भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय जिनका जन्म और मृत्यु की सालगिरह एक ही दिन(1 जुलाई)पर पड़ती है, को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. उन्होंने 4 फ़रवरी 1961 को भारत रत्न प्राप्त किया. डॉक्टर दिवस हमारे दैनिक जीवन में डॉक्टर की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने एवं एक अवसर है जब सेवा में समर्पित लाखों डॉक्टरों को सम्मान देने का एक मौका है|भगवान के बाद डॉक्टरों का ही स्थान माना गया है। क्योंकि किसी भी दुर्घटना या बीमारी से परेशान होने पर डॉक्टर ही हमारी सहायता करते हैं।
डॉक्टर्स डे पर एक चिट्ठी मरीजों के नाम…
दरअसल इन दिनों हम डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि कई बार मरीज बेहतरीन इलाज मिलने के बावजूद भड़क जाते हैं और हमें या हॉस्पिटल को नुकसान भी पहुंचा देते हैं। ऐसा हाल के वर्षों में कई जगह देखने को मिला है। ऐसी खबरें आपने भी अखबारों या टीवी पर पढ़ी या देखी होंगी। दरअसल एक डॉक्टर के रूप में हमारा प्रयास मरीजों के हित में सर्वश्रेष्ठ कार्य करना होता है, लेकिन कई बार लाख कोशिश के बावजूद हम सफल नहीं हो पाते। कई बार हमें निराशा का सामना भी करना पड़ता है, पछतावा भी होता है कि हम चाहते हुए भी मरीज के लिए कुछ नहीं कर पाए, क्योंकि सब चीजें हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं। कई बार किस्मत साथ नहीं देती। ऐसे में मरीजों से हमारा विनम्र अनुरोध है कि वह हम पर भरोसा रखें। उनके भरोसे के बल पर हमें अपना बेस्ट देने में मदद मिलती है।
तेजी से भागती दुनिया, जिसका तेजी से व्यवसायीकरण भी हो रहा है, उसमें हम डॉक्टरों के लिए भी यह जरूरी है कि हम अपनी सत्यनिष्ठा को बनाए रखें और अपनी शिक्षा, कौशल और विशेषज्ञता का उपयोग गरीब से भी गरीब की मदद करने और जरूरतमंदों को बचाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए करें। हमारे लिए यह अहम है कि मरीज के प्रति समग्र दृष्टिकोण को कभी भी न भूलें, क्योंकि चिकित्सा ही एक ऐसा पेशा है जो अभी भी सबसे नेक और मानवीय दृष्टिकोण वाला है।
वास्तव में डॉक्टर्स-डे की शुरुआत उन लोगों को सम्मान देने के लिए हुई थी, जो निःस्वार्थ भाव से लोगों का जीवन बचाने के लिए सेवा कर रहे हैं और उनके लिए भी जो रोगियों का उपचार करने के कार्य में लगे हुए हैं। एक डॉक्टर के रूप में हमारे लिए यह दिन अपने शिक्षकों, सहकर्मियों और विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित करने और उन मरीजों के लिए कामना करने का है, जिनका हम उपचार कर रहे हैं।
आमतौर पर हम डॉक्टर अपने दैनिक जीवन में जो भूमिकाएं निभाते हैं, उनमें चिकित्सीय, प्रशासनिक और शोध संबंधी कार्य शामिल होते हैं। साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हो रहे नए-नए अनुसंधानों के कारण एक डॉक्टर को अपने नॉलेज और मेडिकल संबंधी जानकारी को समय-समय पर अपडेट करते रहना होता है और उसका उपयोग आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के अनुरूप मरीजों के हित में करना होता है।
यदि हमारे मरीज भी हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर चलें और जितना हो सके आधुनिक जानकारी हासिल करने की कोशिश करें, तो उन्हें इस पेशे को समझने और बेहतर इलाज हासिल करने में मदद मिलेगी, क्योंकि ऐसे में वह उपयुक्त विशेषज्ञ के पास जाएंगे और सही इलाज पाने के बाद खुशी-खुशी लौटेंगे।
सेवा, संतोष, विनम्रता, सहानुभूति और नॉलेज, यह सब मिलकर हमारे प्रोफेशन को परिपूर्ण और अहम बनाते हैं। हालांकि मनुष्य होने के नाते हमारी भी सीमाएं होती हैं, जिसकी वजह से करियर में कई बार हमें चुनौतियों और निराशा से भी जूझना पड़ता है। आज जैसे अहम दिन पर हमें यह सोचना चाहिए कि हम कितना बेहतर कर सकते हैं। एक अच्छा डॉक्टर वही है जो हमेशा मरीजों के हित में सोचता है और उनके हित के लिए ही कार्य करता है।
चूंकि यह दिन पूरे देश में उल्लास, गर्व और कृतज्ञता के भाव से मनाया जाता है, इसलिए हमें मतभेदों को भूलकर एकता की कामना करते हुए एक साथ काम करना चाहिए और अपने देश के लोगों को स्वस्थ बनाए रखने में योगदान देते हुए देश को बेहतर, खुशहाल और निरोगी कल की ओर ले जाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए…जाहिर है मरीजों के सहयोग और विश्वास के बिना ऐसा करना संभव नहीं होगा…
– डॉ. विनीत रात्रा और डॉ. शरन्या अब्राहम, नवसूजा शंकर नेत्रालय, चेन्नई में सीनियर डॉक्टर हैं.