विश्व दूरसंचार दिवस प्रत्येक वर्ष ’17 मई’ को मनाया जाता है। आधुनिक युग में फोन, मोबाइल और इंटरनेट लोगों की प्रथम आवश्यकता बन गये हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना करना बहुत ही मुश्किल हो चुका है। आज यह इंसान के व्यक्तिगत जीवन से लेकर व्यावसायिक जीवन में पूरी तक प्रवेश कर चुका है।मोबाइल फोन ने आज दुनिया के रंग रूप को ही बदलकर रख दिया है। मोबाइल कार फोन से लेकर आईफोन तक का सफर तय कर चुका है। एक जमाना हुआ करता था जब पोर्टेबल मोबाइल के बारे में सोचना भी सपना था।आज जिस आसानी से हम अपने मोबाइल फोन के माध्यम से कई ऐसे कार्य कर लेते हैं, जिसके लिए कुछ साल पहले काफी मशक्कत करना पड़ती थी। दूरसंचार क्रांति की बदौलत ही भारत की गिनती आज विश्व के कुछ ऐसे देशों में होती है जहाँ आर्थिक समृद्धि में दूरसंचार क्रांति का बड़ा योगदान रहा है।
आज हम दूरसंचार के मामले में काफी आगे निकल चुके हैं। थ्री-जी और फोर-जी टेक्नोलॉजी पर सवार भारत तेज गति से आगे बढ़ता जा रहा है। इस क्रांति के कारण न केवल अन्य क्षेत्रों में फर्क पड़ रहा है, बल्कि ग्रामीण भारत भी टेक्नोलॉजी से लबरेज होता जा रहा है। आज भारत के कई किसान हाईटेक हो रहे हैं। फसलों के बारे में वे इंटरनेट से जानकारी ले रहे हैं। एसएमएस से रेलवे रिजर्वेशन की जानकारी मिल रही है। भारत इस क्रांति को अगले चरण पर ले जाने की तैयारी कर रहा है।
‘विश्व दूरसंचार दिवस’ मनाने की परंपरा 17 मई, 1865 में शुरू हुई थी, लेकिन आधुनिक समय में इसकी शुरुआत 1969 में हुई। तभी से पूरे विश्व में इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके साथ नवम्बर, 2006 में टर्की में आयोजित पूर्णाधिकारी कांफ्रेंस में यह भी निर्णय लिया गया था कि ‘विश्व दूरसंचार’ एवं ‘सूचना’ एवं ‘सोसाइटी दिवस’, तीनों को एक साथ मनाया जाए।वर्तमान समय में दूरसंचार का एक बहुत बड़ा हिस्सा इंटरनेट है। इसमें कोई शक नहीं है कि जिन लोगों की पहुंच इंटरनेट तक है, उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इंटरनेट ने उनके जीवन को काफ़ी सरल बना दिया है। इसके जरिए हम असंख्य सूचनाओं को पलक झपकते ही मात्र कुछ चंद सेकेंड में प्राप्त कर लेते हैं। इंटरनेट सिर्फ सूचनाओं के लिहाज से ही नहीं, बल्कि सोशल नेटवर्किग से लेकर स्टॉक एक्सचेंज, बैंकिंग, ई-शॉपिंग आदि के लिए अब अहम बन चुका है। इसके लिए यदि किसी को सबसे अधिक श्रेय देना चाहेंगे तो गूगल जैसे सर्च इंजन इसके हकदार हैं। गूगल के ई-मेल, चैटिंग, वीडियो और वॉयस चैटिंग आदि से हजारों किलोमीटर की दूरियां सिमट कर अब चंद सेकेंड के फासले में बदल गयी हैं। सोशल मिडिया से