के.एन.सिंह(कृष्ण नारायण सिंह ) का जन्म 01 सितम्बर 1908 को देहरादून (यूपी) में हुआ था, 31 जनवरी 2000 को इस फानी दुनिया को अलविदा कह गये,फिल्मों में आने से पहले, के.एन.सिंह देहरादून में वकालत किया करते थे हिंदी सिनेमा में उनकी शुरुआत सुनहरा संसार (1936) से हुई थी. के.एन.सिंह का फ़िल्मी सफर नाम दो हिस्सों में एक आज़ादी से दुसरा आज़ादी के बाद आजादी से पहले वो विलेन नहीं थे आज़ादी के बाद वो विलेन बने उस दौर के सबसे स्टायलिश विलेन थे,बेहतरीन सूट,सर पर हैट और पाइप पीते और एक खास अंदाज़ में साँस उपर खीच कर बोलते के.एन.सिंह ने विलेन को जेंटिलविलेन बना दिया अक्सर वो माफिया डान के किरदार में नजर आते थे लगभग 60 साल तक 200 फिल्मों में काम किया हिन्दुस्तानी सिनेमा में काम किया.
बीते ज़माने की चरित्र अभिनेत्री परवीन पौल से के.एन.सिंह ने शादी की थी.के.एन.सिंह ने हर तरह के किरदारों को जिया एक बार उन्होंने ललिता पवार के इतना ज़ोरदार थप्पड़ रसीद किया था की वो फिल्म सेट पर गिर पडी थी उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था और उम्र भर ललिता पवार को यह थप्पड़ याद रहा..इस हादसे के बाद उनका खौफ कई हेरोइन के मन में समाया था,इस हादसे ने ललिता पवार की एक आंख को लगभग बंद कर दिया था जिसका असर ललिता पवार पर उम्र भर रहा,के.एन.सिंह अपने कैरियर के दौरान कभी किसी विवाद में नहीं पड़े जैसा भी रोल मिला कर लिया,उन दिनों मेहनताना कम मिलता था,के.एन.सिंह के साथ भी यही हुआ उन्हें भी आख़िरी वक्त में मुफलिसी का सामना करना पडा था.के.एन.सिंह ने कई फिल्मों में अपनी आँखों का बेहतरीन इस्तेमाल किया, के.एन.सिंह के खानदान में सभी लोग वकील थे उनके पापा चाहते थे वो लन्दन जाकर आगे की पढाई करे पर के.एन.सिंह नहीं माने उन्होंने ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर जंगली जानवरों को पकड़ कर उन्हें बेचने का काम शुरू किया जो कामयाब नहीं हुआ इस नाकामयाबी के बाद वो लखनऊ आ गये और यहाँ स्नोवाईट के नाम से लांड्री खोल दी और यही उनकी मुलाकात अभिनेता पहाडी सान्याल से हो गयी और इसी दौरान उनकी के.एल.सहगल से हुई जो उन दिनों रेमिंगटन टाइप राइटर कम्पनी के लिए काम करते थे और लखनऊ आते जाते रहते थे लखनऊ में लांड्री के काम में घाटा खाने के बाद के.एन.सिंह रूडकी चले गये वहां एक स्कूल खोल दिया,वो भी नहीं कामयाब हुआ.1935 में अपनी बहन के इलाज़ के लिए वो कलकत्ता पहुंचे जहाँ उन्हें पहाडी सान्याल और के.एल.सहगल से किस्मत ने एक बार फिर मिला दिया.और एक दिन उनकी मुलाकात पृथ्वीराज कपूर से हो गयी पृथ्वीराज कपूर गयी ने देवकी बोस से मुलाक़ात करवा दी यही बस यही चाहते थे के.एन.सिंह ,हिंदी सिनेमा के उस क्लासिक दौर में विलेन की इमेज को ही बदल डाला था उन्होंने पर इस दुनिया की तरह फ़िल्मी दुनिया में होता आया है उनके साथ इन्साफ नहीं हुआ जब वो हीरो के रोल करते तब और विलन बने बाद में वो चरित्र अभिनेता भी बने.
आजादी से पहले
1936 सुनहरा संसार, करोड़पति,Bandit Of The Air ,1937 मुक्ती,विद्यापति,मिलाप ,1938 बागबान,निराला हिन्दुस्तान,सितारा.1939 ठोकर, आप की मर्जी,कौन किसका, पति पत्नी,सितारा 1940 अपनी नगरिया, सौभाग्याप्ती 1941 सिकंदर 1942 एक रात,फिर मिलेंगे स्वामिनाथ 1943 भक्त रैदास, इशारा, प्रार्थना, शहंशाह अकबर 1944 जवार भाटा,महारथी करन, द्रौपदी, पत्थरों का सौदागर 1945 हुमायुँ,लैला मजनू, मजदूर Ratnavali-1946 रंगभूमि, धरती के लाल, Room No. 9.
आज़ादी के बाद
1947 चलते चलते,परवाना,पहला प्यार, पहली पहचान, ज़ंजीर, ज़िन्दगी 1949 बरसात,पारस,सिंगार1950 बांवरा,बड़ी बहन,हमारी बेटी, हिंदुस्तान हमारा, निर्दोष 1951 आवारा,बाजी,हलचल,सागर,सनम,सज़ा,सौदागर, 1952 आँधियाँ,दोराहा,आबरू,इंसान,परबत,घुंघरू,हंगामा,जाल 1953 अरमान,बाज़,शहंशाह,शिकस्त,झांजर 1954 बादशांह,संगम,अंगारे, एहसान 1955 बड़े सरकार,हाउस नं 44, मरीन ड्राइव, मिलाप 1956 सीआईडी,फंटूश, इंस्पेक्टर 1957 हिल स्टेशन,मेरा सलाम,उस्ताद 1958 चलती का नाम गाडी,चन्दन,चौबीस घंटे,डिटेक्टिव, हावड़ा ब्रिज,कभी अंधेरा कभी उजाला,1959 बैंक मेनेजर,फोर्टी डेज, काली टोपी लाल रुमाल 1960 बरसात की रात,छबीली,गैम्बलर, मंजिल,महलों के ख्वाब,सिंगापुर 1961 डार्क स्ट्रीट,ओपेरा हाउस,पासपोर्ट,रेशमी रुमाल, सपने सुहाने,सेनापति 1962 नकली नवाब,राज़ की बात, सूरत और सीरत,वल्लाह क्या बात हैं 1963 शिकारी 1964 दूल्हा दुल्हन, वो कौन थी 1965 बॉम्बे रेस कॉर्स, एक साल पहले, फरार, राका, रुस्तम-ए -हिंद 1966 आम्रपाली, मेरा साया, तीसरी मंजिल 1967 ऐन इविनिंग इन पेरिस, जोहर इन बॉम्बे, रात और दिन1968 दिल और मोहब्बत, एक फूल एक भूल,मेरे हुजूर,स्पाइ इन रोम 1969 ज़िगरी दोस्त,शर्त, शिमला रोड 1970 दीदार,एहसान, हिम्मत,पगला कहीं का, सुहाना सफर 1971 रेशमा और शेरा, दुश्मन, हाथी मेरे साथी,हम तुम और वो, जाने -अनजाने, प्यार की कहानी 1972 मेरे जीवन साथी,1973 दामन और आग, हंसते जख्म, कीमत, कच्चे धागे लोफर 1974 बढ़ती का नाम दाढ़ी, मजबूर, सगीना, वचन 1975 काला सोना, प्रेम कहानी, कैद, रफू चक्कर 1976 अदालत, हरफन मौला 1977 साहेब बहादुर 1979 गुरू हो जा शुरु 1980 दो प्रेमी, दोस्ताना, जादू टोना 1981 कालिया,प्रोफेसर,प्यारेलाल श्रद्धान्जली 1982 एजन्ट विनोद, तेरी माँग सितारों से भर दू 1987 वो दिन आएगा 1992 लाट साहब-SANJOG WALTER