स्वप्निल संसार। दारा सिंह रंधावा का जन्म: 19 नवम्बर, 1928, को पंजाब में हुआ था वे अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान रहे हैं। उन्होंने 1959 में विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्को को कामनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। साठ के दशक में पूरे भारत में उनकी फ्री स्टाइल कुश्तियों का बोलबाला रहा। बाद में उन्होंने अपने समय की मशहूर अदाकारा मुमताज के साथ स्टंट फ़िल्मों में प्रवेश किया और कई फिल्मों के अभिनेता निर्देशक एवं निर्माता भी रहे। उन्हें टी० वी० धारावाहिक रामायण में हनुमानजी के अभिनय से अपार लोकप्रियता मिली जिसके परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सभा की सदस्यता भी प्रदान की ।
दारा सिंह की की मर्जी के बगैर कम आयु में ही बहुत बड़ी लड़की से शादी कर दी। माँ ने इस उद्देश्य से कि पट्ठा जल्दी जवान हो जाये उसे 100 बादाम की गिरियों खांड और मक्खन में कूट कर खिलाना और ऊपर से भैंस का दूध पिलाना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि सत्रह साल की नाबालिग उम्र में ही दारा सिंह बेटे के बाप बन गये। दारा सिंह का एक छोटा भाई सरदारा सिंह भी था जिसे लोग रंधावा के नाम से ही जानते थे। दारा सिंह और रंधावा – दोनों ने मिलकर पहलवानी करनी शुरू कर दी और धीरे-धीरे गाँव के दंगलों से लेकर शहरों में कुश्तियाँ जीतकर अपने गाँव का नाम रोशन करना प्रारम्भ किया। 1947 में दारा सिंह सिंगापुर आ गये। वहाँ रहते हुए उन्होंने भारतीय स्टाइल की कुश्ती में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को पराजित कर कुआलालंपुर में मलेशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप जीती। उसके बाद उनका विजय रथ अन्य देशों की चल पड़ा और एक पेशेवर पहलवान के रूप में सभी देशों में अपनी धाक जमाकर वे 1952 में भारत लौट आये। भारत आकर 1954 में वे भारतीय कुश्ती चैम्पियन बने। उसके बाद उन्होंने कामनवेल्थ देशों का दौरा किया और विश्व चैम्पियन किंगकांग को परास्त कर दिया। बाद में उन्हें कनाडा और न्यूजीलैण्ड के पहलवानों से खुली चुनौती मिली। अन्ततः उन्होंने.कलकत्ता में हुई कामनवेल्थ कुश्ती चैम्पियनशिप में कनाडा के चैम्पियन जार्ज गार्डीयांका एवं न्यूजीलैण्ड के जान डिसिल्वा को धूल चटाकर यह चैम्पियनशिप भी अपने नाम कर ली। यह 1959.की घटना है। दारा सिंह ने उन सभी देशों का एक-एक करके दौरा किया जहाँ फ्रीस्टाइल कुश्तियाँ लड़ी जाती थीं। आखिरकार अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को 29 मई 1968 को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये। 1983 में उन्होंने अपराजित पहलवान के रूप में कुश्ती से सन्यास ले लिया। जिन दिनों दारा सिंह पहलवानी के क्षेत्र में अपार लोकप्रियता प्राप्त कर चुके उन्हीं दिनों उन्होंने अपनी पसन्द से दूसरा और असली विवाह एक एम० ए० पास लड़की जिसका नाम सुरजीत कौर है, से किया। आज दारा सिंह के भरे-पूरे परिवार में तीन बेटियाँ और दो बेटे हैं । 1952 में उन्होंने फिल्मों में प्रवेश किया आपकी आखिरी फिल्म थी 2007 में रिलीज़ जब वी मैट.दारा सिंह की 16 फिल्मों की नायिका थी मुमताज़ प्रमुख फिल्में 2007 जब वी मैट 2002 शरारत 2001 फ़र्ज़ 2000 दुल्हन हम ले जायेंगे 1999 ज़ुल्मी 1999 दिल्लगी 1997 लव कुश 1995 राम शस्त्र 1994 करन 1992 प्रेम दीवाने 1991 धर्म संकट 1991 अज़ूबा 1989 घराना 1988 5 फौलादी 1988 महावीरा 1986 कृष्णा-कृष्णा , कर्मा 1985 मर्द 1981 खेल मुकद्दर का 1978 भक्ति में शक्ति 1978 नालायक 1976 जय बजरंग बली 1975 वारंट , धरम करम ,1974 दुख भंजन तेरा नाम , कुँवारा बाप ,1973 मेरा दोस्त मेरा धर्म 1970 मेरा नाम जोकर , आनन्द ,1965 सिकन्दर-ए-आज़म , लुटेरा ,1962 किंग कौंग .1955 पहली झलक ,1952 संगदिल, बतौर निर्देशक 1978 भक्ति में शक्ति , 1973 मेरा दोस्त मेरा धर्म।