स्वप्निल संसार।
गुरुवार रात बड़े इमामबाड़े से सातवीं मुहर्रम पर हज़रत कासिम की शाही मेहँदी का जुलुस निकला गया। हुसैनाबाद ट्रस्ट का शाही मेहँदी का जुलुस अपने तय समय पर रवायती मातमी धुन के साथ निकाला गया।
क्या बचे क्या बड़े बूढ़े जिसको देखो उसकी आँखे नम थी –
नौहे के साथ शहनाई की मातमी धुन अज़ादारों को वह पल याद दिला रही थी जब हज़रत इमाम हसन के बेटे हज़रत कासिम का निकाह हज़रत इमाम हुसैन की बेटी से तय हुआ और हज़रत कासिम उसी दौरान करबला की जंग में शहीद हो गए।
लिंक में देखें नवाब मीर अब्दुला ज़फ़ा ने बताया सातवीं मुहर्रम के जुलुस का इतिहास-