आज-कल हर न्यूज़ चैनल दिखा रहा है :–“बाबा की अय्याशी का अड्डा” “गुफा का रहस्य” “दत्तक पुत्री का सच”” ऐसी कितनी ही कहानियां और गुफा के आभासी वीडियो दिखा कर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। प्रश्न उठता है कि इतने खोजी मीडिया चैनल इतने सालों से कहाँ थे?? न तो बाबा नया है , न ही गुफा रातों रात बन गई है, फिर ये कैसी दबंग पत्रकारिता जो अब तक सो रही थी, अब बाबा के जेल जाते ही मुखरित होने लगी!!
इन स्वार्थी और अवसरवादी चैनलों पर भी जानबूझकर जुर्म छिपाने का आरोप लगना चाहिए, क्योंकि ये दावा करती हैं, देश दुनिया की खबर सबसे पहले,”आपको रखे सबसे आगे! आदि-आदि!!
मीडिया कह रहा है कि लोग इतने अंधविश्वासी कैसे हो गए !
सुबह चैनल खोलते ही राशिफल, बाबाओँ के प्रवचन, तथाकथित राधे माँ का रंगारंग शो !
प्यासी चुड़ैल, नागिन का बदला, कंचना, स्वर्ग-नरक, शनि-देव तमाम अंधविश्वास पर आधारित कार्यक्रम दिन-रात चलाकर लोगों के दिमाग मे गोबर भरते हो और बेशरम बनकर टी वी पर चोटी कटवा जैसे मुद्दे पर डिबेट करवाते हो और पूछ रहे हो कि लोग अंधविश्वासी कैसे बन गए !
अगर वास्तव में आप जनता को सच्चाई दिखाना चाहते हैं तो अपने जमीर को जिंदा कर दिखाए गरीबी से जूझ रहे लोगों को , बढती बेरोजगारी को , रोजाना बढ रही महंगाई को , अस्पतालो की व्यवस्था को , डाकू बने डाक्टरों को , जगह जगह पडे कचरे के ढेरों को ,भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी तंत्रों को जमीनी हकीकत निष्पक्ष जांच न्याय प्रणालियों को दिखाओ तब जाकर नये भारत का सपना कुछ हद तक सही हो सकता है.साभार