– कुसुम वर्मा को मिला शान्ति देवी सम्मान- भारतीयम् ने मनाया 27वां स्थापना दिवस
लखनऊ, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलैंड, चीन, मलेशिया, सिंगापुर में अवधी लोक गीतों की सुगंध फैलाने वाली सुपरिचित लोक गायिका कुसुम वर्मा को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए शान्तिदेवी स्मृति सम्मान से संस्था के अध्यक्ष निदेशक और भारतेन्दु नाट्य अकादमी के पूर्व निदेशक पुनीत अस्थाना ने अलंकृत किया। 2 नवम्बर 1990 में स्थापित भारतीयम सांस्कृतिक संस्था के 27वें स्थापना दिवस समारोह की कड़ी में रविवार 5 नवम्बर को गोमती नगर विनयखंड स्थित भारतीयम् भवन में संस्कारों की बात लोकगीतों के साथ आयोजित किया गया। इसमें कुसुम वर्मा ने गीतों के माध्यम से संस्कारों के प्रति जागरूक किया।
विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर कार्यक्रम दे चुकी कुसुम वर्मा ने अपनी गुरु प्रो.कमला श्रीवास्तव को नमन करते हुए अपना लिखा और कम्पोज किया लोकप्रिय गीत “बेटी तो धान की फसल, बोयों कहीं रोपयों कहीं कल” सुनाया। विकास नगर स्थित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य के रूप में बेटियों को उनकी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरुक कराने में तल्लीन कुसुम ने पारंपरिक लोकगीत “बाबा निमिया कै पेड़ जिनि काटेऊ निमिया चिरैया के बसेर, बलैया लेहौं वीरन के” सुनाया। इस गीत ने जहां एक ओर प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया वहीं परिवारी के लोगों के बीच आपसी घनिष्ठा को भी उजागर किया। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने सुनाया कि “यहीं अंगना मा खोई हमारी बिन्दिया, सोने की थाली मा ज्यौना परोस्यों, ज्यौ ना ज्यो राजा ढूंढे बिंदिया” और “घर ही मा मंदिर बनइबे, बलम हम तीरथ न करिबे, अपने ससुर का शंकर बनइबे और सासू का मौरा बनाइबे” सुनाया। आर्गन पर अरविंद वर्मा और और ढोलक पर प्रदीप ने बेहरीन संगत दी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम निदेशिका शुभ्रा अस्थाना ने बताया कि बनारस में मंडलीय कमांडेंट होमगार्डस श्रीराम कृष्ण की पत्नी कुसुम वर्मा, डीडी यूपी पर प्रसारित “माटी के बोल” और “अफसाना कह रही हूं”, महुआ चैनल पर “विहाने विहाने” और “भौजी नम्बर वन” की एंकर रहीं हैं। उन्होंने काव्य संग्रह “हृदय कंवल” भी लिखा है। न्यूजीलैंड और मलेशिया में उन्होंने लोक चित्रकला की भी प्रदर्शनियां आयोजित की हैं। इस क्रम में वह 9 जनवरी को इंडोनेशिया और बाली जाएंगी।
नृत्य निर्देशिका रत्ना आनन्द ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवी शान्ति देवी अस्थाना का जन्म 30 दिसम्बर 1922 को वृंदावन की पावन भूमि में हुआ था। आगरा में पढ़ाई करते हुए ही शान्ति देवी स्वतंत्रता आन्दोलनों में सक्रीय हो गईं। प्रभात फेरियों और पिकेटिंग के माध्यम से उन्होंने जन जागृति का कार्य किया। 1945 में उनका विवाह वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ.दरबारी लाल अस्थाना से हुआ। कैसरबाग में गांधी विचार मंच नाम से उन्होंने महिला प्रशिक्षण संस्थान शुरू किया। इस संस्थान के माध्यम से उन्होंने जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई और कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया। अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था श्री राम चन्द्र मिशन की अभ्यासी के रूप में उन्होंने सेवा को ही जीवन का लक्ष्य बनाया। उन्होंने खासतौर से बेटियों की नि:शुल्क शिक्षा को प्रोत्साहित किया। 20 जनवरी 1988 को शान्तिदेवी का देहावसान हो गया।