डाक्टर शाश्वत की हत्या सेंट स्टीफन अस्पताल के रेडियोलोजी बिभाग मे एक डाक्टर की निर्मम हत्या हो जाना एक बडा सवाल है । सेन्ट स्टीफन अस्पताल दिल्ली का बडा अस्पताल माना जाता है । इस हत्याकाण्ड मे भले ही एक अन्य डाक्टर का नाम आ रहा है। निश्चित रुप से इस हत्याकाण्ड मे सीधे तौर पर डाक्टर सुयश का नाम आ रहा है लेकिन इस घटना को अंजाम देने के लिये डाक्टर सुयश के साथ और लोग भी शामिल हैं जो अस्पताल प्रशासन से जुडें हैं । अस्पताल प्रशासन को और वहां काम्ं करने वाले हर डाक्टर एवं कर्मचारी को यह पहले से मालूम था कि डाक्टर शाशवत पान्डे का डाक्टर सुयश से काफी दिनो से अनबन चल रहा था । डाक्टर शाश्वत पण्डय ने डाक्टर सुयश की शिकायत भी थी । शिकायत एक बार नही बल्कि कई बार की थी । दवाब बढ्ने पर अस्पताल प्रशासन ने आरोपित डाक्टर को अस्पताल से निलम्बित तो कर दिया लेकिन इस रसूखदार आरोपित डाक्टर पर इसका कोई खास असर नही हुआ इसके बाद पुलिस इसे आपसी रंजिश बता रही है लेकिन हत्या से पहले जो कुछ भी हुआ उससे साफ है कि आरोपी की गलत हरकतों से अस्पताल परिसर का माहौल बिगड रहा था। उसे व्हाटस अप पर जान से मारने की धमकी देना, यही नही एक दिन रात मे डाकटर सुयश अस्पताल मे चाकू लेकर डाक्टर शाश्वत पण्डय की हत्या करने नियत से उस समय घुस गया जब मरीजों को डाक्टर अटेंड कर रहे थे । बहरहाल उस दिन किसी तरह डाक्टर शाश्वत ने अपनी जान बचाई। खुलेंआम हाथ मे चाकू लेकर हत्या की नियत अस्पताल मे घुसना जिसका वीडियो सीसी टीवी मे भी मौजुद है। डाक्टर सुयश के पास इतनी हिम्मत कहा से आई , साफ है कि इसके पोछे कई रसूखदार लोग डाक्टर सुयश के साथ इस घटना को अंजाम देने मे उसका समर्थन कर रहे थे । खुलेआम अस्पताल मे चाकू लेकर हत्या की नियत से घुसना साफ तौर धारा 307का केस बनता है । आखिर आरोपित डाक्टर के खिलाफ धारा 307 के तहत मुकदमा क्यों नही अस्पताल प्रशासन की तरफ से दर्ज कराया गया। अस्पताल प्रशासन का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी ने इसके खिलाफ आवाज क्यों नही उठाई।अस्पताल प्रशासन क्यों खामोश रहा, यह सोचने वाली बात है ।आखिरकार 25अगस्त की रात डाक्टर सुयश ने डाक्टर शाश्वत पान्डे की चाकू से गोद्कर हत्या कर दी। अगर देखा जाय तो अस्पताल प्रशासन की
लापरवाही और मिलीभत से यह घटना हुई। सीसी टीवी मे हत्या का सबूत मौजूद है, आरोपित डाक्टर फरार है और अभी तक पुलिस उसे गिरफ्तार नही कर पायी है।आम तौर पर ऐसी स्थिति मे पुलिस आरोपित के परिजनो और उसके संगी साथियों को उठा लेती है और पूछताछ करती है लेकिन इस तरह की कोशिश पुलिस की तरफ से अब तक नही की गई है। यहां भी पुलिस की भुमिका सन्देह के घेरे मे है। फिलहाल इस घटना ने मेडिकल कालेजों की पोल खोल कर रख दी।इसके पहले इस तरह की घटनाएं मेडिकल कालेजों के कैम्पस मे हो चुका है जो अब तक न्याय की दहलीज पर खरे नही उतरे।डाक्टर शाश्वत की हत्या से एक मा की गोद सूनी हो गई और देश ने एक डाक्टर खो दिया। लेकिन क्या इस घटना के बाद भी मेडिकल कालेज सुधार की तरफ बढेंगे । डाक्टर शाश्वत का दाखिला 2015 मे डीएनबी परीक्षा के माध्यम से सेन्ट स्टीफेन कालेज के रेडियोलाजी बिभाग मे हुआ था। डाक्टर शाश्वत के माता पिता भी इलाहबाद मे डाक्टर है।