पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जो युवाओं को अपनी ओर आकृष्ट कर रहा है। आजकल प्रिंट के अलावा इलेक्ट्राॅनिक मीडिया का जोर है। आज जितना क्रेज प्रिंट मीडिया का है, उतना ही इलेक्ट्राॅनिक मीडिया का भी है। आज की पत्रकारिता काफी आगे बढ़ चुकी है। जो समाचार पहले टेलीप्रिंटर या फैक्स से जाते थे, आज इन्टरनेट से कुछ ही मिनट में पहुंच जाता है। इस क्षेत्र में महत्वाकांक्षी युवक व युवतियां पत्रकारिता व मास कम्युनिकेशन का कोर्स कर रहे हैं। यह सच है कि इस क्षेत्र में यश व नाम कमाने की काफी संभावनायें है, लेकिन इस क्षेत्र में वही पैर जमा सकता है जो वैयक्तिक साख रखता है, जिसकी न्यूज स्टोरीज बनाने में भाषा व लिपि की पकड़ है और निर्भीक, जुझारू व मजबूत इरादों के साथ अपने काम करने का जज्बा रखता हो।
सिर्फ रोजाना की खबर व सूचनायें और विज्ञप्तियां भेजना ही पत्रकारिता नहीं है। असली पत्रकारिता वह है जिससे समाज का कल्याण हो। विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय माफिया व भ्रष्ट तत्वों का पर्दाफाश हो जिससे समाज व राजनीति को नई दिशा मिले। पत्रकारिता लोकतंत्र का चैथा स्तम्भ व प्रहरी है। जब कलम तलवार की धार बन जाती है तो इसकी चपेट में आकर समाज, राजनीतिक पुलिस व प्रशासन में सक्रिय अराजक, भ्रष्ट व माफिया आहत हो जाते हैं। ऐसे पत्रकार जो किसी की चाटुकारिता में लिप्त नहीं होते और उन्हें पर्याप्त पैसा व लाभ नहीं मिलता। लेकिन ऐसे पत्रकारों की विशिष्ट पहचान होती है और वे ऐसे टिमटिमाते दिये की तरह होते है जिसकी रोशनी लगातार बढ़ती रहती है।
आजकल कई दैनिक व साप्ताहिक समाचार पत्रों के संवाददाताओं को पर्याप्त वेतन व मेहनताना नहीं मिलता जिससे वे सम्मान का जीवन व्यतीत कर सकें। पत्र या पत्रिका को चलाना एक टेढ़ी खीर है। विज्ञापन इन पत्र व पत्रिकाओं की ढाल है। इसलिए जुझारू पत्रकारिता जोखिम भरी है। जो विज्ञापनदाताओं को भला लगे, वही लिखना पड़ता है। पत्रकार अखबार की प्रसार संख्या में वृद्धि कर सकते हैं किसी अखबार की सामग्री व खबरों और लेखों पर विश्वास पाठकों की संख्या बढ़ाने में सहायक होते हैं।
पत्रकार चाहे वे प्रिंट मीडिया के हों या इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कतिपय पत्रकारों से चिढ़ रखने वाले असामाजिक तत्व उन पत्रकारों की संपादकों से शिकायत करते है जो इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे है। वे योग्य व श्रेष्ठ पत्रकारों को पद से हटाने की जुगत में लगे रहते है। ऐसे जुझारू पत्रकार की अपनी शख्सियत होती है। कई जोखिम भरी पत्रकारिता करते शहीद हो गये। ऐसे पत्रकार अगर पैदल भी हो जायें तो भी उनकी हैसियत व चमक होती है।
प्रिंट मीडिया में जुझारू व संघर्षशील पत्रकारों की कमी खलती है। इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के कई पत्रकार भ्रष्ट व अराजक तत्वों को बेनकाब करने में सफल हो रहे हंै। पहले पत्रकारिता का दायरा सीमित था लेकिन आज पत्रकारिता ग्लोबल बन चुकी है। किसी भी मीडिया साइट को भेजी न्यूज सेकेंडों में सारी दुनिया में सर्कुलेट हो जाती है। किसी भी वेबसाइट में चस्पा न्यूज भले ही अखबारों में न छपे लेकिन करोड़ों व लाखों की संख्या में लोग उसे पढ़ते हैं और वह वायरल हो जाती है। फेसबुक, स्मार्टफोन व व्हाट्सअप पर न्यूज अपलोड हो जाती है। आज पत्रकारों के पास बहुत बड़ी ताकत है। यह उस चिंगारी की तरह है जिसे शोले बनने में देर नहीं लगती है। रचनात्मक पत्रकारिता समाज का आईना होती है व समाज का भला करती है जबकि नकारात्मक पत्रकारिता समाज को हानि पहुंचाती है। पत्रकारिता का मिजाज व असर भी अलग-अलग होता है।
पत्रकारिता की शक्ति ने बदली है बड़ी-बड़ी सत्तायें। ऐसी पत्रकारिता पर राजद्रोह व देशद्रोह का केस नहीं चल सकता क्योंकि यह ऐसी पत्रकारिता होती है जो सारे समाज का आईना होती है। ऐसी खबरें एसी कमरों में नहीं बनती है। बनती है गांवों, कस्बों, सड़कों, गलियों व नुक्कड़ों से जब लोग असलियत को बयां करते हैं तो निहित स्वार्थ तिलमिलाते हैं। इसे पीत व फर्जी पत्रकारिता का नाम देते हैं।
खबरें छुपाने की प्रवृत्ति खतरनाक है। सच्चाई उजागर होनी चाहिए। खबरें दबाई जाती हैं लेकिन एक दिन उन पर से पर्दा उठता है जो बाहर से देश में आकर वायरल हो जाती है। चाहे भ्रष्टाचार का मुद्दा हो या उत्पीड़न का या माफिया तत्वों का उत्पात। ये खबरें चलती हैं और लोकप्रियता बटोरती हैं। तब धरने, प्रदर्शन व आंदोलन होते हैं तो एक दिन पावर का अपराधी भी जेल की सलाखों के भीतर बंद होता है। ऐसी पत्रकारिता समाज को स्वच्छ बनाती है। पत्रकारिता सच्ची व तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। किसी की मर्यादा का हनन न हो। ईष्र्या व द्वेषपूर्ण न हो अन्यथा पत्रकारिता अपयश की भागी होती है। (हिफी)
