*लौट आया हूं, फिर से संघर्षों के मैदान में…* *अंदाज वही है, सिर्फ तरीका बदला है…*
लखनऊ *केन्द्रीय केबिनेट ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बीएसएनएल को समाप्त करने के लिये और मुकेश अम्बानी को सीधा फायदा पहुंचाने के लिये बीएसएनएल के राष्ट्र में स्थापित लगभग 70000 मोबाइल टॉवर की एक अलग से सब्सडायरी कम्पनी बनाने को नीतिगत सहमति प्रदान कर दी है।*
*इससे बीएसएनएल के सभी 70000 मोबाइल टॉवर्स बीएसएनएल के स्वामित्व से निकलकर अलग कम्पनी के तहत संचालित होंगे एवं बीएसएनएल को इन टॉवर्स की सेवा के लिये अलग से शुल्क चुकाना होगा यानी बीएसएनएल को अपरोक्ष रूप से घाटे में लाने का एक अंतिम प्रयास।*
*इन टॉवर्स का लाभ अब प्राइवेट मोबाइल कम्पनी उठा पाएंगी और उन्हें दुर्गम इलाकों में जहां बीएसएनएल कर्मियों ने विपरीत परिस्थितियों में रात दिन कार्य कर देश की रक्षा सुरक्षा में इन्हें स्थापित किया।*
*मिजोरम, त्रिपुरा, आसाम, जम्मू कश्मीर, झारखंड, उत्तराखंड, छतीसगढ़, आंध्रप्रदेश की नक्सलियों के इलाकों एवं अन्य कई राज्यों के दुर्गम इलाकों में इन्हें लगाया।*
*प्राइवेट मोबाइल ऑपरेटर और विशेष रूप से मुकेश अम्बानी यह चाहते थे कि बीएसएनएल के मोबाइल टॉवर्स की सब्सडायरी कम्पनी बनने से उसे इन इलाकों में अपने टॉवर्स स्थापित करने के लिये भारी भरकम राशि और समय की बर्बादी को रोकने का ये आसान तरीका है।*
*साथ ही आज जियो के मुकाबले वोडाफोन, एयरटेल, एयरसेल और अन्य कई मोबाइल कम्पनियां संघर्ष नहीं कर पाई।*
*केवल और केवल बीएसएनएल कर्मियों ने अपने बूते इस आक्रमण को झेला और देश की जनता ने बीएसएनएल का साथ दिया जबकि मोदी सरकार ने आते ही ऐलान किया था कि बीएसएनएल को आर्थिक सहायता की जायेगी ताकि उन्नत टेक्नोलॉजी लाए जा सके लेकिन कथनी और करनी में अंतर सिद्ध करते हुए बीएसएनएल को ही समाप्त करने का निर्णय लिया। अभी संचार राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि बीएसएनएल की परफॉर्मेंस बेहतर है और बिना सरकारी सहायता के उसने लगभग 4000 करोड़ रुपये आय की है तो जनाब आपने क्या किया, क्यों झूठे आश्वाशन दिये, ये तो बीएसएनएल कम्पनी के कर्मचारियों के रातदिन मेहनत का परिणाम है। आपने नई टेक्नोलॉजी लाने के लिये क्या सहायता दी, उल्टे हमारी कम्पनी के 400000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार खा गई।*
प्रारम्भ से ही यह सूचित किया था कि सरकार कोई सहायता नहीं करेगी बल्कि ये बीएसएनएल को धीरे धीरे खत्म ही करेगी और आज ये मोदी केबिनेट के इस प्रस्ताव से साबित भी हो गया।*
*आपको याद दिला दें कि इस मोबाइल सब्सडायरी कम्पनी बनाने के प्रस्ताव के विरुद्ध बीएसएनएल के सभी कर्मचारियों, अधिकारियों ने एक साथ लामबद्ध हो इसका घोर विरोध करते हुए दिनांक 15 दिसम्बर 2016 को एकदिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी।*
*आज आम जनता और बीएसएनएल को बचाने के लिये एकबार फिर संघर्ष का बिगुल फुंकने का समय आ गया है।*
*जनता भी याद करे कि जब बीएसएनएल को मोबाइल लाइसेंस नहीं मिला था तो ये प्राइवेट मोबाइल कम्पनी वाले उनसे इनकमिंग कॉल का भी शुल्क वसूलते थे।*
*जियो के आने के बाद घाटे में जा रही कई प्राइवेट मोबाइल कम्पनी ने आपस मे हाथ मिलाकर कई तो आपस मे मर्ज हो गई है और कई मर्ज होने के कगार पर है, सभी कम्पनियां चाहती है कि बीएसएनएल नहीं रहेगा तो ये आपस मे मिल बांटकर एकजुट हो मोबाइल की कॉल दरें बढ़ा सकेंगे।*