शिक्षा एवं स्वास्थ्य
मोदी सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के गठन का फैसला किया है। यह एजेंसी सभी प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन करेगी। फिलहाल इस एजेंसी के गठन की प्रक्रिया चल रही है लेकिन चिकित्सा, इंजीनियरिंग और विधि की परीक्षाएं तो हर साल होती ही हैं और जब तक एनटीए की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब इन सभी प्रवेश परीक्षाओं का पुराना रूप ही जारी रहेगा। अगले साल 2018 में शुरू में ही
विधि (कानून) के लिए होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा क्लैट के लिए आनलाइन आवेदन प्राप्त किये जाएंगे। इस बार परीक्षाएं केरल के कोच्चि स्थित द नेशनल यूनिवर्सिटी आफ एडवांस लीगल स्टडीज आयोजित करवा रही है। कामन ला एडमीशन टेस्ट (क्लैट) में देश के 19 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय शामिल होंगे।
इस परीक्षा में आवेदन के लिए योग्यता इंटर पास होने की होती है। कोई भी छात्र-छात्रा जो 12वीं की परीक्षा 45 फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण हो वह इस प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर सकता है। आरक्षण के नियम भी इसमें लागू होते हैं। इसलिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए 40 फीसद अंकों के साथ इंटर परीक्षा पास होना जरूरी है। इसके साथ ही वे भी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं जिनको अगले वर्ष मार्च या अप्रैल में इंटर परीक्षा उत्तीर्ण करनी है वशर्ते वे निर्धारित अंक प्राप्त कर लें। देश के चुनिंदा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में चल रहे एलएलबी आनर्स एवं एलएलएम कोर्स के लिए भी क्लैट परीक्षा होती है। हर वर्ष की तरह 2018 में भी एक जनवरी से इस परीक्षा के लिए आनलाइन आवेदन दिये जा सकते हैं। आन लाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च है। इसकी प्रवेश परीक्षा 13 मई को शाम 3 बजे से 5 बजे तक होगी। प्रवेश परीक्षा में आवेदन के लिए संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा (क्लैट-2018) की अधिकृत वेवसाइट ीजजतरूध्ध्ूूूण्बसंजण्ंबण्पद पर आवेदन फार्म एक जनवरी 2018 की सुबह से ही उपलब्ध हो जाएंगे। इस परीक्षा के लिए आवेदन की तैयारी के साथ परीक्षा की तैयारी के लिए भी भरपूर समय है और इसके लिए नियमित
अध्ययन करना होगा। इसलिए अच्छे विधि विश्वविद्यालय में प्रवेश लेना है तो अभी से इसकी तैयारी भी शुरू करनी होगी।
व्यावहारिक शिक्षा का महत्व
आज गुणवत्ता परक शिक्षा की ज्यादा जरूरत है। केन्द्र सरकार भी इस पर जोर दे रही है और युवाओं को भी महसूस हो रहा कि शिक्षा अब व्यावहारिक होनी चाहिए। व्यावहारिक शिक्षा में गुणवत्ता का समावेश जरूरी है। शिक्षा के क्षेत्र में आजादी के बाद काफी बदलाव आया है। आजादी से पहले ब्रिटिश साम्राज्य ने शिक्षा को क्लर्क बनाने का माध्यम बनाया था ताकि लोग सिर्फ उतना समझ सकें जिससे ब्रिटानिया हुकूमत का काम चलता रहे। आजादी के बाद हमारे देश के शिक्षाविदों ने इस पर बहुत काम किया। इसी के चलते देश की साक्षरता दर प्राइमरी स्कूल शिक्षा के साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भी काफी बदलाव आया है। सरकारी आंकड़ों पर यकीन करें तो आजादी के समय सिर्फ 12 फीसद आबादी साक्षर थी लेकिन 2011 की जनगणना में साक्षरता दर बढ़कर 75 फीसद के लगभग पहुंच गयी थी जो 2017 में 80-82 फीसद तक आ गयी होगी। मेडिकल और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी हमने बहुत तरक्की की है। हमारे देश में 1956 में पहला आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस अर्थात एम्स दिल्ली में खोला गया था। इसी प्रकार 1951 में खड़गपुर में पहला इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग (आईआईटी) खोला गया। अब तो कई एम्स और आईआईटी हो गये हैं। इनमें मुंबई, मद्रास, कानपुर और दिल्ली के आईआईटी बहुत विख्यात हैं। कानपुर के आईआईटी में कैम्पस सेलेक्शन सबसे ज्यादा हो रहे हैं और यह उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात है। वर्तमान में देश में कुल 23 आईटीआई हैं। मेडिकल कालेजों के साथ प्रबंधन संस्थान विधि संस्थान भी पर्याप्त हैं। युवाओं को अपना करियर बनाने के लिए अपनी रुचि के अनुसार चयन करना चाहिए।
उबला केला स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
केला एक ऐसा फल है जो हर मौसम में उपलब्ध रहता है। कच्चे केले की सब्जी बनाकर खायी जाती है। इसके चीप्स बनाये जाते हैं जो बहुत स्वादिष्ट लगते हैं। कार्नफ्लेक्स में भी आपको केले के टुकड़े मिल जाएंगे जिन्हें दूध में भिगोकर खाने से बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। दरअसल केले में पोषक तत्व पाये जाते हैं। आयुर्वेद में भी केले को ऊर्जावर्द्धक और बलबर्द्धक बताया गया है।केला एक स्वादिष्ट फल है यह तो सभी जानते हैं लेकिन इसके औषधीय प्रयोग के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती है। आजकल कितने ही लोगों को यह शिकायत रहती है कि उन्हें रात में नींद नहीं आती। नींद न आने के कई कारण होते हैं लेकिन सबसे प्रमुख है तनाव। भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ न कुछ तनाव तो सभी को रहता है। इसलिए जिन लोगों को रात में नींद नहीं आती है वे रात में सोने से पहले केला उबालकर खाएं। कुछ ही दिनों में इसका असर दिखाई पड़ने लगेगा। शरीर का वजन बढ़ाने के लिए भी केले का उपयोग किया जा सकता है। छिलके समेत केले की चाय बनाकर पीने से भी नींद आने लगती है। केले में पाया जाने वाला कैल्शियम आपकी हड्डियों को मजबूत करता है और शरीर को ताकत भी देता है। आयुर्वेद में भी केले को हड्डियां मजबूत करने वाला फल कहा गया है। लगातार एक हफ्ते तक उबला केला खाने से रात को नींद अच्छी आएगी और सुबह आप अपने को तरोताजा महसूस करेंगे। उबले हुए केले के सेवन के लिए आप छोटे आकार के पके हुए केले के साथ ही एक छोटा टुकड़ा दालचीनी और एक कप पानी लें। इसके बाद पानी में दालचीनी डालकर उबाल आने दें। पूरा उबाल आने पर केले को छिलके के समेत काटकर उबलते हुए पानी में डाल दें। लगभग 10 मिनट तक धीमी आंच में पकाने के बाद इस पानी को चाय की तरह पियें। इससे आपको रात में नींद न आने की समस्या दूर हो जाएगी।
हृदय रोगी जरूर खाएं लहसुन
सर्दियां दिल के बीमार लोगांे के लिए काफी खतरनाक होती हैं। इसलिए हृदय रोगी लहसुन का प्रयोग जरूर करें। लहसुन कोलेस्ट्राल की समस्या के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह कोलेस्ट्राल के लेवल को समायोजित करता है। खाली पेट लहसुन के सेवन से ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है। इससे दिल संबंधी बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है। अगर किसी को उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या है तो खाली पेट लहसुन खाना बहुत फायदेमंद होता है। पेट संबंधी समस्याओं के लिए तो लहसुन रामबाण है। इसके सेवन से शरीर के अंदर मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। लहसुन के सेवन से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। (हिफी)