रूमी दरवाजा से शुरू अभियान से जुड़ कर स्वच्छ हवा के लिए एकजुट हुए नागरिक की मांग रखी
स्वप्निल संसार:लखनऊ: सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवपलमेंट (सीड) ने सिविल सोसायटी संगठनों के साथ मिल कर शहर के
मशहूर स्थल रूमी दरवाजा के पास एक जन जागरूकता अभियान संचालित किया, जिसका मकसद शहर और समूचे राज्य में गंभीर होते वायु प्रदूषण और इससे पैदा जन स्वास्थ्य संकट के प्रति लोगों को सचेत करना था। नागरिक केंद्रित यह पहल सीड के ‘‘100 परसेंटयूपी’’ अभियान की एक कड़ी है, जो एक सततशील पर्यावरण के लिए सर्वांगीण दृष्टिकोण पर बल देती है और राज्य सरकार से अविलंब एक स्वच्छ वायु कार्ययोजना (क्लीन एयर एक्शन प्लान) निर्माणकरने की अपील करती है, जिसमें शहर व राज्य में बदतर होती वायु गुणवत्ता से निबटने के लिए एक प्रभावी, व्यावहारिक और स्वदेशी समाधान समाहित हों।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा रिलीज किये गये एयर क्वालिटी डाटा के अनुसार लखनऊ गत 14 नवंबर को सभी नगरों में सबसे प्रदूषित शहर था और यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स ‘‘बेहदगंभीर’’ केटेगरी में थी, जो दिल्ली से भी ज्यादा रही। शहर की हवा में बेहद सूक्ष्म व बारीक प्रदूषित कण (पर्टिकुलेट मैटर2.5) का संकेंद्रण सुरक्षित सीमा 60 µg/m3 से 7 गुना ज्यादा था, जिसके
पीछे यातायात व वाहन जनित प्रदूषण की उच्च स्थिति तथा देश के पश्चिमी भागों में खुले में कृषि अवशेष जलावन से पैदा सीमा पार प्रदूषकों के फैलाव को जिम्मेवार माना गया है। लखनऊ की हवा में पीएम2.5का जमाव बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे श्वास संबंधी और फेफड़े की बीमारियां जैसे, आखों में जलन, गले में पीड़ा, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हाइपरटेंशन और सांस लेने में तकलीफ पुराने मरीजों के अलावा स्वस्थ लोगों में लगातार बढ़ रही हैं। इन सूक्ष्म प्रदूषित कणों के लंबे संपर्क में रहने से फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है।
इस मौके पर सीड के हेड-पॉलिटिकल एडवोकेसी मुन्ना झा ने कहा कि ‘केवल दिल्ली ही अकेली समस्याग्रस्त नहीं है। समूचे गंगा के मैदानी इलाके की हवा जहरीले गैसों तथा बारीक प्रदूषित कणों सेप्रदूषित हो गयी है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। हम अब इस समस्या के प्रति आंख मूंदे और इसे नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं रह सकते। एयर पॉल्युशन देश में 20 प्रतिशत मौतों का मुख्यकारण बन गया है। हम हाथ बांधे निष्क्रिय नहीं रह सकते, बल्कि हमें वायु प्रदूषण से निजात पाने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा।’ उन्होंने ‘‘100 परसेंट यूपी’’ कैंपेन पर प्रकाश डालते हुए आगेबताया कि ‘एक नागरिक पहल के रूप में सीड इस मसले पर स्टैक्होल्डर्स की बड़ी संख्या, जिसमें संगठनों व
संस्थाओं के साथ-साथ लखनऊ के आम वाशिंदें भी हैं, के साथ मिल कर एक क्लीन एयर एक्शन प्लान बनाने की मांग कर रहा है, जिसका समय आधारित क्रियान्वयन भी हो। 100 परसेंट यूपी कैंपेन इस तरह की पहल और अन्य भावी प्रयासों को आवाज देने का एक ऐसा ही मंच बन गया है।यह सिटिजन इनीशिएटिव लोगों को विभिन्न जनसंपर्क गतिविधियों के जरिये वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक कर रही है और सरकार व नीति-निर्माताओं के समक्ष यह अपील कर रही है किवायु प्रदूषण को प्राथमिकता के आधार पर निबटा जाये।’
इस मौके पर उपस्थित अमलतास के सचिव, श्री अजय शर्मा ने कहा कि ‘सीड इस मुद्दे को जन भागीदारी के साथ सामने लाने में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है। आज की गतिविधि के जरिये हम यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं कि सरकार को शहर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम करने की दिशा में क्या कदम उठाने की जरूरत है। शहर की आबोहवा में प्रदूषक तत्वों की अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए हमें लखनऊ को एक गैस चेंबर बनने से रोकने के लिए फौरन कार्रवाई करने की जरूरत है।हम सरकार से निवेदन करते हैं कि इस गंभीर पर्यावरणीय समस्या को इमरजेंसी के रूप में लेकर जरूरी कदम उठाये, साथ ही स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए जल्द वायु प्रदूषण जनित स्वास्थ्य संबंधी हेल्थ एडवायजरी भी जारी करे।’
किसी अन्य एनफोर्समेंट फ्रेमवर्क की तरह क्लीन एयर एक्शन प्लान में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए संस्थागत व्यवस्था के तहत प्रदूषण
स्रोत के अनुसार चिन्हित रेगुलेशन और मैनेजमेंट उपायप्राथमिकतावार कदमों की कड़ी में रखा जाना चाहिए। इसके अलावा रियल टाइम डाटा मॉनिटरिंग में सुधार के लिए क्लीन एयर एक्शन प्लान बेहद आवश्यक है, ऐसे में इसे हरेक प्रदूषक क्षेत्र की एमिशन प्रोफाइल तैयार करने के लिए स्रोत संविभाजन अध्ययन (सोर्स एपोर्शमेंट स्टडी) को भी शामिल करने पर जोर देना चाहिए। एक सुपरिभाषित व सुनियोजित स्वच्छ वायु कार्ययोजना के निर्माण से ही वायुप्रदूषण के स्तर को प्रभावी और दीर्घकालिक ढंग से कम करने में मदद मिलेगी। शहर की वायु गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए सुधारात्मक व निवारक उपायों को अविलंब स्वीकार करना आज के समय की मांग है।