एजेंसी। मुबारक साल गिरह। धनराज पिल्लै हॉकी खिलाड़ी हैं। हॉकी में सेंटर फारवर्ड खेलने वाले धनराज पिल्लै के खेल में गति और स्ट्राइकिंग कौशल है। हॉकी के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ सेन्टर फारवर्ड खिलाड़ी धनराज की तुलना क्रिकेट के सचिन तेंदुलकर से की जाती है । जैसे क्रिकेट में सचिन का कोई सानी नहीं है, इसी प्रकार धनराज पिल्लै भी हॉकी के खेल में सर्वश्रेष्ठ हैं । उन्होंने कॅरियर के शानदार वर्षों में अनेक पुरस्कार प्राप्त किए हैं। 1991 में उन्हें महाराष्ट्र सरकार का ‘शिव छत्रपति अवार्ड’ प्रदान किया गया था। इसके अतिरिक्त वह ‘राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार’, ‘अर्जुन पुरस्कार’ व ‘पद्मश्री’ पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।
धनराज पिल्लै का जन्म 16 जुलाई, 1968 को पुणे ज़िले में खड़की में हुआ था। उनका जन्म तमिल माता-पिता नागालिन्गम पिल्लै और अन्दालम्मा के चौथे पुत्र के रूप में हुआ था। वे तमिल (मातृभाषा), हिंदी, मराठी और अंग्रेज़ी भाषाओं में धाराप्रवाह हैं। वह इंडियन एयरलाइन्स में असिस्टेंट मैनेजर हैं। वह तीन ओलंपिक में, 3 वर्ल्ड कप में तथा 4 एशियाई खेलों में भाग लेने वाले एकमात्र भारतीय हैं। वे एक सीनियर खिलाड़ी हैं और भारतीय टीम के लिए आशा की किरण हैं। वह अपने से छोटे खिलाड़ियों को भी फुर्ती में मात दे सकते हैं। उन्हें अपने खेल से प्यार है और वे मेहनत से खेलते हैं।
धनराज पिल्लै की कहानी ऐसे लड़के की कहानी है, जो ग़रीब परिवार से निकलकर कड़ी मेहनत करके अपना मुकाम हासिल करता है। पुणे की हथियारों की फैक्टरियों की गलियों में खेल-खेलकर उनका बचपन बीता। पांच बहन-भाइयों के बीच धनराज के यहां धन की कमी होते हुए भी उन्हें खेल के लिए पूरा नैतिक समर्थन प्राप्त हुआ। धन की कमी के कारण धनराज व उनका भाई हॉकी ख़रीदने में पैसे खर्च करने में असमर्थ थे। अत: वे इसके स्थान पर टूटी हुई हॉकी को रस्सी से बांध कर उससे खेला करते थे।
धनराज पिल्लै को 1994 में ‘वर्ल्ड इलेवन टीम’ के लिए चुना गया। 1998 में उन्होंने भारतीय टीम का नेतृत्व हालैंड में विश्व कप में किया। उन्होंने अपने हॉकी के खेल की शुरुआत पुणे के एस.बी.एस. हाईस्कूल से की। 1985 में उन्हें इम्फाल में होने वाली जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए महाराष्ट्र की टीम के लिए चुना गया। अगले वर्ष उनका चुनाव सीनियर टीम के लिए हो गया। वह तब से लगातार महाराष्ट्र और मुम्बई की ओर से राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेल रहे हैं। 1991-1992 में लखनऊ में होने वाले फेडरेशन कप में वह मुम्बई टीम में थे, जो विजयी रही थी।
धनराज पिल्लै को दो बार सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी चुना गया। पहली बार 1992 में बेल्जियम, हालैण्ड, इंग्लैंड और स्पेन में हुई सीरीज में चुना गया और दूसरी बार 1994 में लखनऊ में हुए ‘इन्दिरा गांधी गोल्ड कप टूर्नामेंट’ में उन्हें सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया। वह वर्ष 2003 तक ही 400 से अधिक मैच खेल चुके थे।
1995 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया। 1998-1999 के लिए उन्हें के.के. बिरला फाउडेशन पुरस्कार’ दिया गया। 1999 में धनराज को ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। 2001 में उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। 1989 में आल्विन एशिया कप में पहली बार धनराज पिल्लै अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर शामिल हुए, उस टीम ने रजत पदक जीता।
धनराज पिल्लै सितम्बर, 2000 में सिडनी ओलंपिक में टीम के सदस्य थे। उन्होंने एक गोल किया था और टीम 7वें स्थान पर रही थी। जुलाई-अगस्त, 1996 में अटलांटा ओलंपिक में टीम आठवें स्थान पर रही। उन्होंने दो गोल किए। जुलाई-अगस्त, 1999 में बार्सीलोना में टीम के सदस्य थे। विश्व कप – 2002 में कुआलांलपुर में दो गोल, 1998 में उत्रेची में दो गोल, कैप्टन बने। विश्व 11 खिलाड़ियों की टीम में धनराज का चयन। चैंपियंस ट्राफी – 2002 में कोलोन में दो गोल, प्लेयर आफ द टूर्नामेंट ।