उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों को जिन विभागों की जिम्मेदारी सौंपी है, उसके पीछे भाजपा का विधान सभा चुनाव से पूर्व का संकल्प और मंत्रियों का उस क्षेत्र में अनुभव की झलक साफ-साफ पता चलती है। सरकार केन्द्र की हो या प्रदेश की, उसे थोड़ा-बहुत तालमेल बनाना ही पड़ता है। प्रदेश में भाजपा ने हालांकि अकेले दम पर इतने विधायक जुटा लिये थे कि वह सरकार बना सकती थी लेकिन उसके दो सहयोगी दल थे जिन्हें मंत्रिमंडल में यथोचित प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसके साथ ही दूसरी पार्टियों विशेष रूप से बसपा और कांग्रेस को छोड़कर जिन नेताओं ने भाजपा का साथ दिया और चुनाव भी जीते तो उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह देना लाजिमी था। भाजपा ने युवाओं को सरकार में प्रतिनिधित्व देने का वादा किया था और सबसे ज्यादा युवा भाजपा के चुनाव चिह्न पर ही जीते हैं तो उन्हें पार्टी ने अपना वादा पूरा करते हुए मंत्रिमण्डल में भी शामिल किया और कुछ विभागों की जिम्मेदारी भी सौंपी है। यह उनका सरकार चलाने प्रथम अनुभव होगा लेकिन पार्टी नेतृत्व ने कह रखा हैं कि विधायकों को पहले प्रशिक्षण के कठिन दौर से गुजरना होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों को विभागों का बंटवारा करने से पूर्व दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से सलाह ली। इन वरिष्ठ नेताओं का उत्तर प्रदेश से विशेष लगाव है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश से ही वाराणसी लोक सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो श्री अमित शाह ने २०१४ के लोक सभा चुनाव से लेकर २०१७ के विधान सभा चुनाव तक उत्तर प्रदेश में जनता से ढेर सारे वादे कर रखे हैंं जिन्हें योगी की सरकार के माध्यम से ही पूरा करना है और श्री राजनाथ सिंह का तो यूपी गृह प्रदेश ही है। इसलिए इन नेताओं से विचार विमर्श भी मंत्रियों के विभाग बंटवारे में कारगर साबित हुआ है।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने गृह विभाग को अपने पास रखा है। प्रदेश में कानून व्यवस्था को सुधारने का वादा भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में कर रखा है और कहा था कि प्रदेश में अब न गुण्डाराज रहेगा और न भ्रष्टाचार। इस संकल्प को पूरा करने का बीड़ा स्वयं मुख्यमंत्री ने उठाया है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही एंटी रोमियों दल स्कूलों, के बाहर अपना कार्य करने लगा है। पीडि़तों की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई भी हो रही है। इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना है और श्री आदित्यनाथ योगी ने संसद में जिस तरह से कहा था कि पूर्वांचल को उन्होंने किस तरह अपराध मुक्त बनाया है और पिछले डेढ़ दशक से वहां कोई दंगा नहीं हुआ, किसी व्यापारी को गुण्डा टैक्स नहीं देना पड़ता है, इससे उम्मीद की जाती है कि ऐसी ही व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू होगी।
मुख्यमंत्री श्री योगी ने अपने दोनों उपमुख्यमंत्रियों को भी उनकी क्षमता के अनुरूप मंत्रालय सौंपे हैं। प्रदेश में सड़कों की जरूरत है, अन्य निर्माण कार्य भी होने हैं। श्री केशव प्रसाद मौर्य को लोक निर्माण और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के साथ मनोरंजन कर और सार्वजनिक उद्यम विभाग की जिम्मेदारी दी गयी है। खाद्य प्रसंस्करण को लेकर केन्द्र सरकार नयी राष्ट्रीय नीति बना रही है जिससे फल-सब्जियों को संरक्षित किया जा सके और किसानों को उचित मूल्य भी मिले। श्री केशव प्रसाद मौर्य पर यह बड़ा दायित्व होगा कि किसानों का आलू, टमाटर सडऩे न पाये। आम, अमरूद आदि का विदेशों तक निर्यात हो सके। इसी प्रकार दूसरे उपमुख्यमंत्री डा- दिनेश शर्मा को उच्चशिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण विभाग सौपे गये हैं। डा- दिनेश शर्मा लखनऊ विश्व विद्यालय में प्रवक्ता हैं। उन्हें पता है कि उच्चशिक्षा के विकास मे सरकार की तरफ से क्या-क्या सुविधाएं मिलनी चाहिए और विश्वविद्यालयों की आंतरिक समस्या क्या है। अब वह स्वयं इस विभाग के मंत्री हैं और उच्च शिक्षा में जितनी भी समस्याएं हैं, उनको वे आसानी से दूर कर सकते हैं।
प्रदेश में उद्योग धंधों को लेकर बहुत शिकायतें की जा रही थीं। कारण कोई भी रहा हो लेकिन प्रदेश में उद्यमी निवेश करने से कतराते रहे हैं। कानपुर हमारे प्रदेश में ही नहीं देश में प्रमुख औद्योगिक नगरी कहा जाता था। इसे मानचेस्टर आफ इण्डिया कहते थे। इसी कानपुर में एक-एक करके कितने ही कारखाने – फैक्ट्रिया बंद हो चुकी हैं। श्री सतीश महाना कानपुर के ही निवासी हैं और उनसे बेहतर इस मानचेस्टर आफ इण्डिया की समस्या को कौन समझ सकता है। श्री सतीश महाना को औद्योगिक विकास मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया है। कानपुर के साथ ही मिर्जापुर जैसे क्षेत्र में कभी पीतल का कारोबार वृहद स्तर पर होता था। वाराणसी का साड़ी उद्योग, भदोही का कालीन उद्योग, मुरादाबाद में पीतल के बर्तन और फिरोजाबाद में चूडिय़ों के उद्योग को वैश्विक प्रति स्पद्र्धा में आगे लाने का कार्य सतीश महाना को करना है। प्रदेश में पहली बार विधायक और मंत्री बनीं स्वाति सिंह ने महिला उत्पीडऩ के नाम पर ही जनता का दिल जीता है। बसपा के नेताओं ने उनके और उनकी बेटी के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया था और उन शब्दों के दंश से तिलमिलाकर वह राजनीति के मैदान में आ गयीं तो इस प्रकार का दंश किसी अन्य महिला या युवती को न झेलना पड़े। प्रदेश में महिला असुरक्षा का एक बड़ा मुद्दा भाजपा ने चुनाव पूर्व उठाया था और इसी के साथ महिला सशक्तिकरण की बात भी भाजपा के संकल्प पत्र में कही गयी है। इस कार्य को वरिष्ठ नेता रीताबहुगुणा जोशी के साथ मिलकर स्वाति सिंह को करना है। डा- रीता बहुगुणा जोशी को महिला कल्याण, परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशुकल्याण के साथ पर्यटन की भी जिम्मेदारी दी गयी है। श्रीमती जोशी उत्तरा खंड की निवासी हैं जहां का प्रमुख उद्योग ही पर्यटन है। इसलिए श्रीमती रीता बहुगणा जोशी और स्वाति सिंह भाजपा के उस संकल्प पत्र के वादों को पूरा करेंगी जो विधान सभा चुनाव के लिए जारी किया गया था।
प्रदेश में खेलकूद को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। यहां पर गांव-गांव में खेल प्रतिभाएं छिपी हैं। पूर्व की सरकारों और प्रशासनिक उदासीनता के चलते खेल प्रतिभाएं सामने नहीं लायी जा सकीं। मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी चेतन चौहान को खेल, युवा कल्याण व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास का दायित्व सौंपा गया हैं सुरेश खन्ना संसदीय कार्य एवं नगर विकास का दायित्व निभाएंगे तो बसपा छोड़कर भाजपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य को श्रम एवं सेवा योजना, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन के लिए कार्य करना होगा। वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग को अब तक मुख्यमंत्री स्वयं अपने पास रखते थे लेकिन मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अनुभवी नेता और वित्तीय मामलों के जानकार राजेश अग्रवाल को वित्तमंत्री बनाया है। लक्ष्मी नारायण चौधरी को दुग्ध विकास, धर्मार्थ कार्य, संस्कृति एवं अल्पसंख्यक कल्याण का दायित्व दिया गया है तो दमदार ब्रह्मण नेता बृजेश पाठक को विधि एवं न्याय, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत और राजनीतिक पेंशन का विभाग दिया गया हैं। प्रदेश में सहकारिता विभाग पर कभी सपा के शिवपाल सिंह यादव जैसे नेताओं का कब्जा रहता था। इसको लेकर ढेर सारी शिकायतें भी सामने आयी है और नोटबंदी के समय सहकारी बैंकों की भूमिका संदिग्ध पायी गयी थी। अब सहकारिता विभाग मुकुट बिहारी वर्मा को दिया गया हे। चुनाव से पहले भाजपा को लेकर कहा जाता था कि उसने अल्पसंख्यक मुसलमानों में से किसी को टिकट नहीं दिया। भाजपा नेताओं ने कहा भी था कि सरकार बनने पर इसकी भरपाई की जाएगी। योगी मंत्रिमंडल में एक मात्र अल्पसंख्यक मंत्री मोहसिन रजा को राज्य मंत्री बनाया गया और उन्हें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकि, इलेक्ट्रानिक्स, आईटी, मुस्लिम वक्फ और हज संबंधी दायित्व निभाने को कहा गया है। इस प्रकार अपने अपने क्षेत्र में अनुभव रखने वालों को मंत्री के रूप में हुनर दिखाने का मौका मिला हैं। श्री योगी ने अफसरों को पार्टी का संकल्प पत्र पहले ही दे दिया ताकि उसके अनुसार योजनाएं बनाएं, मंत्री उन्हें संसाधन देंगे।