जिन बाबाओं को अखाड़ा परिषद ने फर्जी करार दिया है उनके संबंध सियासी दलों से बहुत गहरे और मधुर रहे हैं। अखाड़े ने नि:संदेह किसी की परवाह न करते हुए तपती भट्टी में हाथ घुसेड़कर कथित धूर्त, इच्छाधारी, पाखंड़ी, ढोंगी, स्वयंभू संतों को एक्सपोज करके नंगा कर दिया है। कई बाबा तिलमिला उठे हैं। हिंदुओं की बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पूरे हिंदुस्तान के फर्जी बाबाओं यानी इच्छाधारी संतों की एक लिस्ट जारी की है। चौकाने वाली बात यह है इन सभी बाबाओं के मजबूत राजनैतिक कनेक्शन रहे हैं। राजनेताओं के आशीर्वाद से ही इनका किला खड़ा हुआ था। निश्चित तौर पर इस कदम को बड़ी हिम्मत के साथ-साथ स्वागत योग्य फैसला कहा जाएगा। लेकिन यह लिस्ट जारी करते-करते अखाड़े ने बहुत देर कर दी। बहुत पहले जारी हो जानी चाहिए थी ये लिस्ट। फर्जी संतों ने कइयों की जिंदगी नर्क कर दी, कइयों के घर उजाड़ दिए। सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों का हुआ है जो धार्मिक आस्थाओं के प्रति अटूट विश्वास रखते थे क्योंकि भारत की पहचान सदा से ही साधु-संतों से जुड़ी रही है। लेकिन पिछले एक-दो दशक से कुछ फर्जी बाबाओं ने अपनी काम वासनाओं के चलते सब कुछ खंडित कर दिया है। भारतीय हिंदु संतों की प्रमुख संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् ने कुल चौदह ढोंगी संतों की एक सूची मीडिया में जारी की है। सूची में जेल की हवा खा रहे बाबा रामपाल, गुरमीत राम रहीम, आसाराम, नारायण साईं व असीमानंद के अलावा निर्मल बाबा, राधे मां व अन्य ऐसे इच्छाधारी बाबा शामिल हैं जो पिछले कुछ सालों में अपनी करनी के चलते विवादों में रहे हैं।
गोल-गप्पा खिलाकर लोगों की हर समस्या का समाधान करने वाले निर्मल बाबा जैसे ढोंगियों के झांसे में लोग कैसे खिंचे चले आते हैं। इस पर भी अखाडे की ओर से कई चौंकाने वाले तथ्य बताए गए हैं। उनका मानना है कि राधे मां और निर्मल बाबा जादू-टोटके से लोगों को अपनी ओर खींचते हैं। बाबाओं की कारस्तानियों ने सबको सकते में डाल रखा है। महिलाओं की अस्मत से खिलवाड़ करना इन बाबाओं की दिनचर्याओं में शामिल था। लाज-शर्म की वजह से कुछ महिलाएं नहीं बोलती थीं। उन्हीं का ये बाबा फायदा उठाते थे। खैर, इनके खिलाफ अब पूरा अखाड़ा परिषद मुखर हो गया है। कुछ दिन पहले ही इलाहाबाद में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की कार्यकारिणी की बैठक हुई। बैठक में फर्जी बाबाओं की सूची तैयार कर उसे सार्वजनिक कर दिया। साथ ही अखाड़े की ओर से इन बाबाओं का देशव्यापी बहिष्कार करने की अपील भी की गई है। इन बाबाओं के अलावा इस लिस्ट में सच्चिदानंद गिरी उर्फ सचिन दत्ता, ओम बाबा उर्फ विवेकानंद झा, इच्छाधारी भीमानंद उर्फ शिवमूर्ति द्विवेदी, स्वामी असीमानंद, ऊं नम: शिवाय बाबा, कुश मुनि, बृहस्पति गिरि और मलकान गिरि शामिल हैं।
फर्जी बाबाओं के नाम बताते हुए परिषद के अध्यक्ष महंत धर्मेन्द्र गिरि ने कहा कि इन बाबाओं की वजह से सनातन धर्म को बहुत नुकसान हुआ है। मंहंत बिल्कुल सच कह रहे हैं। इन इच्छाधारी बाबाओं ने साधु-संतों की आस्थाओं व विश्वास पर सीधी चोट मारी है। इनकी इन हरकतों से सच्चे संत आहत हैं। अखाड़े ने फैसला किया है कि जारी की गई सूची को केन्र्द सरकार, सभी राज्य सरकारों, चारों पीठों के शंकराचार्य, 13 अखाड़ों के पीठाधीश्वरों को भेजेंगे और उनके बहिष्कार की मांग करेंगे। अखाड़ा परिषद कोशिश करेगा कि इन बाबाओं को कुंभ, अद्र्धकुंभ, और दूसरे धार्मिक समागमों में प्रवेश न मिले, इसका भी इंतजाम किया जाएगा। ऐसा करने से इन इच्छाधारी बाबाओं के हौसले पस्त होंगे। जो लोग अब भी कुछ इंसानों को अपना सब कुछ मानते हैं। उनके लिए यह एक संदेश हो सकता है कि धूर्त बाबाओं व धर्मगुरुओं की कथनी और करनी को अपने विवेक की कसौटी पर परखें। क्योंकि अखाड़े की ओर से शुरूआत की गई है, आगे का रास्ता हम सबको मिलकर तय करना होगा। अखाड़ा परिषद का यह बड़ा साहस का काम है कि अपने जमात के संतों को वह खुद फर्जी बता रहे हैं। हालांकि लिस्ट जारी होने के बाद कुछ बाबा तिलमिला गए हैं। बिग बास फेम बाबा तो गाली-गलौच करने लगे हैं। उन्होंने खुलेआम कह दिया है जिन्होंने यह सूची बनाई है वह खुद फर्जी हैं।
हिंदुस्तान में भक्ति की प्राचीनतम मान्यता है लेकिन कुछ दशकों से भक्ति की आड़ में अंधभक्ति खूब फली-फूली है। इंसान को कोई थोड़ा सा दुख होता है तो सीधे ढोंगी बाबाओं की शरण में पहुंच जाते हैं। हमारी इसी कमजोरी का ये बाबा फायदा उठाते हैं। फर्जी बाबाओं की फौज खड़ी करने वाले हम खुद हैं। इसके लिए सिर्फ-और-सिर्फ हम आप ही जिम्मेदार हैं। यह ठीक है, श्रद्धा में बुद्धि नहीं चलती, तर्क नहीं चलता। लेकिन यह भी तो पूछा जाए कि साधु या बाबा सेब या कोई मिठाई कैसे ला सकता है? यह कोई योग नहीं है बल्कि जादू है-हाथ की सफाई है। हां, सिद्ध योगी या बाबा इस तरह के आचरण का दिखावा करते ही नहीं हैं। प्रदर्शन नहीं करते। खैर, अब ऐसे बाबाओ की पोल खुल चुकी है। आगे से हमें सतर्क रहने की जरूरत है। फर्जी बाबाओं की भीड़ में अच्छे संतों की संख्या कम नहीं है। पर, उन्हें हम पहचान इसलिए नहीं पाते, क्योंकि वह ज्यादा ढोंग-दिखावा नहीं करते। फर्जी बाबाओं के कनेक्शन सभी सियासी पार्टियों से होते हैं, इनके सहयोग से ही से अपना साम्राज्य स्थापित कर पाते हैं। राम रहीम को हरियाणा के नेताओं ने मालामाल कर रखा था। वह इसलिए क्योंकि उनके भक्तों से वोट जो लेना होता था, अखाड़ा परिषद् ने ढोंगियों से बचने की जो पहल की है उस पर गौर करने की जरूरत है। (हिफी)
