वी शांताराम को उनकी फिल्मों के लिए आज भी याद किया जाता है और उन्होंने अपने जीवन के लगभग 50 साल फिल्म जगत को दिए. उन्हें फिल्म जगत का पितामह भी कहा जाता है. वी शांताराम का जन्म: 18 नवंबर 1901, कोल्हापुर में हुआ था. उन्होंने 1927 में अपनी पहली फिल्म डायरेक्ट की थी. इस फिल्म का नाम ‘नेताजी पालकर’ है.
वह केवल डायरेक्टर ही नहीं बल्कि, एक्टर, एडिटर और फिल्म प्रोड्यूसर हर काम में माहिर थे. वह कई प्रतिभाओं में माहिर थे और उन्होंने फिल्म निर्माण की नई शैली को विकसित किया. उन्हें सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर अर्थपूर्ण फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है. उन्हें उनकी फिल्म ‘डॉ. कोटनिस की अमर कहानी’ (1946), ‘अमर भोपाली’ (1951), ‘झनक झनक पायल बाजे’ (1955), ‘दो आंखें बारह हाथ’ (1957), ‘नवरंग’ (1959) और ‘पिंजरा’ (1972) के लिए जाना जाता है.
वी शांताराम ने अभिनेता के तौर पर लगभग 25 फिल्मों में काम किया है. इनमें ‘सवकारी पाश’, ‘परछाईं’, ‘दो आंखें बारह हाथ’, ‘स्त्री’ और ‘सिंहगड़’ फिल्में शामिल हैं. उन्होंने लगभग 92 फिल्में प्रोड्यूस की और लगभग 55 फिल्मों में निर्देशक के तौर पर काम किया है. इनमें ‘नेताजी पालकर’, ‘चंद्रसेना’, ‘अमर ज्योति’ और ‘झनक झनक पायल बाजे’ फिल्मों का नाम शामिल हैं.
शांतराम को फिल्मों में उनके द्वारा किए गए नए प्रयोगों के लिए जाना जाता है. उन्होंने 1933 में पहली रंगीन हिंदी फिल्म बनाई थी. वहीं, हिंदी फिल्मों में मूवींग शॉट्स और ट्रोली का भी सबसे पहले उन्होंने ही इस्तेमाल किया था. साथ ही एनिमेशन का प्रयोग भी उन्होंने ही शुरू किया था. भारत में फिल्मों के लिए सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फालके पुरस्कार और पद्म विभूषण से सम्मानित वी शांताराम ने 88 साल की उम्र में 30 अक्तूबर 1990,ने बम्बई अब मुम्बई में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.