एजेंसी।नई दिल्ली:25 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार भारत और कजाखस्तान के बीच दोनो देशों का मैत्री संगठन बन गया है।भारत में कजाखस्तान के राजदूत बुलत सरसेनबायेव ने भारत-कजाखस्तान मैत्री संगठन की नीँव रखी।इस अवसर पर राजदूत बुलत सरसेनबायेव ने बताया कि भारत और कजाखस्तान के बीच का संबंध ऐतिहासिक हैं।उन्होंने जानकारी दी कि जब 1991 में सोवियत रूस विभाजित हुआ और कजाखस्तान ने उससे स्वतंत्रता की घोषणा की तो उसके तुरन्त बाद राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव ने सबसे पहली विदेश यात्रा भारत की। उन्होंने इस अवसर पर दोनों देशों के बीच बढ़ते कारोबार की तरफ भी ध्यान खींचा।उन्होंने भारत की २०० प्रतिष्ठित कम्पनियों के कजाखस्तान में कारोबार का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच कारोबारी रिश्तों में काफ़ी प्रगति आई है और पिछले दिनों भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के बाद इन संबंधों में प्रगति काफ़ी अच्छी है।राजदूत बुलत ने बताया कि दोनों देश ईरान के बन्दरगाह ‘बन्दर अब्बास’ और भारत के गुजरात राज्य के ‘मुन्द्रा पोर्ट’ से जुड़कर कजाखस्तान तक पहुँचने का प्रयास कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट मे ईरान और तुर्कमेनिस्तान रेल मार्ग से दोनों देशों की मदद कर रहा है।
बुलत ने वीज़ा नियमों के मुद्दे पर जानकारी देते हुए कहा कि कजाखस्तान ने वीज़ा के नियमों को भारत के लिए काफ़ी सरलीकृत किया है और आने वाले दिनों में पर्यटकों,व्यापारियों और छात्रों को दिक्कत नहीं आएगी।उन्होंने आशा जताई कि कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना तक सीधी हवाई सेवा के भी जल्द शुरू हो जाएगी।बुलत सरसेनबायेव ने भारत की विशालता का ज़िक्र करते हुए कहाकि यह उनके लिए गौरव की बात है कि वह भारत में कजाखस्तान के राजदूत हैं।
इस मौक़े पर भारत-कजाखस्तान मैत्री संगठन के महासचिव चमन एवं कई गणमान्य लोग मौजूद थे।