पहले राजमहली षडयंत्र होते थे, अब राजनीतिक घात-प्रतिघात होते हैं। इनके पीछे किसका हाथ है, यह आसानी से पता भी नहीं चलता। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के साथ भी ऐसा ही हुआ है। यह बात किसी से छिपी नहीं कि सीरिया में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन राष्ट्रपति असद की हर प्रकार की मदद कर रहे थे और इस बात से अमेरिका नाराज था लेकिन सीरिया में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के सफाये को लेकर दोनों देशों के सैनिक वहां लड़ रहे थे। ऐसे हालात में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की रूसी सैनिक बेइज्जती करें तो यह बात किसी के गले से नीचे नहीं उतरेगी लेकिन ऐसा हुआ है और अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में इस पर चर्चा भी हो रही है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन कूटनीति में माहिर हैं और आज भी वह अमेरिका समेत किसी देश को अपने समकक्ष नहीं मानते। उनकी मौजूदगी में दुनिया के दूसरे नेताओं का कद छोटा हो जाता है। इसी क्रम में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद भी आ गये। सीरिया में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस और विद्रोही गुटों के खिलाफ रूस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अमेरिका के मना करने के बाद भी पुतिन ने बशर अल असद की मदद जारी रखी। पुतिन और असद की युगलबंदी ने सीरिया में आईएसआईएस का लगभग सफाया भी कर दिया है। राष्ट्रपति असद कई मौकों पर रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को अपना दोस्त भी बता चुके हैं लेकिन जब श्री पुतिन जीत का जश्न मनाने के लिए सीरिया पहुंचे, तब रूसी सैनिक के व्यवहार से राष्ट्रपति असद आश्चर्यचकित रह गये। इसका एक वीडियो सबके सामने आ चुका है। जो पूरी कहानी अपने आप कह देता है।
वीडियो में दिखाया गया है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद बहुत उत्सुकता से राष्ट्रपति पुतिन का इंतजार कर रहे हैं। दोनों ने गले लगकर एक-दूसरे का धन्यवाद भी किया लेकिन थोड़ी देर बाद ही अचानक एक सैनिक ने सीरिया के राष्ट्रपति का हाथ पकड़कर उन्हंे रोकने की कोशिश की। यह सैनिक रसियन आर्मी का था, जिसने प्रोटोकाल के तहत राष्ट्रपति असद को अपने राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के साथ आगे नहीं जाने दिया। यह सब पूर्व नियोजित था अथवा किसी गलतफहमी के कारण हो गया, इस पर कोई नहीं बोल रहा है लेकिन पूरी दुनिया में इस बात पर चर्चा जरूर हो रही है कि पुतिन की मौजूदगी में उनके दोस्त सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का अपमान क्यों किया गया? यह सवाल भी उसी तरह का है जैसे हमारे देश में फिल्म बाहुबली को लेकर कहा गया था कि कट्टप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? राष्ट्रपति पुतिन क्या सचमुच अन्य नेताओं को अपने सामने बौना समझते हैं? सीरिया के राष्ट्रपति के लिए उन्होंने अमेरिका तक से पंगा ले लिया लेकिन उसी दोस्त के साथ रसियन सैनिको ंका व्यवहार कुछ समझ में नहीं आ रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि इसे श्री पुतिन की असामान्य घटना के रूप में नहीं देखना चाहिए। श्री पुतिन विदेशों में ही नहीं अपने देश में भी दबंग छवि बनाने के लिए इस तरह के वीडियो बनवाते रहते हैं। इस तरह के वीडियो अफसरों के साथ बनवाये गये हैं। समय पर काम पूरा न करने वाले भ्रष्ट और आलसी कर्मचारियों अधिकारियों को कैसे ठीक किया जाता है, इसका बाकायदा वीडियो श्री पुतिन ने बनवाया है ताकि दूसरे कर्मचारियों और अधिकारियों को सबक दिया जा सके। रूस में भी इस मामले में भारत की तरह स्थिति है। भ्रष्टाचार वहां भी एक बड़ी समस्या है। वहां भी योजनाओं का शिलान्यास हो जाता है, ठेके दे दिये जाते हैं लेकिन काम पूरा होने की तारीख बार-बार खिसकती रहती है। भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योजनाओं की इस सुस्ती पर काफी कड़ाई बरती है और उन्होंने सम्बद्ध अधिकारियों को तथा भाजपा शासित राज्यों से भी कहा है कि जिन योजनाओं का शिलान्यास किया जा रहा है, उनका उद्घाटन अर्थात लोकार्पण भी शीघ्र होना चाहिए।
इसी प्रकार रूस में भी भ्रष्टाचार चल रहा है और राष्ट्रपति पुतिन उससे अपने तरीके से निपट रहे हैं। श्री पुतिन ने देश के भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों की जमकर क्लास लगायी और उसका वीडियो विभिन्न विभागों को भेजा गया है। रूस में 2014 में सोची में विंटर ओलंपिक्स हुए थे। इन खेलों के एक प्रोजेक्ट को वर्ष 2011 में पूरा हो जाना था लेकिन जब यह प्रोजेक्ट मार्च 2013 तक पूरा नहीं हुआ तो एक दिन ब्लादिमिर पुतिन स्वयं इस प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने के लिए पहुंच गये। इसके बाद श्री पुतिन ने इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों की जमकर क्लास ली थी। पुतिन ने प्रोजेक्ट के बड़े अधिकारी के साथ जो किया, वह काफी दहशत फैलाने वाला था। वैश्विक भ्रष्टाचार के मामले में रूस 176 देशों में 131वें स्थान पर है। हालांकि हमारा भारत भी भ्रष्टाचार के मामले में 79वें स्थान पर है लेकिन यहां तेजी से सुधार भी हो रहा है। मोदी सरकार की नोटबंदी, जीएसटी और डिजिटल लेन-देन से आर्थिक भ्रष्टाचार पर काफी अंकुश लगा है लेकिन कार्यक्रमों के मामले में अभी बहुत कुछ करना बाकी है। रूस अपने देश की छवि भ्रष्टाचार के मामले में सुधारना चाहता है। इसलिए ब्लादिमिर पुतिन कभी-कभी तानाशाह जैसा व्यवहार करने लगते हैं सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद के साथ रूस के सैनिक का व्यवहार भी इसी परिपेक्ष्य मंे देखा जा रहा है।
रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन अभी पिछले हफ्ते ही अचानक सीरिया पहुंचे थे। वहां हेमिमीम एयरवेस पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। यहीं पर श्री पुतिन ने आईएसआईएस के खिलाफ जीत की घोषणा की। उन्होंने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की भी जमकर तारीफ की। श्री पुतिन ने सीरिया में अपनी जिम्मेदारी पूरी होने की भी एक तरह से घोषणा कर दी और आंशिक रूप से रूसी सैनिकों की घर वापसी का भी संकेत कर दिया। इस दौरान श्री पुतिन और बशर अल असद ने साथ-साथ रूसी और सीरिया के सैनिकों से मुलाकात भी की। उनके सहयोग, वीरता और साहस की तारीफ की। सैनिकों के साथ दोनों नेताओं ने फोटो खिंचवाई। इस प्रकार सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन तभी रूस के एक सैनिक ने राष्ट्रपति बशर अल असद का हाथ पकड़ लिया। एक पल के लिए राष्ट्रपति असद भी शर्मिन्दा हो गये लेकिन वह रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के एहसान से दबे हैं। यह एक सच्चाई है जिसे श्री असद झुठला नहीं सकते कि सबसे बड़ी मुसीबत की घड़ी में रूस ने सीरिया का साथ दिया है और भविष्य में भी सीरिया को एक बार फिर मजबूती से खड़ा करने में बशर अल असद को राष्ट्रपति पुतिन की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए पुतिन ने एहसान जताने का यह तरीका निकाला हो जो उनके स्वभाव का एक अंग है। (हिफी)