एजेंसी लखनऊ:- पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने शुक्रवार को अपने पुुराने सहयोगी का दामन थामते हुए समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली। साथ ही पूर्व समाजवादी और बेसिक शिक्षा मंत्री रहे किरण पाल सिंह ने भी सपा ज्वाइन किया। किरणपाल पश्चिम यूपी के जाट नेता जातेे हैं। वे सपा छोड़ कर लोकदल में शामिल हुए थे, लेकिन शुक्रवार को उन्होंने वापसी सपा में कर ली ।
श्री वर्मा ने कहा- मैं दो सपोकेशन में था, इस समय मेरे पास कोई काम नहीं था। श्रीमती सोनिया गांधी -राहुल गांधी का आभार उन्होंने मुझे सम्मान दिया, लेकिन कांग्रेसी कल्चर में मैं अपने को एडजेस्ट नहीं कर पा रहा था। चुनाव में खुद को अखिलेश के विरोध के लिये किसी भी स्थिति में तैयार नहीं हूं।
इस मौकेे पर श्र्री आजम खां ने कहा ये शुभ घड़ी है जब समाजवादी पार्टी बनी थी और इनमे जो जिंदा बचे है उनमें हम और नेता जी जिंदा हैं। श्र्री आजम ने कहा कि बेनी के खिलाफ नेताजी ने कभी कुछ नहीं कहा। मैं नेता जी का हाथ मल के अपनी जायज मांगे मनवा लेता हूं। श्री वर्मा के शामिल होने से नेता जी खुश और हम भी खुश और जनता भी खुश। बेनी के सपा में शामिल होने से एक बड़ा संदेश जायेगा पूरा प्रदेश में आप आये बहार आई।
साथ ही श्र्री आजम ने कहा कि प्रोफेसर किरणपाल बहुत पुराने साथी हैं, शरीफ हैं कभी-कभी शराफत में खता हो जाती है। और उसकी सजा भी कड़ी होती है। आपकी वापसी हमे खुशी देगी। कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी की ओर से उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई और राज्यसभा का टिकट ऑफर किया गया। जानकारों की मानें तो समाजवादी पार्टी 2017 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। वह यादवों का भला वाली इमेज को छोड़ना चाहती है, इसीलिए अलग-अलग जाति के लोगों को राज्यसभा का टिकट दिया जा सकता है। जानकारों की माने तो बेनी प्रसाद वर्मा को सपा मे लाने का मुख्य कारण कुर्मी वोट है। सूत्रों के मुताबिक उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है। इसका एक बड़ा कारण कुर्मी वोट बैंक भी है। जिस तरह से बिहार में नीतीश कुमार ने कुर्मी वोट बैंक को अपने पक्ष में कर लिया, ऐसा ही कुछ मुलायम सिंह यादव की पार्टी उत्तर प्रदेश में करना चाहती है। इसके अलावा पार्टी किसी एक ब्राहम्ण चेहरे को भी राज्यसभा का टिकट दे सकती है।
पुराने समाजवादी नेता हैं बेनी प्रसाद वर्मा-
– बेनी प्रसाद वर्मा संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार 1974 में बारांबकी के दरियाबाद से विधानसभा चुनाव लड़े और जीते।
-मुलायम सिंह यादव के साथ चौधरी चरण सिंह के संरक्षण में अपनी पहचान मजबूत और जुझारू नेता के रूप में बनाई।
-संयुक्त मोर्चा सरकार में मुलायम सिंह रक्षा मंत्री बने और बेनी प्रसाद वर्मा संचार मंत्री थे।
-बाद में मुलायम सिंह यादव के साथ दूरी बन गई। 2007 में सपा से अलग होकर समाजवादी क्रांति दल नामक पार्टी बनाई।
2009 से कांग्रेस के साथ:-
-अगले विधानसभा चुनाव में वह और उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवार हार गए।
-राजनीतिक रूप से खुद को अप्रासंगिकता होने से बचाने के लिए 2009 में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से जुड़े।
-बताया जाता है कि खुद राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी से जोड़ा था। वह बेनी के सहारे यूपी कांग्रेस में जान फूंकना चाहते थे।
-2009 के लोकसभा चुनाव में गोंडा सीट से एमपी बने। पहले राज्यमंत्री और बाद में केंद्रीय मंत्री बने।।