वंचित तबको के पक्ष के आवाज़ उठाने और उन्हें आवाज़ देने वाले स्वयंसेवी संगठन पर भाजपा की केंद्र सरकार काफी नाराज़ है. इस तरह की कई संस्थाये पिछले दिनों से सरकारी रोष का शिकार होती रही है. इसी क्रम में हाल में ही केंद्र सरकार ने गुजरात के एक स्वयंसेवी संगठन :नवसर्जन: का एफसीआए पंजीकरण रद्द कर दिया है. उक्त संगठन दलितों से होने वाले भेदभाव और सामाजिक हिंसा को सामने लाने के साथ साथ उनको गोलबंद कर उन्हें सामाजिक और न्यायिक सहायता दिलाने का काम करते है . केंद्र सरकार ने इस संगठन पर राष्ट्रद्रोही गतिविधि संचालित करने का आरोप लगाते हुये इसका एफसीआरए रद्द कर दिया है.
पिछले 25 सालो में नवसर्जन द्वारा दलितों वंचितों के उत्थान और उन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाने के लिए किये गए उनके काम का व्योरा
नवसर्जन संगठन 1994 से सुरेंद्रनगर जिले में दलितों पिछडो और गरीबो के हकों को लेके काम कर रही है . उनके कुछ कुछ प्रमुख और महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित है .
1. नवसर्जन ने जिले के लिमडी ,लखतर , सायला और वधावन ब्लाक के 251 गांवो का सघन लैंड मैपिंग करते हुये लगभग 6000 एकड़ भूमि को चिन्नित किया जो की भूमि सुधार कार्यक्रम के तहत दलितों और भूमिहीनों को बांटी गयी थी पर उनमे से अधिकतर पर अतिक्रमण था या फिर कागज पर आधिक चडी थी पर कब्ज़ा कम पर था. ज्यादातर मामलो में पट्टा तो दलितों के पास था पर कब्ज़ा उनके पास नहीं था. 8 सालो की सघन संघर्ष के बाद जिसमे संगठन ने लोगो को जागरूक करके एकत्र किया , राज्य सरकार को अपना प्रतिवेदन भेजा , एक बड़ी जान सुनवाई आयोजित करके उसकी मांगो को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया और आखिरी में एक पीआईएल गुजरात हाईकोर्ट में डाली जिसके उपरांत उन दलितों को उक्त भूमि हांसिल हुयी.
2. उक्त जिला लम्बे समय से सर पर मैला ढोने की प्रथा चल रही है जिसके खिलाफ लगातार संगठन काम कर रहा है ताकि इस घ्रणित प्रैक्टिस पर रोक लगायी जा सके .
3. संगठन ने क्षेत्र में 1500 ऐसे छात्रों को चिन्नित किया है जिनको दलित होने के कारण बाहर करने स्कूल के शौचालय साफ़ कराये गए.
4. उना में आक्रोशित भीड़ द्वारा दलितों को पीटने की घटना भी इसी जिले में हुयी थी . इस जिले दलित अभी भी मरे हुये जानवार की खाल उतारने का काम करते है बड़े पैमाने पर उना घटना के बाद यहाँ के आक्रोशित दलितों ने मृत पशुओ को लेके कलेक्टर के दफ्तर के आगे ढेर लगा दिया था इस घटना के विरोध में साथ ही साथ ट्रेनों का भी चक्का भी जाम किया था.
5. यह जिला उस वक़्त भी सुर्खियों में आया था जब थानग्गढ़ में तीन साल पहले सारे आम दिनदहाड़े तीन दलितों को पुलिस वालों ने मार दिया था. इसमें सबसे कमउम्र का लड़का 15 साल का था जो नवसर्जन स्कूल का छात्र था. राज्य सरकार ने इस मामले में भी कोई कार्यवाही नहीं की उल्टा राज्य ने समरी रिपोर्ट लगा के दलितों की भावनाओ को और उकसाया. यह एक ऐसा मामला था जहाँ अभियुक्त पुलिस थी और हथियार जिनका प्रयोग हुआ वो सरकारी थे, घटना दिन दहाड़े हुयी थी पर राज्य सरकार इन सब तत्यो को नज़रंदाज़ करते हुये कोर्ट में गवाहों की अनुपलब्धि का केस फाइल किया . यही कारण था कि राज्य ने नवसर्जन संगठन को टारगेट किया जो इन हत्याओ को लेके रीइन्वेस्टीगेसन की मांग जोरदार तरीके से उठा रहा था.
6. नवसर्जन ने जिले में समुदाय के आर्थिक सहयोग से स्कूल भी संचालित करता रहा है .
7. नवसर्जन संगठन ने मिड डे मील योजना में दलितों को अलग से पंगत लगा के खाना परोसने को लेके भी आन्दोलन किया जिससे प्राथमिक शिक्षक और पंचायत मेम्बर को जेल भी जाना पड़ा था .
8. नवसर्जन ने दलितों के उत्पीडन के कई मामलो को उठा के उनपर कार्यवाही भी करवाई है जिसेमें लोगो को सजा भी हुयी है.
गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के 26 गाँव से दलितों पिछडो और वंचितों ने मोड़ी ब्लाक के सारा गाँव में नवसर्जन के एफसीआरए पंजीकरण की समीक्षा किये जाने के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन . विरोध प्रदर्शन में लगभग 1000 से ज्यादा दलित और पिछड़े समुदाय के लोगो के की शिरकत . आक्रोशित लोग केंद्र सरकार द्वारा नवसर्जन के एफसीआरए पंजीकरण की समीक्षा किये जाने का तीखा विरोध कर रहे थे. केंद्र सरकार ने संगठन की अवांछनीय गतिविधियों को राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक बताया है तो वहीँ दूसरी तरह सैकड़ो दलितों पिछडो ने सरकार की इस कार्यवाही दलित पिछड़ा विरोधी करार देते हुये सवाल किया है कि च्च् क्या अपने हितो के लिए आवाज़ उठाना और संगठन बनाना , देशद्रोह है .
सारा में हुयी मीटिंग और विरोध प्रदर्शन पूरी तरह से समुदाय के लोगो की भागेदारी और आर्थिक सहयोग से संपन्न हुयी है , साथ ही साथ गाँव वालों 5100 रुपये का आर्थिक सहयोग भी संगठन को किया है .
जिले के दलित पिछड़े सहित वंचित तबके के लोग केंद्र सरकार के इस तुगलकी फैंसले के खिलाफ आगामी 25 जनवरी,2017 को जिला मुख्यालय पर एक ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन करके रैली करने जा रहे है जिसमे लगभग 10000 लोगो के जुटने की उम्मीद की जा रही है.
नवसर्जन का मानना है इस तरह के उत्पीडन से वो और उभर के निखरेगा साथ ही साथ संगठन का यह भी मानना है की दलितों वंचितों के हकों के लिए संघर्ष करने वाले सबसे बड़े देशभक्त होते है .
जिले में होने वाली रैली को मल्लिका साराभाई मार्टिन मैकवां प्रोफ़ेसर घनशयाम शाह सिद्धार्थ परमार उत्तम परमार मनीषी जानी वलजीभाई पटेल मंजुला प्रदीप सहित जिग्नेश मेवानी आदि संबोधित करेंगे.
25 जनवरी 2017 को ही गोलाना हत्याकांड के भी 31 साल हो रहे है , जिसमे गोलाना गाँव में 4 दलितों की निर्मम हत्या कर दी गयी थी. नवसर्जन इसी गटना के बाद जन्म लेता है .वही दूसरी तरफ 26 जनवरी 2017 में राजकोट में इसी सवाल को लेके एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जायेगा. उसके बाद फरवरी के पहले सप्ताह में इसी तरह का विरोध प्रदर्शन का आयोजन होगा भावनगर जिले में. इस पुरे मामले को लेके दलित युवाओ में बेहद आक्रोश है जैसा की मंजुला मैकवान ने महसूस किया और अभिव्यक्त किया
अगर दलित हको के लिए लड़ना राष्ट्रद्रोह है, तो हमसब राष्ट्रद्रोही है और हम इस तरह का कार्य रोज करेंगे.