प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब भारत स्वच्छता मिशन की शुरूआत की थी, तब कुछ विपक्षी दलों ने इसका उपहास उड़ाया था लेकिन विपक्षी दल के रूप में भी जद(यू) के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस अभियान का खुले आम समर्थन किया था। इस खुले समर्थन की तत्कालीन महागठबंधन के दूसरे सबसे बड़े नेता लालू प्रसाद यादव ने आलोचना भी की थी। स्वच्छता अभियान अपने आप में निर्विवाद है। बिहार में नीतीश कुमार ने इस अभियान को शुरू से ही अपनाया और अब इसमें नये-नये प्रयोग भी किये जा रहे हैं। खुले में शौच से मुक्त राज्य बनाने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने हर संभव कदम उठाने की तैयारी कर रखी है। इसके लिए कड़े नियम तो बनाए ही जा रहे हैं, साथ ही प्रेरणा दायक कार्य भी हो रहे हैं। इसी के तहत खुले में शौच करने वालों की फोटोग्राफी करायी जाएगी।
कुछ लोग इसे व्यक्ति की निजता पर प्रहार भी कह सकते हैं लेकिन ऐसी निजता जो पूरे समाज को प्रभावित करती हो, उसे निजता की सीमा में नहीं बांधा जा सकता। देश के अन्य हिस्सों की तरह बिहार में भी खुले में शौच करने से रोकने के लिए जागरूकता के भरपूर उपाय किये जा रहे है। सरकारी और गैर सरकारी संगठन इसमें लगे हुए है। इसके बावजूद कुछ लोग अपनी इस आदत से बाज नहीं आ रहे। परिवार में महिलाएं और बच्चे घर में शौचालय के प्रति अपनी सीमा तक आग्रह भी करते हैं लेकिन पुरूष प्रधान इस समाज में चलती तो पुरूषों की ही है। इसलिए बिहार सरकार ने राज्य के शिक्षकों को एक अतिरिक्त दायित्व सौंपा। इसे औरंगाबाद जिला प्रशासन ने सबसे पहले लागू किया। यहां के देव ब्लाक की पवई पंचायत को इसी साल 31 दिसम्बर तक खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्य में 61 प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों के 144 शिक्षकों को यह अतिरिक्त दायित्व सौंपा गया है कि खुले में शौच करने वाले का फोटो खींच लें।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने इसका विरोध किया। शिक्षक संघ का कहना है कि हम लोग स्वच्छता अभियान में शुरू से ही सरकार और प्रशासन के साथ है लेकिन यह फोटों ग्राफी का निर्देश कई दिक्कतें खड़ी करेगा। शिक्षकों को अपनी गरिमा के साथ-साथ सुरक्षा को भी खतरा लग रहा है। यह सही है अगर फोटोग्राफी करने वाले शिक्षक पर कोई हमला कर दे तो उसे कौन बचाएगा? गांवों में सुबह 6-7 बजे और शाम को 5-6 बजे खुले में शौच करने वाली महिलाओं और लड़कियों की फोटो कैसे खींचेगे? शिक्षकों का यह सवाल निश्चित रूप से विचारणीय है। (हिफी)