आर्थिक प्रतिद्वन्द्विता में जिस देश के निर्यात का पलड़ा आयात की तुलना में भाड़ी पड़ता है, व्यापार संतुलन उसी के पक्ष में माना जाता है। अभी हमारे देश का व्यापार संतुलन आयात के पक्ष में ज्यादा है। चीन, जापान आदि देश हमसे खरीदते कम हैं और बेचते ज्यादा हैं। इसीलिए मोदी की सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है। सबसे ज्यादा संभावना कृषि क्षेत्र में है। हमारे देश के फल एवं सब्जी की मांग विदेशों में बहुत ज्यादा है। इसी प्रकार टेक्सटाइल के क्षेत्र में भी निर्यात की संभावनाएं तलाश करने के लिए पिछले दिनों समीक्षा बैठक की गयी। इससे किसानों और टेक्सटाइल उद्यमों में बहुत उत्साह दिखाई पड़ रहा है। टेक्सटाइल व कृषि क्षेत्र के निर्यातक संगठनों ने विदेश व्यापार नीति की मध्यकालिक समीक्षा का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार के उपायों से इन क्षेत्रों का निर्यात बढ़ेगा। इन क्षेत्रों में ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत होती है, ऐसे में रोजगार सृजन भी तेज होगा। कॉटन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (टेक्सप्रोसिल) के चेयरमैन उज्ज्वल लोहाटी ने कहा कि मध्यकालिक समीक्षा निर्यात को बढ़ावा देने वाली है। हमें खुशी हैं कि सरकार ने जीएसटी लागू होने के बाद निर्यातकों के सामने उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए उपायों की जरूरत समझी और अनुपालन का बोझ कम करने के लिए कदम उठाये।
मध्यकालिक समीक्षा के बाद जारी संशोधित विदेश व्यापार नीति में रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों को मर्केडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआइएस) के तहत प्रोत्साहन राशि दो फीसद बढ़ाकर चार फीसद की गई है। इससे निर्यातकों को करीब 8450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय मदद मिलेगी। इससे निर्यातकों को खासी राहत मिलेगी क्योंकि वे निर्यात कारोबार करने में काफी परेशानी महसूस कर रहे थे। लोहाटी ने कहा कि सरकार के इस कदम से समूचे निर्यात खासकर टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि एमईआइएस के तहत जारी ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स (एक तरह की पर्ची) की वैधता 18 माह से बढ़ाकर 24 माह किये जाने से निर्यातक उनका बेहतर इस्तेमाल कर सकेंगे। निर्यात रणनीति पर लोहाटी ने कहा कि नीति में अफ्रीका और लैटिन अमेरिका को नये बाजार के तौर पर तलाशने का फोकस होगा। इन बाजारों में भारतीय टेक्सटाइल निर्यात बढ़ाने के लिए प्रयास किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि स्कीम में खासतौर पर टेक्निकल टेक्सटाइल उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। टेक्निकल टेक्सटाइल में आमतौर पर औद्योगिक क्षेत्रों और दूसरे विशेष स्थानों पर पहने जाने वाले कपड़े व अन्य उत्पाद शामिल होते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस स्कीम में कॉटन यार्न के निर्यात को लाभ नहीं मिलेगा। दूसरी ओर कृषि उपजों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार के उपायों पर रुचि सोया इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर व सीईओ दिनेश सहरा ने कहा कि कृषि व संबंधित क्षेत्र के लिए वित्तीय मदद की राशि 1354 करोड़ रुपये बढ़ाये जाने से निर्यात तेज होगा और इसका लाभ किसानों समेत सभी वर्गो को मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह अच्छा बदलाव दिखाई दिया है कि सरकार एग्रो-प्रोसेसिंग क्षेत्र से निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रही है। इस क्षेत्र की क्षमताओं का इस्तेमाल नहीं हो पाया है। हमें उम्मीद है कि इस उद्योग को दीर्घकालिक दिशा देने के लिए नई कृषि निर्यात नीति तैयार की जाएगी। (हिफी)