दुख दर्दों को दूर भगाए लाए नव उत्कर्ष? शाश्वत खुशियों का प्रतीक-हो 2018 का वर्ष श्रीमद् भागवत गीता में कहा गया है कि जब महाभारत युद्ध शुरू होने से पूर्व अर्जुन ने बंधु-बांधवों को देखकर अपना गाण्डीव रख दिया और भगवान कृष्ण से कहने लगे कि स्वजनों का वध करने में इस युद्ध को जीतना नहीं चाहता। भगवान कृष्ण ने समझाया और अपना विराट रूप भी दिखाया। भगवान कृष्ण ने कहा जिन्हें तुम मारने की बात कह रहे हो, वे तो पहले ही मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं। अर्जुन ने अपने सखा का यह रूप देखा तो उन्हंे लगा कि अज्ञानता में बड़ा अपराध कर चुके हैं। उन्हांेने कहा-सखेति मत्वा प्रसमं यदुक्तं हे कृष्ण हे यादव हे सखेति अज्ञानता महिमानं तवेदं मया प्रमादा त्प्रणयेन वापि यच्चा वहासार्थमसत्कृतेऽसि बिहार शय्यासन भोजनेषु एकोऽथवाप्यच्युत तत्समक्षं तत्क्षमाये त्वामहमप्रमेयम् हे भगवान मैं तो आपको समझ ही नहीं पाया। इसलिए अज्ञानता में, असावधानी से कभी आपको यादव, कभी सखा और कभी कृष्ण कहकर पुकार बैठा, इस सबके लिए मैं क्षमा चाहता हूं।
आज, जब आने वाले वर्ष 2018 का स्वागत कर रहा हूं तो बीते वर्ष 2017 को विदाई देते हुए अर्जुन का यह प्रसंग इसलिए याद आ रहा कि विभिन्न विषयों पर लिखते समय ज्यादातर राजनेताओं पर ही कलम चली है। उनके बारे में जाने-अनजाने यदि कुछ अप्रिय भी लिख दिया हो तो इसके लिए उनसे क्षमा चाहता हूं क्योंकि आने वाले वर्ष में भी उन पर मेरी कलम चलेगी। सबसे पहले हम उन्हीं से यह अपेक्षा भी करते हैं कि देश में राजनीति का माहौल अच्छा रखेंगे। हमने साल के शुरू में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों और साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों के समय नेताओं को जिस तरह छिछली भाषा में बोलते देखा है, उससे बहुत तकलीफ हुई थी। अब नये वर्ष में राजनीति का बहुत ही सुन्दर रूप देखने को मिलेगा, यही ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूं।
हमारे देश ने आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र मंे काफी तरक्की की है। बीते साल में केन्द्र सरकार के आर्थिक सुधारों की दिशा में बढ़ने के लिए गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स शुरू किया है। इससे पूर्व केन्द्र और राज्यों के कई प्रकार के टैक्स लगते थे। इनसे सरकार का खजाना जितना भरना चाहिए था, उतना नहीं भर पाता था। इसके पीछे टैक्स चोरी बतायी जा रही थी। अब टैक्स चोरी न हो सके, इसलिए एक टैक्स की व्यवस्था की गयी है लेकिन इसकी प्रक्रिया व्यापारियों को अभी पूरी तरह सरल बनाया जाएगा, यह उम्मीद की जानी चाहिए लेकिन देश की टैक्स व्यवस्था को समझना भी जरूरी है। इसे देश के विकास में खर्च किया जाता है। हम अमेरिका, ब्रिटेन का उदाहरण देते हैं लेकिन वहां की तरह ईमानदारी से टैक्स नहीं चुकाते। नये वर्ष से हम यह परम्परा डालें तो अच्छा होगा।
देश के विकास में नौकरशाही की बहुत बड़ी भूमिका रहती है। सरकार योजनाएं बनाती है और नौकरशाही उनको कार्यान्वित करती है। कितनी ही योजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पातीं और उनकी लागत बढ़ जाती है। इसलिए नौकरशाही को समय पर अपना काम निपटाने का नये वर्ष में संकल्प लेना होगा। दफ्तरों में अनावश्यक फाइलें न लटकी रहें और आम जनता को बिना किसी सिफारिश के काम करवाने में कोई बाधा न आये। हमारा इशारा नौकरशाही में भ्रष्टाचार की तरफ है। इसे दूर करने की बातें तो बहुत की जाती हैं लेकिन अब तक भ्रष्टाचार कम नहीं हो पाया है। भ्रष्टाचार पर राजनीति बहुत हो चुकी लेकिन आम जनता को इससे मुक्ति क्यों नहीं मिल पायी है। इस पर नये वर्ष में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए। सवा अरब के इस देश में ईमानदारों की कमी नहीं हैं इसलिए जो लोग अपने कार्य को ईमानदारी से नहीं कर रहे हैं, उन्हें निकाल बाहर करना चाहिए। केन्द्र की सरकार और कुछ राज्यों की सरकारों ने इस दिशा में बीते साल सराहनीय प्रयास किये हैं लेकिन अभी इस दिशा में काफी कुछ करने की जरूरत है। आम जनता को भी इसमें अपना योगदान करना होगा क्योंकि उनकी मदद से ही भ्रष्टाचार पनप रहा है। नये वर्ष में हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति मिले, ऐसा कुछ करना होगा।
नये वर्ष में हमारा देश शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, कृषि जैसे क्षेत्रों में विकास के नये कीर्तिमान बनाये। इन सभी क्षेत्रों में हमने काफी तरक्की की है और लगभग आत्मनिभरता प्राप्त कर ली है। विदेशों से लोग हमारे यहां इलाज कराने आते हैं, हमारे यहां शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। हमारे उद्यमी विदेशों में व्यापार कर रहे हैं। आईटी के क्षेत्र मंे तो हमने विशेष नाम कमाया है। इन सभी में हम और आगे बढ़ें, हमारे संस्थानों का सम्मान बढ़े, इसके लिए हमें व्यवस्था को अधुनातन बनाना होगा। कृषि के क्षेत्र में विशेष रूप से हमें इस प्रकार के सुधार करने हैं। हमारी प्राइमरी शिक्षा से उच्च शिक्षा तक जो कमियां पिछले वर्ष में देखी गयीं, उन्हें दूर करने में नये वर्ष में सफलता मिले।
देश में अलगाववाद और नक्सलवाद की समस्या भी हमें चिंता में डाल देती है। हमने इनसे निपटने के प्रयास किये हैं लेकिन पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पायी। कश्मीर में अलगाववादी जिस तरह भटक गये और बीते साल में उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों को बरगलाकर जिस तरह पत्थर चलवाये-अलगाववादियों ने पड़ोसी मुल्क से पैसे लेकर अशांति फैलायी। इन समस्याओं को दूर करने में नये वर्ष से अपेक्षा है। नक्सलवादी भी हमारे अपने ही लोग हैं जो भटक गये हैं। उनको सद्बुद्धि मिले वरना उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी पड़ेगी। इन लोगों की वजह से देश में निरपराध लोग तो मारे ही जा रहे हैं, साथ ही विकास भी अवरुद्ध होता है। अलगाववाद और नक्सलवाद को नियंत्रित करने में हमें सफलता मिलेगी, यह उम्मीद की जानी चाहिए।
हम नये वर्ष में अपने पड़ोसी देशों की समृद्धि की कामना भी करते हैं। पड़ोसी का संतुष्ट रहना बहुत जरूरी होता है। दुर्भाग्य से हमारे दो पड़ोसी देश बीते साल बहुत परेशान करते रहे। इन दोनों देशों- चीन और पाकिस्तान को नये वर्ष में सद्बुद्धि मिले तो अच्छा है। पाकिस्तान को बीते साल दो बार सर्जिकल स्ट्राइक करके हमने समझाने का प्रयास भी किया है। इस वर्ष ऐसा कोई कदम न उठाना पड़े। चीन को भी बार-बार 1962 की याद दिलाने की जरूरत नहीं है और 2018 तो काफी कुछ बदला नजर आएगा। कलवरी जैसी पनडुब्बियां बीते साल में हमने समुद्र में उतार रखी हैं।
इस प्रकार हम भारत की परम्परा को कायम रखते हुए आगे बढ़ रहे हैं। नया वर्ष भी हमारे उसी गौरव और सम्मान को बढ़ाए, यही कामना है। (हिफी)
