नरेन्द्र दामोदर राव मोदी की सरकार ने वर्ष 2017 में कई राजनीतिक उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में भी उनकी दो उपलब्धियों के लिए याद किया जाएगा। आर्थिक क्षेत्र में जहां गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू किया गया, वहीं सामाजिक क्षेत्र में मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक पर कानून को लोकसभा में सरकार ने पारित करा कर मुस्लिम महिलाओं को बड़ा तोहफा दिया है। इसके अलावा भी मोदी सरकार ने इस बीते साल में कई महत्वपूर्ण फैसले किये हैं। सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वालों कों जहां प्रशंसा मिलती है, वही आलोचनाएं भी होती रहती हैं। इसलिए मोदी सरकार को भी अपवाद नहीं कहा जा सकता लेकिन 2017 में मोदी सरकार के तीन तलाक के कानून को हमेशा याद रखा जाएगा। इस देश में राजा और नवाब तो बहुत हुए हैं लेकिन राजा विक्रमादित्य को जिस तरह से अपने नाम का सम्वत् बनाने के लिए याद किया जाता है, उसी तरह मुगल बादशाह शाहजहां को ताज महल बनवाने और नवाब आसफुद्दौला को इमामबाड़ा बनवाने के लिए याद किया जाता है। राजनीति में पंडित जवाहर लाल नेहरू को पंचशील के लिए याद किया जाता है तो सरदार पटेल को देश की रियासतों को एक सूत्र में बांधने के लिए लोग याद करते हैं। श्रीमती इन्दिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करवा दिये थे तो नरेन्द्र मोदी भी राजनीति में ऐसे शिलापट रखवा रहे हैं जिनको भुलाया नहीं जा सकेगा।
मुस्लिम महिलाओं की अपने समाज में स्थिति किसी से छिपी नहीं थी लेकिन राजनीतिक कारणों से इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया था। पुराने जमाने की मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी ने भी तीन तलाक का दंश झेला था। उनके पति कमाल अमरोही ने उन्हें गुस्से में आकर तलाक दे दिया लेकिन बाद में वह फिर से निकाह करने को तैयार हो गये। इसके लिए मीना कुमारी को कमाल अमरेाही के एक मित्र के साथ एक रात के लिए हमबिस्तर होना पड़ा था। मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक की मुसीबत अब भी उसी तरह हैं। कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के रामपुर से खबर मिली कि एक महिला देर से सोकर उठी तो उसके शौहर ने तलाक देकर घर से निकाल दिया। यह भी बताया गया कि इन दोनों ने प्रेम विवाह किया था। इस प्रकार मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्त कराना सामाजिक आवश्यकता थी। श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद हीं इस विषय पर सोचना शुरू कर दिया था। इस बार 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भी श्री मोदी ने मुस्लिम महिलाओं और बहनों की चिंता से खुद को जोड़ा था। इसके बाद सायराबानों नामक एक महिला तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी तो भाजपा ने उसके सामाजिक संघर्ष को अपना संघर्ष समझ लिया। इस दिशा में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब 22 अगस्त 2017 को देश की सबसे बड़ी अदालत ने तीन तलाक को भारतीय संविधान के खिलाफ बताया और केन्द्र सरकार से इस मामले में कानून बनाने के लिए कहा। यह मामला राजीव गांधी की सरकार के समय भी चर्चित हुआ था जब शाहबानों को गुजारा भत्ता देने के लिए अदालत ने फैसला किया लेकिन उस सरकार ने मुसलमानों को नाराज करके इतिहास बनाने की हिम्मत नहीं जुटाई। नरेन्द्र मोदी तो साहसिक फैसले करने के लिए ही जाने जाते हैं। नोटबंदी जैसा फैसला उन्होंने किया तो सुप्रीम कोर्ट का आधार मिलते ही तीन तलाक पर विधेयक बन गया। विधेयक में प्रावधान है कि किसी व्यक्ति द्वारा उसकी पत्नी के लिए एक साथ तीन तलाक, चाहे बोले गये हों, लिखित हों या इलेक्ट्रानिक रूप में हों उन्हें गैर कानूनी माना जाएगा। ऐसे व्यक्ति को तीन साल तक कारावास और जुर्माना हो सकता है। इसके साथ ही तीन तलाक पीड़ित पत्नी और बच्चों के जीवन यापन के लिए गुजारा भत्ता भी मिलेगा। पत्नी अवयस्क बच्चों की अभिरक्षा की भी हकदार होगी। यह विधेयक तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं को ताकत देगा जिससे वे अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ सकेंगी और अपना अधिकार प्राप्त कर सकेंगी।
मोदी की सरकार ने इसे मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 का नाम दिया है। लोकसभा में 28 दिसम्बर को इस पर कई घंटे बहस हुई, तब जाकर पारित हो सका। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भावनात्मक भाषण किया था। उन्होंने कहा कि अगर गरीब व पीड़ित मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में खड़ा होना अपराध है, तो यह अपराध हम दस बार करेंगे। हम इसे वोट के तराजू में नहीं तौल रहे है और सियासत के चश्में से नहीं, इंसानियत के चश्में से देखते है। मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड और कुछ राजनीतिक दल जहां इसका विरोध कर रहे हैं, वहीं मुस्लिम महिलाओं ने जमकर खुशी जतायी। मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि विधेयक पारित होने से उनका हौसला बढ़ा है और अब मुस्लिम समाज में प्रचलित बहुविवाह का इसी तरह विरोध किया जाएगा। ध्यान रहे कि मुसलमानों में चार शादियां करने की परम्परा है। मुस्लिम महिलाओं की यह खुशी ही नरेन्द्र मोदी की सरकार के लिए धन्यवाद ज्ञापन है। मोदी की सरकार पर इस मामले में वोट की राजनीति करने का आरोप भले ही लगाया जाए लेकिन सरकार ने ऐतिहासिक कार्य किया है, जबर्दस्त साहस दिखाया है और यह मुस्लिम समाज के हित में भी है।
इस प्रकार वर्ष 2017 में जहां श्री मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, हिमाचल और गुजरात में सरकार बनाकर राजनीतिक
उपलब्धियां अर्जित की गयी हैं, वहीं तीन तलाक जैसे विवादित मामले में कानून भी लोकसभा में पारित करा लिया गया। भाजपा ने देश के 29 राज्यों में से 19 में राजग की सरकार बनाकर 2017 में अपना नामरोशन किया तो अन्य कई महत्वपूर्ण फैसले भी इसी साल हुए हैं। इनमें एक फैसला अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को संवैधानिक दर्जा देना है। इससे पूर्व अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग को ही संवैधानिक दर्जा मिला हुआ था। इसीक्रम में मोदी की सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के भीतर कई ऐसी जातियों के लिए भी आरक्षण सुनिश्चित किया जिनको आरक्षण नहीं मिल रहा था। मोदी की सरकार ने इसी वर्ष आई आई एम को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनाया है। राज्य सभा में भारतीय
प्रबंधन संस्थान विधेयक पारित कराया गया है। इस विधेयक के पारित होने से देश में चल रहे सभी 20 आईआईएम को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा मिलेगा। कर्मचारियों के हित में इसी साल सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख से 20 लाख करने का विधेयक है। निजी क्षेत्र में अभी 10 लाख से ज्यादा ग्रेच्युटी नहीं दी जाती थी। मोदी की सरकार ने हाल ही में नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी (एनटीए) का गठन करने का फैसला किया है। यह एजेन्सी सभी प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करेगी। अभी यह कार्य सीबीएसई कर रही है। इन कार्यों के साथ ही मोदी सरकार ने 15वें वित्त आयोग का गठन करके जीएसटी के तहत मुनाफारोधी प्राधिकरण का भी गठन किया है।
मोदी सरकार के सभी कार्यों का उल्लेख करना यहां संभव नहीं है लेकिन जब 2017 वर्ष को भाव भीनी विदाई दे रहे हैं तब हमारी निगाहें मोदी सरकार के तीन तलाक पर बने विधेयक पर ही ठहर जाती हैं। (हिफी)