अभी कुछ दिन पहले गुजरात में कांग्रेस के एक यूथविंग के नेता ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाय बेचने वाला दिखाते हुए कार्टून डाल दिया था। उस कार्टून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इंग्लैण्ड की प्रधानमंत्री थेरेसा मे को बैठे हुए दिखाया गया। श्री मोदी अंग्रेजी के शब्द का गलत उच्चारण करते हैं तो डोनाल्ड ट्रम्प उसे सुधारते हैं और इस पर थेरेसा मे कहती हैं तू चाय बेच। इस कार्टून ने पूरी कांग्रेस पार्टी को शर्मिन्दा किया। कार्टून डालने वाले पर क्या कार्रवाई हुई, यह महत्वपूर्ण नहीं रह गया बल्कि गुजरात विधान सभा चुनाव में इसे भुनाया जा रहा है। लोकसभा चुनाव 2014 में इसी प्रकार का बयान देकर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस को डुबो दिया था। इससे यह भी पता चलता है कि राजनीतिक दलों में अब नियंत्रण नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। बिहार में जद(यू) के साथ सरकार चला रही भाजपा के एक नेता का बयान भी इसी तरह के अनियंत्रण का सबूत है। भाजपा ने कहा है कि उस नेता के खिलाफ अनुशासन की कार्रवाई की जाएगी लेकिन इस समस्या को जड़ मूल से समाप्त करने की कोशिश क्यों नहीं की जाती? इस प्रकार के मामले सामने आने पर राजनीतिक दल पहले तो डिफेन्ड करते हैं और कई उदाहरण देकर यह बताने का प्रयास करते हैं कि उससे पूर्व भी कई लोगों ने ऐसा ही किया है। वे इस बात का जवाब नहीं दे पाते कि पहले ऐसी गलती हो चुकी है तो क्या उसे एक परम्परा मान लिया जाए।
बिहार में बेशर्मी भरे आरोप लगाने की परम्परा ज्यादा मजबूत हो गयी है। लगभग डेढ़ दशक तक शासन करने वाले लालू यादव के बारे में तो यही कहा जाता था कि मसखरे पन में वे कुछ भी बोल सकते हैं। उनकी बातों को हंसी-मजाक समझ कर टाल भी दिया जाता था लेकिन भाजपा जैसी गंभीर पार्टी में भी कुछ नेता ऊल-जलूल बोलने लगे हैं। हिन्दुत्व वादी बयानो के लिए कुछ नेता अलग हैं लेकिन उनसे इतर भी एक वर्ग तैयार हो रहा है। भाजपा की केन्द्र के साथ 18 राज्यों में सरकार है, इसलिए उसके नेता जब अनियंत्रित होकर बयानबाजी करते हैं तब उसको नोटिस में भी लिया जाता है। बिहार में भाजपा के एक नेता ने 24 नवम्बर को बयान दिया कि राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेज प्रताप यादव को जो कोई थप्पड़ मारेगा, उसे एक करोड़ रूपये दिये जाएंगे। इस प्रकार का बयान देने वाले पटना जिले में भाजपा के मीडिया प्रभारी अनिल साहनी हैं। अनिल साहनी ने इस प्रकार का बयान अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के विरोध में दिया। सुशील मोदी पर आपत्ति जनक बयान तेज प्रताप यादव ने दिया था। बिहार की भाजपा इकाई ने हालाकि पार्टी को अनिल साहनी के बयान से अलग कर दिया और साहनी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात भी कही है लेकिन यह गलत परंपरा हैं। अनिल साहनी इस बात से गुस्सा हैं कि तीन दिसम्बर को सुशील मोदी के लड़के की शादी के दिन तेज प्रताप यादव ने घर में घुसकर मारपीट करने की धमकी भी दी। वह कहते हैं कि हम यादव को उन्हीं की भाषा में जवाब देना चाहते हैं। मजे की बात यह है कि तेज प्रताप ने इस प्रकार का बयान ही दिया था। राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजद नेता तेज प्रताप यादव ने औरंगाबाद में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि सुशील मोदी ने घर पर फोन कर बेटे उत्कर्ष मोदी की शादी का निमंत्रण दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी शादी में हम लोगों को बुलाकर बेइज्जत करना चाहते है। तेज प्रताप ने आगे कहा कि हम मोदी के बेटे उत्कर्ष की शादी में जाएंगे तो वहीं जनता के बीच में पोल खोल देंगे। लड़ाई चल रही है, हम नहीं मानेंगे। हम वहां भी राजनीति करेंगे। गरीब-गुरबा को जो छला है, उसके घर में घुसकर मारेंगे मैं रूकने वाला नहीं हूं। अगर वह शादी में बुलाएगा, तो वहीं सभा कर देंगे। वह अतिथियों के सामने बेइज्जत होगा। इस प्रकार तेज प्रताप अपने अंदाज में कहते रहे। उन्होंने खुद को अलग तरह का आदमी बताते हुए कहा – मैं जज्बाती हूं, लालू यादव की तरह मुंह पर बोलने वाला आदमी हूं। जो दिल में रहता है, वही जुबान पर रहता है। मैं न किसी से डरता हूं और न किसी के सामने झुकता हूं।
इस प्रकार तेज प्रताप यादव बोलते रहे। उन्होंने जो भी कहा वह सभ्य समाज की भाषा नहीं है। शादी-व्याह जैसे सामाजिक कार्यों में एक-दूसरे को बुलाया ही जाता है और राजनीतिक विरोधी होते हुए भी लोग जाते हैं। तेज प्रताप की बात को किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता लेकिन उसके जवाब में भाजपा के नेता भी इस तरह से बोलने लगेंगे तो भाजपा और राजद में फिर अंतर ही क्या रह जाएगा। चिंता की बात यह कि इस प्रकार की अनियंत्रित राजनीति पूरे देश में फैल रही है, इस पर नियंत्रण की जरूरत है। (हिफी)