स्व[निल संसार।लखनऊ: नाट्य लेखक और निर्देशक मुद्राराक्षस का सोमवार को यहां लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया। 83 साल के साहित्यकार कई बीमारियों से ग्रस्त थे। दोपहर को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उनका निधन हो गया।
मुद्राराक्षस ने 10 से ज्यादा नाटक, 12 उपन्यास, पांच कहानी संग्रह, तीन व्यंग्य संग्रह, तीन इतिहास किताबें और पांच आलोचना सम्बन्धी पुस्तकें लिखी हैं। इसके अलावा उन्होंने 20 से ज्यादा नाटकों का निर्देशन भी किया। उन्होंने ज्ञानोदय और अनुव्रत जैसी तमाम प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।
मुद्राराक्षस अकेले ऐसे लेखक हैं, जिनके सामाजिक सरोकारों के लिए उन्हें जन संगठनों द्वारा सिक्कों से तोलकर सम्मानित किया गया। विश्व शूद्र महासभा द्वारा ‘शूद्राचार्य’ और अंबेडकर महासभा द्वारा उन्हें ‘दलित रत्न’ की उपाधियाँ प्रदान की गईं।
मुद्राराक्षस के साहित्य का अंग्रेजी सहित दूसरी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। मुद्राराक्षस का जन्म 21 जून,1933 में लखनऊ के पास बेहटा गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम सुहास वर्मा था। उन्होंने 1950 के आसपास से लिखना शुरू किया था। कहानी, उपन्यास, कविता, आलोचना, पत्रकारिता, संपादन, नाट्य लेखन, मंचन, निर्देशन जैसी विधाओं में उन्होंने सृजन कार्य किया।