लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा की उत्तर प्रदेश में तैयारियां चल रही थीं। इसी के तहत पहले सदस्यता अभियान चलाया गया। श्री मोदीने आनलाइन पार्टी की सदस्यता की शुरूआत की थी। इसके बाद प्रदेश में भाजपा के सदस्य बनाए गये। इस प्रकार पार्टी का संगठनात्मक ढांचा खड़ा हो गया। प्रदेश में भाजपा के दो करोड़ से ज्यादा सदस्य बन गये। इसके बाद भाजपा ने चुनाव तैयारी के लिए कैडर बनाये और अलग-अलग सम्मेलन होने लगे युवाओं का अलग कैडर बना था और विधान सभा चुनाव होने से पहले ही युवाओं के 88 सम्मेलन किये गये।
भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में उल्लेखनीय सफलता दिलाने में जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ईमानदार और हाजिर जवाबी चेहरा काम आया वहीं युवाओं का जोश और संघ के इशारे पर बनायी गयी रणनीति ने भी पार्टी के प्रति मतदाताओं का रूझान बढ़ा दिया। उत्तर प्रदेश में भाजपा के रणनीतिकार पर्दे के पीछे से काम कर रहे थे। इनमें श्री ओम माथुर, सुनील बंसल और अरूण सिंह जैसे नेताओं को किसी भी सूरत में नजरंदाज नहीं किया जा सकता।
दूसरी तरफ युवा वर्ग ने भाजपा को प्रदेश में सरकार बनाने का संकल्प ले रखा था। पार्टी ने भी इस भावना को अच्छी तरह समझा और प्रदेश की 17वीं विधान सभा में 68 विधायक ऐसे हैं जिनकी उम्र 40 से कम है। इनमें सबसे ज्यादा विधायक भाजपा के
ही है।
विधान सभा चुनावों के नतीजे मिलने के बाद सभी राजनीतिक दल समीक्षा कर रहे हैं। पराजित होने वाले दल तो इधर-उधर के बहाने भी ढूंढ रहे हैं लेकिन भाजपा को आगे की रणनीति पर काम करना है और उत्तर प्रदेश का फार्मूला ही इसी साल नवम्बर में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनाव में अजमाया जाना है। इन दोनों राज्यों में अभी से तैयारियां शुरू हो गयी हैं। उत्तर प्रदेश में भी भाजपा ने जिस प्रचण्ड बहुमत से इस बार विधान सभा का चुनाव जीता हैं, उसकी तैयारी लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद शुरू कर दी गयी थी। सांसदों समेत हर छोटे-बड़े कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौप ही गयी थी। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसदों को गांव गोद लेने की योजना भी इसी रणनीति के तहत बनायी थी। इसके अलावा भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान जो लोग रूठ गये थे, उनको भी मनाने का अभियान चलाया था। कई ऐसे कार्यक्रम बनाये गये जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा गया। भाजपा ने संचार क्रांति के जरिए ऐसा मानीटरिंग सिस्टम खड़ा किया कि पार्टी को बूथ स्तर तक की संगठनात्मक जानकारी प्रदेश मुख्यालय पर सीधे हो रही थी। इस कार्य में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) भी जीजान से लगा था। संघ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, (एवीबीपी) के युवा कार्यकर्ताओं को लगा रखा था और प्रदेश में चुनाव की घोषणा होते ही जब भाजपा ने प्रत्याशी तय किये तो कौन प्रत्याशी किस गांव में नहीं पहुंच रहा है, इसकी जानकारी यही युवा कार्यकर्ता प्रदेश मुख्यालय तक पहुंचाते थे। इतना ही नहीं एवीबीपी के युवा कार्यकर्ता प्रत्याशी से सीधे बात भी करते थे और कहते थे कि आप वहां क्यों नहीं गये। इसकी कमान प्रदेश के संगठन मंत्री और संध के नेता सुनील बंसल संभाल रहे थे। लखनऊ में भाजपा के प्रदेश कार्यालय में ऊपरी तल पर वाररूम बनाया गया था। इसी वार रूम में श्री सुनील बंसल बैठकर सभी कार्यो की मानीटरिंग कर रहे थे। प्रत्याशियों को भी ऊपर से निर्देश मिले थे कि इस वाररूम से आपको जो निर्देश दिये जाएं, उन पर अमल करना होगा।
लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा की उत्तर प्रदेश में तैयारियां चल रही थीं। इसी के तहत पहले सदस्यता अभियान चलाया गया। श्री मोदीने आनलाइन पार्टी की सदस्यता की शुरूआत की थी। इसके बाद प्रदेश में भाजपा के सदस्य बनाए गये। इस प्रकार पार्टी का संगठनात्मक ढांचा खड़ा हो गया। प्रदेश में भाजपा के दो करोड़ से ज्यादा सदस्य बन गये। इसके बाद भाजपा ने चुनाव तैयारी के लिए कैडर बनाये और अलग-अलग सम्मेलन होने लगे युवाओं का अलग कैडर बना था और विधान सभा चुनाव होने से पहले ही युवाओं के 88 सम्मेलन किये गये। प्रदेश में वोटरों के लिहाज से सबसे बड़ा वर्ग पिछड़ों का है। समाजवादी पार्टी इसी वर्ग को अपने पक्ष में करके सरकार बनाती आ रही है। आरक्षण के तहत विश्वनाथ प्रताप सिंह ने भी इस वर्ग को अपने साथ लाने का प्रयास किया था लेकिन इसका फायदा बिहार में लालू यादव और उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव ने ही भरपूर उठाया। भाजपा की नजर इस वर्ग पर थी और प्रदेश में सबसे ज्यादा पिछड़ा वर्ग सम्मेलन किये। भाजपा ने प्रदेश में २०० से अधिक पिछड़ा वर्ग सम्मेलन आयोजित किये। केशवप्रसाद मौर्य को प्रदेश भाजपा की बागडोर भी इसी रणनीति के तहत सौपी गयी। बसपा को छोड़कर आये स्वामी प्रसाद मौर्य को भी भाजपा ने पिछड़े वर्ग का आधार बढ़ाने के लिए अपने साथ रखा। भाजपा ने दलितों को भी अपने साथ जोड़ा और 18 स्वाभिमान सम्मेलनों से दलितों को एहसास दिलाया कि भाजपा सभी वर्गो का ध्यान रखती है। इसी के तहत दलितों के साथ भोजन का विशेष कार्यक्रम रखा गया। रविदास जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनायी गयी। बौद्ध सम्मेलन किये गये इस तरह भाजपा ने विभिन्न वर्गो से १५ लाख प्रभावी कार्यकर्ता तैयार कर लिये।
भाजपा ने महिलाओं, किसानों और व्यापारियों से भी लगातार संवाद बनाये रखा। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने ४२८ स्थानों पर उड़ान कार्यक्रम आयोजित किये। इन कार्यक्रमों में २ लाख महिलाओं से केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सीधा संवाद किया। भाजपा ने किसानों के बीच भी केन्द्र सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों को पहुंचाने का प्रयास किया। इसके बाद चुनाव के समय संकल्प पत्र में किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गयीं। छोटे और सीमांत किसानों की कर्ज माफी तथा बुंदेल खण्ड और पूर्वांचल के लिए अलग से विकास आयोग बनाने की घोषणा करके किसानों को कमल का बटन दबाने के लिए मजबूर कर दिया। इसी प्रकार भाजपा ने सुश्री मायावती के दलित वर्ग में सेंध लगा ली। भाजपा का ब्यापारी वर्ग पहले से समर्थक रहा है। बाद में समाजवादी पार्टी ने व्यापारियों को तोड़ लिया था। इस बात को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष विनीत शारदा व अन्य व्यापारी नेताओं को अपने साथ करके १४ मण्डलों में धुंआधार व्यापारी सम्मेलन किये। इस प्रकार प्रदेश का व्यापारी वर्ग एक बार फिर भाजपा के पक्ष में एकजुट हो गया।
इसबार भाजपा के साथ युवाओं का जोश था। प्रदेश में भी सबसे ज्यादा युवा विधायक भाजपा के ही है। भाजपा के 50 विधायक ऐसे हैं जो 40 से कम उम्र के हैं। अतरौली से भाजपा के दिग्गज नेता कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह की उम्र सिर्फ २६ वर्ष है और वह पहली बार विधान सभा पहुंचे है। इसी प्रकार विसोली विधान सभा क्षेत्र से कुशाग्र सिंह भी 25 वर्ष के हैं और भाजपा विधायक बन गये है। बिजनौर से शुचि 27 साल की हैं, भाजपा की विधायक बनीं। बढ़ापुर से भाजपा के टिकट पर 28 वर्षीय सुशांत कुमार ने विजय हासिल की हैं। तिंदवारी से बृजेश प्रजापति 31 साल के हैं और भाजपा विधायक बने हैं। गोण्डा और उतरौला से क्रमश: श्री प्रतीक सिंह व राम प्रताप भी 32 व 33 उम्र के है। हमीरपुर से मनीषा 35 और जगदीश पुर से सुरेश कुमार 35 वर्ष ने विधायक बनने का सौभाग्य पाया। भाजपा ने मतदान के प्रत्येक चरण में बहुमत पाया। पहले चरण में ही भाजपा को 73 में से 68 सीटें मिल गयीं। दूसरे चरण में 67 में 50 सीटें मिलीं। तीसरे चरण में 69 सीटों में 56 , चौथे चरण में 53 सीटों में 41 , पांचवें चरण में 52 सीटों में 44 , छठे चरण में 49 सीटों में 33 और सातवें चरण में जब श्री मोदी ने तीन दिन वाराणसी में ही
प्रवास किया था, तब 40 सीटों में 25 सीटें मिलीं। यह सपा और बसपा का गढ़ माना जाता था। भाजपा की और संघ की कुशल रणनीति के चलते पार्टी को प्रचण्ड बहुमत से प्रदेश में सरकार बनाने का अवसर मिला है। (हिफी)