संजोग वॉल्टर. 1947 सरहद के उस पार से बहुत से लोग एक नए मुल्क में आये और सिनेमा को अपनाया। ऐसे ही दो लोग थे सुधीर उर्फ भगवान दास मूलचंद लुथरिया और मैक मोहन। सुधीर की पहली फिल्म कौन सी थी पता नहीं. 1961 में आई उम्र कैद में नाज़िमा के साथ थे। Suno ji ek baat । 1962 में बिमल रॉय की प्रेम पत्र और उसके बाद हकीकत ने उनको घर घर पहुंचाया। बतौर हीरो अपना करियर शुरू की बाद में सह नायक फिर विलेन के रोल करने वाले सुधीर जीवन के अंतिम पड़ाव में भी अकेले थे। उन्होंने शादी नहीं की। मुंबई के अंधेरी में इनका एक बंगला भी है। झेलम में वो सुनील दत्त के जूनियर थे कालेज के दिनों में।1970 के दशक में उनका नाम मॉडल शीला रॉय के साथ जुड़ा था। सुधीर फेफडों में इंफेक्शन के कारण मुंबई में 10 मई 2014 क़ो इस दुनिया को अलविदा कह गए । वह अपने जिंदगी के आखिरी दिनों में अकेले थे क्योंकि उन्होंने शादी नहीं की थी। सुधीर काफी दिनों से ही बीमार चल रहे थे। हरे रामा हरे कृष्णा,खोटे सिक्के,सलाखें सत्ते पे सत्ता, बादशाह उनकी खास फ़िल्में थी सुधीर ने लगभग 200 फिल्मों में किया था।
सुधीर के खास दोस्त हुआ करते थे माकीजाणी मोहनजिन्हें आमतौर मैक मोहन के नाम से जाना जाता था पर उनकी पहचान थी सांभा। सुधीर और मैक मोहन पहली फिल्म हक़ीकत 1964 के सेट पर मिले सुधीर इस फिल्म का अहम हिस्सा थे और होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा ज़हर चुपके से दवां जान के खाया होगा यह अमर गीत सुधीर के हिस्से में था।
मैक मोहन चेतन आंनद के सहायक थे। मैक मोहन 24 अप्रैल 1938 को करांची में पैदा हुए 218 फिल्मों में उन्होंने काम किया।शर्त मोर्चा ईमान धर्म ‘ज़ंजीर’, ‘डॉन’, ‘शान’ रफू चक्कर चलते चलते क़र्ज़। मैक मोहन आये तो थे किर्केटर बनने सहायक निर्देशक के साथ वो फिल्मों में विलन की भूमिका में आते थे.उड़िया,मराठी ,पंजाबी ,गुजराती,हरयाणवी फिल्मों के अलावा इंग्लिश,रशियन,स्पेनिश भाषाओँ में बनी फिल्मों में भी उन्होंने काम किया। उनकी आखिरी फिल्म थी अतिथि तुन तुम कब जाओगे।
मैक मोहन ने सुनील दत्त के साथ कुछ वक्त लखनऊ में भी गुज़ारा। दत्त साहब उन दिनों लखनऊ की गन्ने वाली गली के मकान न. 102 में रहते थे तब उनका नाम अख्तर था। सिर्फ मकान हासिल करने के लिए बलराज अख्तर बने थे।मैक मोहन की शादी 1986 में हुई थी दो बेटियां और एक बेटा है। 10 मई 2010 को फेकड़े के कैंसर की वज़ह से मुंबई में उनका निधन हो गया और उनके दोस्त सुधीर ने 10 मई 2014 को इस दुनिया को अलविदा कहा।