प्रदूषण ने इंसान ही नहीं भगवान को भी परेशान कर रखा है। उज्जैन में महाकालेश्वर के भस्म अभिषेक से पहले उन्हें सूती कपड़े से ढका जाने लगा और मां वैष्णव देवी के दर्शन करने वालों से वहां तक पाॅलीथिन किसी भी हालत में न ले जाने का अनुरोध किया गया है। वहां एक अन्य रास्ता भी बनाया जा रहा है। इंसानों को समझाया जा रहा है कि खेतों में परेली को न जलाएं, धूल उड़ने से रोकें और वाहनों का धुआं कम करंे। इन सभी पर पूरी तरह रोक नहीं लगायी जा सकती लेकिन सर्दी के मौसम मेें जब खतरनाक धूल पृथ्वी पर छायी रहती है तब यह संास के माध्यम से सीधे हमारी आहारनाल में पहुंच जाती है और अस्थमा व कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। स्मांग के चलते यातायात बाधित होता है और दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ जाती है। सबसे घातक असर शरीर पर होता है। कई वर्षों से इस बारे में चेतावनी दी जा रही है लेकिन उसका कोई असर नहीं पड़ा है। पिछले वर्ष भी दिल्ली में इसके भयंकर दुष्परिणाम देखे गये थे। इस बार भी वहां लोग मास्क लगाकर चल रहे हैं। दिल्ली सरकार ने कुछ दिनों के लिए बच्चों के स्कूल बंद कर दिये। दिल्ली के साथ ही देश के कई शहरों में प्रदूषण ने सर्दी के साथ मिलकर लोगों को बीमार कर दिया है। इससे बचने के लिए हमें प्रदूषण को रोकना होगा, साथ ही घरेलू औषधियों का भी सहारा लेना पड़ेगा। स्मॉग की वजह से जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह समय अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता बरतने का है। यदि इस समय हम इस जहरीली हवा से बचें तो अस्थमा और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को अपने शरीर में प्रवेश करने से रोक सकते है। दिल्ली-एनसीआर की हवा में मौजूद नाइट्रोजन ऑक्साइड केवल अस्थमा और चेस्ट इंफेक्शन के मरीजों को ही अपनी चपेट में नहीं ले रहा है. यह स्वस्थ लोगों को भी अपना शिकार बना रहा है. अस्पतालों में ऐसे लोगों की संख्या बढ रही है जिन्हें प्रदूषण के इस आपातकाल से पहले कोई शिकायत नहीं थी. लेकिन पिछले कई दिनों से इन्हें बलगम की शिकायत के बाद बुखार अपनी चपेट में ले रहा है।
डॉक्टरों की मानें तो हवा में मौजूद एनओ-टू कण खाने की नली के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं. जिसके बाद हमें गले में खराश और बलगम की शिकायत होती है. मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के ईएनटी (कान-नाक-गला) विभाग की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. यहां ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है जिन्हें पहले केवल खांसी और बलगम की शिकायत थी लेकिन अचानक ही उन्हें बुखार ने अपनी चपेट में ले लिया।
दिल्ली-एनसीआर की हवा में घुल रहे इस जहर में बाहर निकलना हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है. पॉल्यूशन का यह साइलेंट किलर हमारी आंख, नाक, गले से होता हुआ हमारे फेंफडों, दिल और लीवर तक पहुंचता हुआ हमारी किडनी को इफैक्ट करता है. लेकिन इसका पता हमें लंबे समय बाद लगता है. इसलिए शुरुआत में ही हमें इस मामले में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. दरअसल हवा में मौजूद पीएम कण हमें सांसों और हृदय से संबंधित बीमारियों के साथ-साथ कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में ला सकता है। दिल्ली के अलावा लखनऊ जैसे शहर में भी स्मांग काफी बढ़ गया है। अपने आस-पास आज की स्थिति में जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं उसमें मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड के चलते हमें जल्दी सुस्ती आने लगती है हमारे स्टैमिना में कमी आती है. इसके अलावा हवा में घुल रहे इस जहर में मौजूद कार्बनडाइ ऑक्साइड और नाइट्रोजनडाइ ऑक्साइड से भूलने की बीमारी व गले-फेफडें़ के इंफेक्शन व अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती है।
सुबह हल्दी, अदरक और तुलसी का रस लेना चाहिए, क्योंकि इनमें भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स हैं. एंटीऑक्सीडेंट न केवल हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करते हैं, बल्कि सेहत से जुड़ी दूसरी परेशानियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट प्रदूषण की वजह से हमारे शरीर में पहुंचे हानिकारक तत्वों को बाहर निकालते हैं और हमारी सेहत को ठीक रखते हैं। चिकित्सकों का मानना है कि तुलसी का अपना औषधीय महत्व है, लिहाजा इस मौसम में तुलसी का सेवन बेहद फायदेमंद है। शहद और गुड़ का सेवन भी हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. हवा में फैल रहे प्रदूषण से बचाने के साथ ही हमारे शरीर को बीमारियों के प्रभाव से बचाता है. लहसुन भी इम्यूटी बढ़ाने में काफी ज्यादा असरदार होता. यह कफ से निजात दिलाने में मददगार होता है। विटामिन सी की अधिक से अधिक खुराक लेनी चाहिए. इसके लिए हमें संतरा, आंवला, नींबू और अमरूद जैसी विटामिन सी से भरपूर चीजों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। आंवला और एलोवेरा जूस भी प्रदूषण के मौसम में हमारी त्वचा को बचाने में काफी फायदेमंद है। सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से धोकर ही इस्तेमाल करें, क्योंकि वे खुले में प्रदूषित होते हैं. इसके अलावा हमें अपने आसपास पौधे लगाने चाहिए, क्योंकि इससे हमें ताजा ऑक्सीजन मिलती है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने सलाह दी है कि फिलहाल लोग सुबह और शाम लंबी वॉक न करें. आउटडोर पार्टियां करने से बचना चाहिए. इंडोर एक्सरसाइज में खासतौर पर ट्रेडमिल पर व्यायाम न करें। डॉ. अग्रवाल ने सलाह देते हुए बताया कि फिलहाल घर के बाहर जहां पर भी धूल है, वहां पानी का छिड़काव करें. कार को पूल करें. बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें. दोपहिया चालक और सवार मुंह पर मास्क लगाकर घर से बाहर निकलें. खास तौर पर हृदय और अस्थमा के मरीजों के अलावा बुजुर्ग और बच्चों को कम से कम घर से बाहर निकलना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय हृदय और फेफड़े के मरीजों को खास तौर पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. उन्होंने बताया कि प्रदूषण का यह बढ़ा हुआ स्तर अस्थमा को बढ़ा रहा है और ऐसे वातावरण में हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है।
मौसम तो प्रकृति के अंग हैं। इन पर नियंत्रण नहीं कर सकते लेकिन प्रदूषण को नियंत्रित करने में हम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सर्दी के दिनों में वायु का दबाव कम हो जाता है तो धूल के कण ऊपर नहीं जा पाते हैं। धूल के कणों को उत्पन्न होने से हम रोक सकते हैं। इसलिए सबसे पहला काम तो हमें प्रदूषण कम करने के लिए करना होगा। इसके पश्चात भी यदि प्रदूषण के चलते स्मांग बढ़ता है तो शरीर को निरोग रखने के लिए खान-पान पर ध्यान देना होगा। हल्दी, अदरक और तुलसी पत्र जैसी देशी औषधियों का सेवन करके भी स्मांग जनित बीमारियों से बचा जा सकता है। (हिफी)