमा ने ये दौड़ जीतकर इतिहास रचा उन्होंने अपने कोच का ही शुक्रिया सबसे पहले किया। निपॉन शुरू से ही हिमा को गाइड करते आए हैं। निपॉन ने कहा- मैं हमेशा हिमा को कहता था कि बड़े सपने के बारे में सोचो क्योंकि कुछ ही लोगों को भगवान के द्वारा मिली हुई ये बेहतरीन प्रतिभा नसीब होती है। (हिफी)