गुमराह हो चुके कश्मीरी लोग अब समझने वाले नहीं है। वह पूरी तरह से पाकिस्तानी आतंकियों के बहकावे में आ चुके हैं। पत्थरबाजी करने वाले नौजवानों को सही रास्ते पर लाने का प्रयास भी किया गया था। पिछले साल ही बीस राजनीतिक दलों के तीस सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल केंर्दीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में कश्मीर के दौरे पर गया था।
कट्टरपंथी सोच वाले नेताओं के कहने पर कश्मीरी नौजवानों द्वारा पत्थरबाजी करने की एक और वजह सामने आ रही हैं। करीब साल भर पहले जब कट्टारपंथी नेता एवं हुर्रियत कांफ्रेस के अध्यक्ष सैय्यद अली शाह गिलानी की पुत्री ने अपने पिता की आतंकवादी छवि से त्रस्त होकर अपने प्रेमी कश्मीरी पंडित 28 वर्षीय अभिनंदन कौल के साथ शादी की थी, तो उसी वक्त से वहां के हालात बेकाबू हो गए हैं। दरअसल गिलानी की बेटी के हिन्दू युवक के साथ विवाह को कश्मीरी आतंकवादी बर्दाश्त नही कर पा रहे हैं। सैय्यद अली शाह गिलानी की छब्बीस साल की बेटी रुवाबा गिलानी जो विदेश से पढ़कर पिछले साल ही कश्मीर आईं थीं, उनकी सोच अपने पापा से बिल्कुल जुदा है। वह अच्छे-बुरे का फर्क समझती हैं। वह अपने पिता की आतंकी छवि व कृत्यों से बेहद नाराज थी। गिलानी की बेटी से विवाह करने वाला युवक कश्मीर में सेब का व्यापार करता है। हालांकि दोनों की शादी कई महीने पहले ही हो चुकी थी। रूवाबा ने अपने पिता गिलानी से अपने प्रेमी से शादी करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उन्होंने उसका जमकर विरोध किया।
एक और कारण है। पाकिस्तान की एंटी टेररिज्म एक्ट की लिस्ट में जैसे ही आतंकी हाफिज सईद का नाम दर्ज होने की सूचना सार्वजनिक हुई, पाकिस्तान में उसके समर्थकों के अलावा जम्मू-कश्मीर में उसके रहनुमा आगबबूला हो गए है। इसके बाद उनकी उग्रता और बढ़ गई। उनके समर्थक उन्हें आतंकी घोषित करने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। कश्मीर के हालात के पीछे हाफिज सईद की भूमिका हमेशा प्रत्यक्ष रूप से रही है। जम्मू-कश्मीर के पुराने श्रीनगर शहर में पिछले दो दिनों से पाकिस्तानी झंडे लहराए जा रहे हैं। बीस-पच्चीस साल के नौजवान आईएसआई का खुलकर समर्थन करते हुए हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। उपद्रवी सुरक्षाकर्मियों को देखते ही पत्थर चलाने लगते हैं। इस समय हालात बहुत ही नाजुक हो गए हैं। इस कृत्य के पीछे हुर्रियत के नेता खुलकर पत्थरबाजी करने वाले नौजवानों का साथ दे रहे हैं और इन हुर्रियत नेताओं को शह पीछे से पाकिस्तान दे रहा है।
शहर के नौहट्टाा इलाके में गतदिनों दोपहर जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज खत्म होने के बाद अपने चेहरों पर नकाब डाले कुछ नौजवानों ने हरे और सफेद रंग के पाकिस्तानी झंडे जमकर लहराए और भारत के खिलाफ खूब नारेबाजी की। हमें भारत से छुटकारा चाहिए, पाकिस्तान हमारा है, भारत हमारा दुश्मन है जैसे नारे लगा रहे हैं। बावजूद इसके सुरक्षाकर्मी उन्हें कोई नुकसान पहुंचाने के बजाय समझा रहे थे लेकिन उपद्रवी सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर फेंक रहे थे। हालात जब काबू से बाहर होते दिखे तो उपर्दवियों को खदेडऩे के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठियां भंाजी। थोड़ी देर तक भीड़ तितर-बितर हुई, लेकिन कुछ समय के बाद फिर उपद्रवियों ने हंगामा काटना शुरू किया। इसके बाद से ही सुरक्षाकर्मी और उपद्रवियों में झड़पें जारी हैं, लेकिन फिलहाल अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। उपद्रवियों को यह सब करने के लिए उनको आदेश दिए जा रहे हैं। हुर्रिरत नेता पूरे मोर्चे को संभाले हुए हैं। हुर्रियत नेता भारत सरकार व सुरक्षाकर्मियों की उदारता का फायदा उठा रहे हैंं। उनको पता है कि सरकार सेना को सीधे गोली मारने का आदेश नहीं देगी लेकिन अब वक्त का तकाजा है कि ऐसे हालातों से निपटने के लिए कट्टारपंथी नेताओं के नापाक मंसूबों को कुचलने के लिए सर्जिकल लड़ाई की जरूरत है।
कश्मीर साल भर से सुलग रहा है। यह सब पाकिस्तान की हिमायत से संभव हो रहा है। पाकिस्तान, जम्मू-कश्मीर में अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आने वाला है। सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की पुख्ता जानकारी मिली है कि कश्मीर में हालात बिगाडऩे के लिए पाकिस्तान एक बड़ी साजिश रच रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को इंपुट मिले हैं कि अगले दो महीने के बीच कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं और तेज होंगी और इसी आड़ में पाक के कहने पर आतंकी आम नागरिकों को ढाल बनाकर सेना पर हमले की साजिश रच रहे हैं। इसके बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों व घाटी में सुरक्षा बलों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। सूत्र बताते हैं आतंकी पाक अधिकृत कश्मीर में मिशन कश्मीर 2017 के तहत साजिश रच रहे हैं। पिछले दिनों पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ ने भी पीओके के साथ-साथ सियालकोट और रावलपिंडी का दौरा किया था जो बताता है कि आईएसआई इस साजिश को रच रहा है। सेना को सतर्कता की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि पत्थरबाजी की आड़ में पाकिस्तानी आतंकवादी कोहराम मचाना शुरू कर दें। भविष्य में होने वाली ऐसी घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
गुमराह हो चुके कश्मीरी लोग अब समझने वाले नहीं है। वह पूरी तरह से पाकिस्तानी आतंकियों के बहकावे में आ चुके हैं। पत्थरबाजी करने वाले नौजवानों को सही रास्ते पर लाने का प्रयास भी किया गया था। पिछले साल ही बीस राजनीतिक दलों के तीस सदस्यों का र्पतिनिधिमंडल केंर्दीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में कश्मीर के दौरे पर गया था। प्रतिनिधिमंडल वहां चार और पांच सितम्बर को घाटी में रूका और जम्मू कश्मीर के राज्यपाल व मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात भी की। लेकिन सब बेअसर साबित हुआ। कहावत है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते, यह कहावत इस समय वहां के पत्थरबाज नौजवानों पर चरितार्थ होती है। सेना को इन उपद्रवियों पर सख्ती से पेश आने की जरूरत है। वहां के लोग बेतर्क अलगाववादियों के बहकावे में आ चुके हैं। कश्मीर की फिजा और बदनुमा न हो, इसलिए उन पर कानूनी कार्रवाई की दरकार है। कश्मीर भारत का है और भारत का ही रहेगा। यह बताने की जरूरत है उन्हें। (हिफी)