रिहाई मंच ने अखिलेश यादव को पत्र लिख कर रिहा हुए बेगुनाहों के खिलाफ अपील में जाने पर उठाया सवाल
लखनऊ। रिहाई मंच ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र भेजकर आतंकवाद के नाम पर अदालती प्रक्रिया द्वारा रिहा हुए बेकसूरों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर करने पर सवाल किया।
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने बताया कि रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव द्वारा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजे पत्र में कहा गया है कि 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय समाजवादी पार्टी द्वारा चुनाव घोषणा पत्र में मुसलमानों से यह वादा किया गया था कि आतंकवाद के नाम पर जेलों में कैद बेकसूर मुस्लिम नौजवानों को पार्टी की सरकार बनने पर रिहा किया जाएगा। 31 अगस्त 2013 को आरडी निमेष एकल सदस्यीय जांच कमीशन की रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अच्छा अवसर प्राप्त हुआ था कि आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नवजवानों को फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों की निशानदेही करके उनके खिलाफ कार्यवाई करते और उस रिपोर्ट के सहारे निर्दोष बंदियों को रिहा करते। लेकिन ऐसा न करके उन्होंने वादा खिलाफी की। यहां तक कि अखिलेश यादव द्वारा खालिद मुजाहिद की मृत्यु के बाद दिया गया बयान यह जाहिर करता है कि वह भी खालिद मुजाहिद के कत्ल के दोषी हैं क्योंकि जिस मौत का कारण पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों की टीम बता पाने में असमर्थ रही उसे उन्होंने प्राकृतिक मौत बताकर कातिलों को प्रश्रय दिया।
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि जलालुद्दीन, नौशाद, मोहम्मद अली अकबर हुसैन, नूरइस्लाम मंडल, शेख मुख्तार हुसैन और अजीजुर्ररहमान जिस अपराध संख्या 281 से 285 थाना कैसरबाग लखनऊ तथा मुकदमा अपराध संख्या 281/2007 थाना मोहनलालगंज, लखनऊ क्रमशः सत्र परीक्षण संख्या 159 से 163 सन 2007 तथा 854/2009 में माननीय न्यायालय द्वारा पारित दोषमुक्ति के निर्णय दिनांक 29 अक्टूबर 2015 के विरुद्ध सरकार ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ पीठ में 29 फरवरी 2016 को अपील दायर कर दिया उससे समाजवादी पार्टी तथा सरकार की मंशा उजागर हुई। सपा द्वारा किए गए वादे के मुताबिक रिहा हुए युवकों का पुर्नवास किया जाना आवश्यक था किन्तु ऐसा न करके उन्हें पुनः दंडित कराने का प्रयास किया गया है।
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने बताया कि रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब से अखिलेश यादव ने एक मुलाकात में और उत्तर प्रदेश के अपर महाधिवक्ता श्री जफरयाब जीलानी ने वादा किया था कि ’लीव टू अपील’ वापस लेकर सम्बंधित युवकों को राहत दिलाएंगे। सपा विधायक आलमबदी व कुछ मंत्रियों ने मीडिया में भी बयान देकर कहा था कि सरकार मुकदमा वापस लेगी। फिर भी ऐसा न करके पुनः जानबूझ कर अपील को माननीय उच्च न्यायालय में 8 नवंबर 2016 को मंजूर कराया और 10 दिसंबर 2016 को उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करवा कर उन्हें पुनः नारकीय जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर किया है। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच में विचाराधीन क्रिमिनल अपील संख्या 1815 सन 2016 को वापस न लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपना वादा नहीं निभाया।