हालात संग कई मुख्यमंत्रियों की पोल खोल रही ‘उत्तरप्रदेश विकास की प्रतीक्षा में’
लखनऊ। ऐन विधानसभा चुनाव के वक़्त कई नोबल पुरस्कार विजेताओं के किताबें और दुनिया की बेस्ट सेलर सीरीज के प्रकाशक रहे विश्वविख्यात प्रकाशन बलूम्स बरी द्वारा प्रकाशित शांतनु गुप्ता की लिखी राजनीतिक किताब उत्तरप्रदेश का ऐसा लेखा जोखा सामने रख रही है जो मतदाताओं और नागरिकों की आंखें खोलने का काम करेगी।
जीबी पन्त विश्वविद्यालय, पंतनगर से इंजीनियरिंग की डिग्री, एक्स.एल.आर.आई जमशेदपुर, से प्रबंधन प्रबंधन प्रबंधन प्रबंधन प्रबंधन प्रबंधन की पढ़ाई और इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज, यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स से राजनीतिशास्त्र व नीति में मास्टर्स की पढ़ाई करने वाले ‘युवा फाउंडेशन’ के संस्थापक निदेशक शांतनु गुप्ता ने यहां प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने ‘उत्तरप्रदेश विकास की प्रतीक्षा में’ किताब में प्रदेश के राजनीतिक महत्व और प्रभाव से लेकर उसके छोटे-बड़े हर मुद्दे और उन मुद्दों पर प्रदेश की वर्तमान समेत पिछली सरकारों के निर्णयों की सच्चाई को भी विश्लेषण करते हुए सामने रखा है।
पुस्तक में एनआरएचएम घोटाला, यादव सिंह घोटाला, ताज काॅरिडोर स्कैम, पुलिस भर्ती घोटाला, कुम्भ घोटाला, जननी सुरक्षा योजना घोटाला, मायावती का स्मारक घोटाला, आदि को पूरे आकड़ों व तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने प्रदेश में हुए दंगो व महिलाओं के प्रति हुए जघन्य अपराधों का भी विस्तार से विश्लेषण किया है। नोएडा पर केन्द्रित पुस्तक का आखिरी चैप्टर बताता है कि किस तरह से मुलायम, मायावती और अखिलेश तीनों ने नोएडा को म्युनिसिपल कारपोरेशन से, माने की जमीनी लोकतंत्र से महरूम रखा और नोएडा पर एक सीईओ के मार्फत लखनऊ से राज करते रहे। लेखक ने ये इंगित किया है यादव सिंह घोटाला, जिसमे सपा-बसपा दोनों के तार जुड़े हैं, उन्होंने तर्क से इसकी पुष्टि की है।
कुल चैदह अध्यायों में ये पुस्तक उत्तर प्रदेश में विकास के भारी अभाव को तथ्यों, आकड़ो व तर्कों के साथ बहुत बेबाकी से पाठकों के सामने रखती है। विषय को लेकर शांतनु गुप्ता ने गहन अध्ययन और शोधकर लिखी, ये पुस्तक उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक आदि विविध पक्षों को छूते हुए मुख्य रूप से उसके राजनीतिक अतीत और वर्तमान को टटोलने का एक प्रयास किया है। इसमें लेखक ने इस बिंदु पर प्रकाश डालने का विशेष प्रयत्न किया है कि राजनीतिक रूप से इतना महत्वपूर्ण होने के बावजूद भी विकास की दृष्टि से उत्तर प्रदेश आज भी अत्यंत पिछड़ा क्यों है? क्या कारण हैं कि आज भी प्रदेश की अधिकांश जनता बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है? प्रदेश के इस पिछड़ेपन के लिए मुख्यतः कौन जिम्मेदार है? कहीं प्रदेश सिर्फ राजनीतिक जमात के लिए वोट बैंक भर बनके तो नहीं रह गया है? इन सब प्रश्नों की एक शृंखलाबद्ध पड़ताल ये पुस्तक करती है।
शुरुआती अध्यायों में उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के कारणों का गहरा विवेचन किया गया है। स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में प्रदेश की फिसड्डी हालत पर बात की गई है। सपा-बसपा द्वारा बिजली उपलब्ध करवाने के एक से बढ़कर एक वादों के जरिये सत्ता-सुख भोगने के बावजूद प्रदेश में बदहाल बिजली व्यवस्था की हकीकत भी सामने रखी गई है। राज्य के अर्थव्यवस्था की मेरुदंड कृषि व्यवस्था जिस तरह से दिन-प्रतिदिन गर्त में गिरती जा रही है, इसके सभी पक्षों को रेखांकित और विश्लेषित किया गया है। कैसे पिछले डेढ़ दशक से यूपी की सत्ता पर काबिज रहे सपा और बसपा ने प्रदेश के उद्योग तंत्र को बदहाली के दौर में पहुंचा दिया है, इसपर भी बात की गई है। इस तरह शुरुआती अध्यायों में प्रदेश के मुद्दों की पड़ताल की गई है और इनपर किस सरकार ने क्या किया, ये भी स्पष्ट करने का प्रयास किया गया।
आगे के अध्यायों में प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था, घोटालों में सपा-बसपा की मिली-भगत, धर्मनिरपेक्षता की आड़ में मुख्यतः सपा की मुस्लिम मतों के तुष्टिकरण की राजनीति आदि विविध विषयों पर प्रकाश डाला गया है। कुल मिलाकर उनकी कोशिश रही है कि प्रदेश के पूरे राजनीतिक परिदृश्य और उसपर विकास की दृष्टि से विश्लेषण प्रस्तुत किया जा सके। चूंकि, सूबे में सर्वाधिक समय तक शासन कांग्रेस, सपा और बसपा इन तीन दलों का ही रहा है, इनमें भी अंतिम डेढ़ दशक तो सपा और बसपा को ही समर्पित रहे हैं, इसलिए इन दलों की चर्चा स्वाभाविक रूप से पुस्तक में अधिक हुई है।
भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश का स्थान निर्विवाद रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। केन्द्रीय सत्ता किसके हाथों में होगी, उत्तर प्रदेश हमेशा से इसका मुख्य निर्णायक रहा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सत्तारूढ़ होने में सर्वाधिक लोकसभा सीटों वाले इस राज्य ने महती भूमिका निभाई थी। भाजपा की झोली में प्रदेश की कुल 80 में से 71 सीटें गईं और इस तरह वो पूर्ण बहुमत से भी अधिक संख्याबल अर्जित कर एक मजबूत सरकार बना सकी। उन्होंने कहा कि देश की राजनीति कैसी होगी, इसे उत्तर प्रदेश का जनमत सर्वाधिक रूप से प्रभावित करता है। इस समय प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी है, ऐसे वक्त में यह पुस्तक उत्तरप्रदेश के मतदाताओं के लिए उनके मुद्दों और उनके सामने करबद्ध वोट मांगने के लिए खड़े प्रदेश के राजनीतिक दलों को समझने में मददगार सिद्ध होगी।
लेखक का परिचय
शांतनु गुप्ता युवाओं के प्रमुख संगठन ‘युवा फाउंडेशन’ के संस्थापक और निदेशक हैं, जो युवाओं के साथ पालिसी, राजनीती व सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता के विषयों पर कार्यरथ है। वे एक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित थिंक टैंक सेण्टर फॉर सिविल सोसाइटी (सीसीएस) के साथ भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा शांतनु ने यूनिसेफ के साथ साथ ‘इंटीग्रेटेड डिस्ट्रिक्ट एप्रोच’ के तहत उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के गांवों में लंबे समय काम किया है। आपने नांदी फाउंडेशन के साथ भारत के सबसे बड़े उपचारात्मक शिक्षण कार्यक्रम का आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र व दिल्ली में नेतृत्व भी किया है। आपने बतौर प्रबंधक और सलाहकार भारत समेत स्विट्जरलैंड, सायप्रस, हंगरी, इजरायल आदि दुनिया के कई देशों में एक दशक से ज्यादा काम किया है। उन्होंने पालिसी व अर्थ व्यवस्था व्यवस्था की कई अंतराष्ट्रीय फोरमों में जर्मनी, मलेशिया, श्रीलंका आदि में भारत का प्रतिनिधित्व किया है ।
शांतनु ने जीबी पन्त विश्वविद्यालय, पंतनगर से इंजीनियरिंग की डिग्री, एक्स.एल.आर.आई जमशेदपुर से प्रभंदन पढाई की और इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स, (यूनाइटेड किंगडम) से राजनीति व पालिसी में मास्टर्स की पढ़ाई की है।
9871929440