एजेंसी।नई दिल्ली:गुरुवार को 12 साल के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने देश की राजधानी दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट वाले केस में अपना फैसला सुना दिया है।साल 2005 में दिल्ली के सरोजिनी नगर में हुए धमाके में पटियाला हाउस कोर्ट ने मास्टरमांइड तारिक अहमद डार को दस साल की सजा सुनाई है तो वहीं दो आरोपियों मोहम्मद हुसैन फाजिली और मोहम्मद रफीक शाह को बरी कर दिया गया है।इन दोनों आरोपियों को पर्याप्त सबूतों के अभाव में बरी करना पड़ा।दिल्ली पुलिस मो. हुसैन फाजिली और मो. रफीक शाह पर लगाए अपने आरोप साबित करने मे नाकामयाब रही।आरोपी तारिक अहमद सुनवाई के दौरान ही 10 साल की सजा जेल में काट चुका है।दीपावली से एक दिन पहले साल 2005 में भारत की राजधानी दिल्ली में दहशत फ़ैलाने के इरादे से बम धमाके किये गए।इन धमाकों में 62 लोगों की मृत्यु हो गयी थी और 210 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।धमाकों के मुख्य आरोपियों तारिक अहमद डार,मोहम्मद हुसैन फाजिल और मोहम्मद रफीक शाह पर मिलकर साजिश रचने का आरोप था।माना जाता रहा है कि इस सीरयल ब्लास्ट का मास्टर माइंड तारिक अहमद डार है जिसके तार पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े है और वो उसका ऑपरेटिव है।कोर्ट ने 2008 में इस मामले में आरोपी मास्टरमाइंड डार और दो अन्य आरोपियों के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, साजिश रचने, हथियार जुटाने, हत्या और हत्या के प्रयास के आरोप तय किए थे।दिल्ली पुलिस ने डार के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था और उस चार्जशीट में उसके कॉल डिटेल्स का जिक्र भी किया गया था। कॉल डिटेल्स से कथित तौर पर यह बात सामने आई कि वह लश्कर-ए-तैयबा के अपने आकाओं से संपर्क में था।पुलिस ने अक्टूबर 2005 में सिलसिलेवार धमाकों के मामले में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की थीं।दीपावली के जश्न में डूबी दिल्ली अचानक हुए इन आतंकी हमलों से दहल गई थी।
पहले यह फैसला 13 फरवरी को आना था लेकिन पटियाला हाउस कोर्ट स्थित अतिरिक्त-सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब इसे गुरुवार यानी 16 फरवरी को सुनाया गया।