लखनऊ। राजधानी के मोहनलगंज इलाके में एक बुजुर्ग की हत्या कर फेंका गया शव मिलने से सनसनी फैल गई। मृतक का क्षत विक्षप्त शव लखनऊ उन्नाव बॉर्डर के मंतपखेड़ा गाँव में राम गुलाम नामक शख्स के खेत में मिला। घटना की जानकारी पाकर पहुंची पुलिस ने शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। उन्नाव के गोड़वा सोहरापुर निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग गौरीशंकर किसान है। बीती 25 तारीख को गौरीशंकर अपने पोते श्री केशन के साथ खेत में पानी लगाने गए थे। पोते श्रीकेशन ने बताया कि खेत से पानी लगाकर दादा पोता घर जा रहे थे। गौरीशंकर और केशन के बीच में थोड़ी दूरी थी। बकौल केशन तभी एक कार आई जिसमे बैठे लोग खाकी रंग की वर्दी पहन रखी थी जैसी पुलिस महकमे में पहनी जाती है। कार सवार लोग उतरे और गौरीशंकर को अगवाह कर लिया। इसके बाद 26 की सुबह केशन ने सोहरामऊ थाने में मौखिक शिकायत भी की थी। केशन ने कप्तान उन्नाव से भी पूरा मामला बताया था और दादा गौरीशंकर की तलाश की गुहार लगाई थी। सोमवार शाम खेत के पास से गुजर रहे ग्रामीण की नजर शव पर पड़ी तो पुलिस को सूचना मिली। शव की शिनाख्त भी सूचनाकर्ता ने सोहरामऊ निवासी गौरीशंकर के रूप में की। मोहनलगंज पुलिस ने बताया कि मामला दर्ज कर हत्यारोपियों की तलाश की जायेगी फिलहाल शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मृतक के परिजनों ने गाँव के ही कुछ लोगो पर जमीनी विवाद के चलते गौरी की हत्या किए जाने की आशंका जताई है। परिजनो का कहना है कि गाँव के ही गंगासागर, रमेश, राहुल और सुमेर से गौरीशंकर का बीते कई दिनों से एक जमीनी विवाद चल रहा था। कई बार थाने पर जबरन गौरी शंकर पर सुलह का दबाव भी बनाया गया पर उसने सुलह नही की। लगभग 5 दिन पहले भी उक्त लोगो से विवाद हुआ तो उक्त लोगो ने न केवल गौरी के पक्ष के विरुद्ध सोहरामऊ में मामला दर्ज करवा दिया अपितु उसे मार डालने की धमकी भी दी थी। परिजनो ने आरोप लगाया है कि जमीनी विवाद में ही गौरी की हत्या कर दी गई। हत्या की वजह कुछ भी हो लेकिन घटनास्थल पर पहुंचे मृतक के पोते श्री केशन ने जो बताया है उसमें कही न कही सवालिया निशान जरूर नजर आये है। बकौल केशन वह अपने दादा के साथ खेत गया था और वापसी में उसके दादा को अगवाह किया गया। ऐसे में यह सवाल भी खड़ा होता है कि मामला गंभीर होते हुए भी केशन उसी रात सोहरामऊ थाने क्यों नही गया और अगली सुबह क्यों थाने पहुंचा। वही केशन ने यह भी बताया कि जिन लोगो ने अगवाह किया था वो खाकी रंग की वर्दी जैसे कपड़ो में थे। यहाँ यह सवाल खड़ा हो जाता है कि अगर वारदात को जमीनी विवाद में गाँव के ही लोगो ने अंजाम दिया तो उन्हें खाकी वर्दी पहनकर अपनी पहचान छिपाने की कौन सी जरुरत पड़ गई।