भीम आर्मी के प्रमुख चन्द्रशेखर आजाद पर एन एस ए की कार्यवाही राजनैतिक, विद्धेष्य पूर्ण एंव संवेधानिक व्यवस्था का र्दुउपयोग है………………एस.डी.पी.आई.
नई दिल्ली। स्वप्निल संसार। – भीम आर्मी के प्रमुख चन्द्रशेखर पर लगे रासुका को निरस्त करने व उनको तत्काल रिहा किये जाने की मांग को लेकर बुधवार को को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया द्वारा ग्याराह मूर्ति से यू.पी. भवन तक मार्च निकालकर ज़ोरदार विरोध प्रर्दशन किया गया तथा राज्यपाल उत्तर प्रदेश को सम्बोधित ज्ञापन भेजा गया जिसमें कहा गया है कि एस.डी.पी.आई. चन्द्रशेखर आजाद के विरूद्ध एन.एस.ए. के प्रावधान के तहत यू.पी. सरकार द्वारा कि गई शीघ्रता पूर्ण कार्यवाही की घोर भत्र्सना करती है। भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद, को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में गुण और दोष के आधार पर उनके विरूद्ध दायर सभी कैसों में जिस दिन जमानत प्रदान की उसी दिन उत्तर प्रदेश की सरकार ने चन्द्रशेखर आजाद पर एन एस ए की कार्यवाही करके उनको जेल से बाहर आने पर रोक लगा दी जो कि पूरे तौर पर राजनैतिक तथा विद्धेष्य पूर्ण कार्यवाही है तथा संवेधानिक व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुए व्यक्तिगत स्वंतत्रा तथा लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। एस.डी.पी.आई. मानवाधिकारों तथा नागरिक सुरक्षा के लिए हमेशा संघर्ष करती रही है इसलिए एस.डी.पी.आई. मांग करती है कि चन्द्रशेखर आजाद पर लगाए गये राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एन.एस.ए.) को निरस्त करते हुए उनको तुरन्त रिहा किया जाये।,
ज्ञापन में ये भी कहा गया है कि केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा दलित आंदोलन को दबाने के लिए पूरे देश में निराशाजनक प्रयास किये जा रहे हैं, अपने अधिकारों के प्रति जंनता में जागरूकता लाने के लिए संघर्ष कर रहे युवाओं के नेतृत्व वाले दलित आंदोलन को दबाने का प्रयास राजनीति में चिंता का विषय बन गया है।
भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्व में भीम आर्मी द्वारा दलितों के पुन्रोत्थान को रोकना संघ परिवार का एक दूषित नजरिया सामने आया है, एनएसए जो शासन व प्रशासन को किसी व्यक्ति को दबाने व प्रताडित करने के लिए सक्षम बनाता है हमारे समाज में एक अनैतिक कानून के रूप में देखा जाता है क्योंकि यह असहमति को विफल करने के लिए शासन व प्रशासन द्वारा हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता है तथा बडे पैमाने पर प्रशासन द्वारा इस का र्दुउपयोग किया जाता रहा है। उत्तर प्रदेश में लागू इस काले कानून के र्दुउपयोग की नागरिक समाज के कई हिस्सों से व्यापक आलोचनाऐं होती रही है, क्योकि इसका प्रभाव न्यायिक राहत को खत्म करना है। एस.डी.पी.आई. ने महामहिम राज्यपाल को ये भी जानकारी दी है कि इसी वर्ष अप्रैल में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद के शब्बीरपुर गांव के दलितों और ठाकुरों के बीच संघर्ष की एक श्रृंखला के बाद संबंधित मामले में हिंसा भडकाने और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने के आरोप में भीम आर्मी के संस्थापक चंन्द्रशेखर आजाद पर भिन्न संगीन धारों के तहत मुकदमा कायम करके जेल भेज दिया गया था। तथा उत्तर प्रदेश प्रशासन ने भीम सेना को आंतकीय के रूप में पेश किया था। इस तरह के आरोपों को उस समय करारा झटका लगा जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चन्द्रशेखर आजाद को जमानत देते हुए देखा कहा कि भीम सेना प्रमुख को झूठा फंसाया गया है, साथ ही ये भी कहा कि उनके खिलाफ आरोप राजनीति से प्रेरित है।
चन्द्रशेखर आजाद को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में गुण और दोष के आधार पर उनके विरूद्ध दायर सभी कैसों में जिस दिन जमानत प्रदान की उसी दिन उत्तर प्रदेश की सरकार ने चन्द्रशेखर आजाद पर एन एस ए की कार्यवाही करते हुए उनके रिहाई पर रोक लगा दी, जो उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की राजनैतिक षडयन्त्र है।
ज्ञापन के माध्यम से सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया ने राज्यपाल से अनुरोध किया है वह इस मामले में नम्रतापूर्वक विचार करके भीम आर्मी के प्रमुख चन्द्रशेखर आजाद पर लगाये गये राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम को निरस्त करके तत्काल उनको रिहा कराऐं।
विरोध प्रर्दशन मे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शरफुद्दीन अहमद, पॅापुलर फ्रन्ट आॅफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद अली जिन्ना, एस.डी.पी.आई के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद इलियास तुम्बे व मोहम्मद शफी, दिल्ली प्रदेश के संयोजक डाॅ. निज़ामुद्दीन खान, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मोहम्मद कामिल, दिल्ली प्रदेश कमेटी के सदस्य व कार्यक्रम संयोजक मनोज कुमार विद्रोही, जनसमाज पार्टी के संस्थापक प्रमुख अशोक भारती, भीम आर्मी डिफेन्स कमेटी के संयोजक संजीव, भीम आर्मी दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष डी.सी.कपिल सहित सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया के सैकडों कार्यकर्ताओ ने भाग लेकर अपना विरोध प्रकट किया ।