लखनऊ
यूपी विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद सारी संभावनाओं को अचानक पलटते हुए बीजेपी ने सीएम पद के लिए योगी आदित्यनाथ का नाम फाइनल कर दिया है। शनिवार को विधायक दल की बैठक में औपचारिक तौर पर योगी आदित्यनाथ का नाम रख उन्हें नेता चुन लिया गया। योगी आदित्यनाथ लगातार 5 बार से सांसद हैं और यूपी में बीजेपी की हिंदुत्ववादी राजनीति के चेहरे माने जाते हैं।बीजेपी ने सीएम के लिए योगी आदित्यनाथ का नाम फाइनल कर जातिगत समीकरण को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर भी विराम लगा दिया है। उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत के रूप में राजपूत चेहरा चुनने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी में गैर सवर्ण सीएम चुना जाएगा। इस क्रम में यूपी बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी सीएम रेस में माना जा रहा था। वीर बहादुर सिंह के बाद पूर्वांचल से सीएम बनने वाले योगी आदित्यनाथ दूसरे चेहरे हैं। शनिवार दोपहर यूपी की राजनीति के घटनाक्रम तेजी से बदले। रेल और दूरसंचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के यूपी सीएम के रेस में टॉप पर बने रहने की खबरें अचानक बदल गईं। पार्टी आलाकमान ने शनिवार सुबह अचानक योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुला लिया। दोपहर में योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य जब स्पेशल विमान से लखनऊ पहुंचे तो आलाकमान का संदेश भी सूबे में पहुंच चुका था कि योगी ही प्रदेश के मुखिया होने जा रहे हैं।
यूपी में बीजेपी की प्रचंड जीत में पिछड़ी जाति, गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित वोटों की भी अहम भूमिका मानी जा रही है। ऐसे में राजनीतिक पंडित यूपी सीएम के तौर पर किसी ओबीसी नेता की संभावना पर जोर दे रहे थे। बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह को भी बीजेपी सीएम पद के लिए मनाने की कोशिश हुई थी, लेकिन उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया।
राजनाथ सिंह के इस रेस से हटने के बाद पिछले दो दिनों से गाजीपुर से सांसद मनोज सिन्हा का नाम काफी तेजी से आगे बढ़ा। वाराणसी में यात्रा के दौरान मनोज सिन्हा के काशी विश्वनाथ और भैरव मंदिरों में दर्शन की तस्वीरों ने इस संभावना को और भी बल दिया लेकिन दिल्ली से लौटे योगी आदित्यनाथ की अचानक एंट्री से पूरा माहौल ही बदल गया।