नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति के सबसे बड़े शोमैन हैं-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर शो की स्क्रिप्ट बेहद चुस्त और टाइमिंग सटीक तो होती ही है, इसमें दर्शक वर्ग की सुविधा का भी पूरा ख्याल रखा जाता है
नीलेश द्विवेदी
शोमैन शब्द अब तक देश में राज कपूर और सुभाष घई जैसे फिल्मकारों के लिए ही इस्तेमाल होता रहा है. राज कपूर को तो आज तक भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा शोमैन माना जाता है क्योंकि उनके लिए उनकी फिल्में उनका ज़ुनून थीं. इस हद तक कि उन्होंने ‘मेरा नाम जोकर’ बनाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. गिरवी रख दिया था. वे देश ही नहीं यहां से बाहर के दर्शकवर्ग को भी ध्यान में रखकर फिल्में बनाते थे. इसीलिए विदेश में भी उनके प्रशंसक ख़ासी तादाद में आज भी मौज़ूद हैं. फिल्मों के ज़रिए दर्शकों को कोई न कोई बड़ा संदेश देने की भी उनकी कोशिश हमेशा रहती थी.पिछले कुछ समय से शोमैन नाम का यह शब्द फिल्मी दुनिया से निकलकर राजनीति में भी दाखिल हुआ है. इन दिनों यह कई बार उस हस्ती के लिए इस्तेमाल हो रहा है जिसने हाल के समय में राजनेता और जनता के बीच संवाद के तरीके का कायापलट कर दिया है. बल्कि कइयों का मानना है कि इस शख्स को भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा शोमैन कहा जाए तो भी ग़लत नहीं होगा. बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाे रही है जो आज 66 साल के हो रहे हैं.आज की तारीख़ में नरेंद्र मोदी का आकलन ऐसे राजनेता के रूप में किया जाता है जो छोटी चीज में भी बड़े राजनीतिक निहितार्थ ढूंढ लेता है. और अगर चीजें बड़ी हों तो नरेंद्र मोदी राजनीतिक फायदे का दायरा उससे भी बड़ा बना लेते हैं. राजनेता हैं इसलिए हर घटना से राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करते हैं. और ज़रूरी नहीं कि यह संदेश देश की सीमाओं के भीतर से ही दिया जाए. विदेश के मंचाें का भी वे इसके लिए बख़ूबी इस्तेमाल करते हैं. शायद यही वज़ह है कि आज देश से बाहर उनका भी बड़ा प्रशंसक वर्ग तैयार हो चुका है. वे भी बड़े दांव खेलने का जोखिम लेते हैं. लेकिन इतने नपे-तुले तरीके से कि अब तक तो उन्हें कोई ख़ास नुकसान हुआ नहीं दिखता. अपने टारगेट ऑडिएंस यानी भारतीय मतदाताओं तक पहुंचने के लिए वे सभी माध्यमों का इस्तेमाल करते हैं. वह भी सटीक टाइमिंग के साथ.
शोमैन मोदी के मेगा शो का सिलसिला 2 साल से लगातार चल रहा है और आगे भी चलने वाला है.जैसा कि पहले जिक्र हुआ, यह फेहरिस्त पांच पर ही खत्म नहीं होती बल्कि इससे कहीं ज्यादा लंबी और लंबी होती जाती है. कभी किसी महापुरुष की पुण्यतिथि तो कभी जयंती. कभी जनधन और उज्जवला जैसी योजनाओं की राष्ट्रव्यापी लॉन्चिंग तो कभी योग दिवस जैसे आयोजन. स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी सरकारी पहल और इनके बीच-बीच में विदेश यात्राअों पर मेडिसन स्क्वायर जैसे शो.जानकार मानते हैं कि ‘शोमैन मोदी’ के हर शो की स्क्रिप्ट बेहद चुस्त होती है और टाइमिंग सटीक. अगर ये शो देश में हैं ताे अमूमन शनिवार, रविवार या अन्य सरकारी छुटि्टयों के दिन आयोजित किए जाते हैं. विदेश में हैं तो कुछ ऐसे समय कि भारतीय टेलीविजन चैनलों के प्राइम टाइम पर उन्हें जगह मिले. यानी दर्शक वर्ग की सुविधा का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. ताकि वे आराम से इस तरह के जलसों से दो-चार हों. और तसल्ली से इन पर अपनी राय कायम करें.मई 2014 में केंद्र सत्ता संभालने के चार महीने बाद सितंबर से ही अमेरिका के मेडिसन स्क्वायर से शोमैन मोदी के मेगा शो का सिलसिला शुरू हुआ था. तब से यह अनवरत चल रहा है. अपने जन्मदिन पर रविवार को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गुजरात में ही सरदार सरोवर बांध राष्ट्र को समर्पित करने का जलसा इस श्रृंखला की ताज़ा कड़ी है. और पूरा यकीन रखा जा सकता है कि जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं उनकी शोमैनशिप में अागे भी इसी तरह एक के बाद एक कई और कड़ियां जुड़ती जाएंगी.