अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल कॉलेज के पीडियाट्रिक्स विभाग के प्लमोनोलोजी एण्ड आईडी क्लीनिक द्वारा मनाये जा रहे विश्व तपेदिक दिवस सप्ताह समारोह के तहत बच्चों के लिए जेएन मेडीकल कॉलेज में निशुल्क जॉच शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें प्लमोनोलोजी एण्ड आईडी क्लीनिक की इंचार्ज एवं पीडियाट्रिक्स विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर फरजाना के बेग व उनकी टीम के चिकित्सकों ने बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया तथा उनके अभिभावकों को परामर्श दिया व निशुल्क दवायें भी उपलब्ध करायीं। बच्चों एवं उनके अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर फरजाना के बेग ने कहा कि अगर बच्चों को लगातार खांसी आ रही है या उसे बार बार छाती संक्त्रमण व बुखार आ रहा है और उसे थकान रहती है तथा उसका वजन नहीं बढ़ रहा है और बच्चा सांस लेने में तकलीफ महसूस कर रहा है तो ऐसे बच्चों की टीबी की जॉच कराई जानी चाहिए। प्रो. फरजाना बेग ने पीडियाट्रिक्स के प्लामोनोलोजी एण्ड आईडी क्लीनिक में टीबी का उपचार कराने आ रहे बच्चों का हवाला देते हुए बताया कि उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में ओपीडी में आने वाले 233 मामलों में 112 प्लोमोनरी टयूबरक्लोसिस जबकि 121 एक्सट्रा प्लमोनरी के मामले प्रकाश में आये। प्रो. फरजाना बेग ने बताया कि आईपीडी में प्लमोनरी टीबी के 22 और एक्सट्रा प्लमोनरी टीवी के 52 मामले प्रकाश में आए। प्रो. फरजाना बेग ने बताया कि विश्व स्तर पर 9.6 मिलियन लोग टीबी से ग्रस्त हैं जिसमें 5.4 मिलियन पुरूष, 3.2 मिलियन महिलायें और एक मिलियन बच्चे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विश्व में टीबी के नए मामले सामने आने वाले नए मामले में भारत की 23 प्रतिशत की भागेदारी है। उन्होंने कहा कि ड्रग थैरेपी से टीबी के रोग पर काबू पाया जा सकता है। प्रो. फरजाना ने कहा कि बच्चो ंमें एचआईवी संक्त्रमण से टीबी का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि टीबी पर नियंत्रण से देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार आएगा। प्रो. बेग ने बताया कि रिकोम्बीनेंट डीएनए तकनीक की मदद से टीबी के उपचार के लिए नई वैक्सीन तैयार हो रही है जिससे इसकी रोकथाम में रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगर शुरूआत में ही टीबी की पहचान कर इसका इलाज आरंभ कर दिया जाए तो इसके नियंत्रण में मदद मिल सकती है। उन्होंने बताया कि जेएन मेडीकल कॉलेज के वार्ड नम्बर 17 में हरेक बुद्ववार को प्रात: 10 बजे से प्लोमोनरी एण्ड आईडी क्लीनिक में टीबी के बाल रोगी देखे जाते हैं। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजयी प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि जेएन मेडीकल कॉलेज के प्रिन्सिपल प्रो. तारिक मंसूर द्वारा पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रो. कामरान अफजाल, डॉ. जेबा जका उर रब, डॉ. काशिफ अली, डॉ. शाद अबकरी, डॉ.आयशा अहमद और डॉ. उज़मा फिरदौस, अर्थोपैडिक विभाग के प्रो. एमके शेरवानी, प्रो. मजहर अब्बास, माइक्त्रोबायोलोजी विभाग के प्रो. हारिस एम खॉन, टीबी एण्ड रेसपायरेटरी डिसीज़ के प्रो. जुबैर अहमद, प्रो. शमीम अहमद, मेडीसन विभाग के प्रो. एमआर अजमल, पैथलोजी विभाग की प्रो. राना शेरवानी, पीडियाट्रिक्स सर्जरी विभाग के प्रो. आरएस चाना और डॉ. उनमुल तथा जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. भास्कर के अलावा सीनियर व जूनियर रेजीडेंट भी मौजूद थे। मल्टीपिल च्वायस कम्यूनिकेशन में ओवर आल टापर्स का पुरस्कार कौसर जहॉ, को प्रदान किया गया। जबकि शशांक वर्मा द्वितीय और सरफराज अहमद को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। बैच टापर्स में मुहम्मद मुदस्सिर सुलेमान, विवेक कुमार पचौरी, ललित राघव कौसर जहॉ, श्वेता और सबीहा खॉनम को पुरस्कार प्रदान किये गये। पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में सना वाहिद, मरिया मंजूर, लुबना नसीन खॉन, शायबा खॉनम व बुशरा फात्मा को प्रथम, श्रुति शाडिण्लय, शीरी फात्मा, श्रुति बंसल और दानिश कमाल को द्वितीय तथा मुहम्मद फारिस को तृतीय स्थान प्राप्त किया गया। जबकि बेस्ट मेटीवेटर का पुरस्कार शामिल को दिया गया। नसिंर्ग छात्रों की पोस्टर प्रतियोगिता में प्रियो सिंह, वफा नाज़, फरहाना परवीन व शगुफ्ता को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।