तंत्र विद्या के बारे में तरह-तरह की भ्रांतिया है। तंत्र विद्या एक ऐसी विद्या नहीं है जिससे डरा जाय। तंत्र जनकल्याण के लिए है लेकिन इसका लोगों को कष्ट पहुंचाने, उच्चारण, विद्वेषण व सम्मोहन कार्यो के लिए उपयोग हो रहा है। किसी व्यक्ति का मस्तिष्क असंतुलित हो गया, कोई अनहोनी घट गयी या विपत्ति आ गयी जो किसी परिवार का पीछा नहीं छोड़ रही। ऐसे में प्राय: लोग कह देते हैं कि किसी ने तंत्र मार दिया या जादू टोना कर दिया। भले ही इसका तंत्र टोटकों से कोई संबंध न हो।
तंत्र ऐसी घटिया या ओछी विद्या नहीं है जिसे तुच्छ व घृणित क्रियाओं से जोड़ दिया जाये। यह तो परम आध्यात्मिक, मनुष्य की आत्मा को उच्चता प्रदान करने वाली विभिन्न सांसारिक सुखों को देने वाली विद्या है। यदि इसका अच्छे उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाये तो समाज का कल्याण होगा लेकिन आजकल लोग तंत्र को ढकोसला कह देते हैं।
इसका कारण यह है कि लोग तंत्र को वैज्ञानिक रूप से नहीं समझ पाये। तंत्र का असर न होने पर लोग ऐसा कह देते हैं। मंत्रों का शाब्दिक महत्व है। मंत्र से तरगं का निर्माण होता है। ध्वनि तरंगे वायुमण्डल में संचरित हो कर अनुकूल चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण करती है। साधक मंत्रों व तंत्र के माध्यम से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सचेष्ट होता है। तांत्रिक व मन्त्रिक शक्तियां व्यक्ति के मार्ग में आने वाली बाधाओं का निवारण करती है। यही मंत्र व तंत्र शक्ति का प्रभाव हैं। तंत्र विभिन्न प्रकार के कोण , त्रिकोण, चतुष्कोण, षट्कोण, अष्टकोण, फलक और उन पर अंकित मंत्र व्यर्थ नहीं है। इन रेखाचित्रों का मानव जीवन पर गहन प्रभाव पड़ता है। यह ऐसे मानचित्र है जिन्हें धरातल पर लाकर साकार करना पड़ता है। इन रेखाचित्रों को संबंधित मंत्रों से उर्जित कर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। किसी भोजपत्र पर विशेष सामग्री व कलम से विशेष मुर्हूत में लिखे जाते हैं तो प्रभावकारी होते हैं।
इन यंत्रों को विशेष मंत्रों से उर्जित करना संभव होता है। यंत्रों से उत्सर्जित ऊर्जा या उष्मा का प्रभाव साधक पर पड़ता है। किसी रेखाचित्र का विशिष्ट अर्थ व प्रभाव है। यंत्र विभिन्न कार्यों को सिद्ध करने में सहायक हैं। जैसे मारण, उच्चारण, लक्ष्मी प्राप्ति, शत्रुनाश, अकाल मृत्यु से रक्षा या वशीकरण के कार्य। मारण में साधक शत्रु पर तीव्र मारक अदृश्य तरंगे छोड़ता है जिससे शत्रु मृत्यु को प्राप्त होता है। बगलामुखी यंत्र की साधना में शत्रु की जिह्वा का भेदन होता है। ऐसे प्रयोग भयानक होते हैं। यदि शत्रु प्रबल हो तो प्रयोग स्वयं के लिए घातक सिद्ध होता है। शुभ उद्देश्य के लिए किये गये तांत्रिक कर्म शुभ व मंगलमय वायुमण्डल व मार्ग प्रशस्त करते है। मनुष्य का कर्तव्य है कि वह मानव कल्याण के लिए तंत्र का प्रयोग करे। कोई मंत्र, यंत्र या तंत्र चमत्कार करेगा। ऐसी कल्पना करना मूर्खता है। सभी यंत्र धीरे-धीरे फल देते हैं।
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किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उस दिशा में कार्य किया जाना आवश्यक है। जैसे धन प्राप्ति के लिए व्यवसाय करना होगा। पालथी लगाकर केवल साधना करने से धन की प्राप्ति नहीं होगी। साधना उत्प्रेरक का काम करती है। किसी नौकरी के लिए आवेदन करना होगा। नेता बनने के लिए इच्छा रखने वालों को चुनाव लडऩा होगा। विद्या प्राप्ति के लिए विद्या का अध्ययन करना होगा। कोई मंत्र या तंत्र इन कार्यों को सम्पन्न कराने के लिए साधन मात्र है। मंत्र व यंत्र को वांछित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन, तन व वातावरण के अनुकूल बनाना है। तंत्र का अर्थ है पद्धति या व्यवसाय यानि कि व्यक्ति को यंत्र की तरह करना होगा। ऐसी तन्मयता से कार्य करना होगा कि मनोवांछित फल की प्राप्ति हो। कई गुणित शक्तियां या ऊर्जा को प्राप्त कर व्यक्ति आकाश की ऊँचाइयों तक पहुंच जाता है। हमें तंत्र विद्या को चमत्कार न मान कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझना होगा।
तंत्र को हमें सकारात्मक रूप से लेना होगा। तंत्र या मंत्रों का वैज्ञानिक महत्व है जो विचार व ध्वनि तरंगों के मिश्रण से कार्य सफल बनाते हैं। तंत्र उर्जित होकर मनोवांछित लक्ष्य प्रदान करे। इसके लिए कर्म को उचित दिशा में ले जाना होगा और इस वि़द्या का सदुपयोग करना होगा।
किसी तंत्र या कर्म में सफल होने के लिए निरन्तर परिश्रम, धैर्य व दृढ़ इच्छा आवश्यक है। इसे सिर्फ चमत्कार न मान कर कर्म योग से संयुक्त कर बढऩा होगा। कार्य सिद्धि से तंत्र सिद्ध होगा। यही तंत्र का व्यावहारिक अर्थ है। किसी तंत्र में अंकित रेखाचित्र का आशय इस तरह से समझें जैसे कि किसी भवन के मानचित्र के आधार पर अपनी इच्छा व आवश्यकता का भवन बनाते हैं। जिस उद्देश्य के लिए आप मंत्र साधना कर रहे हैं या तंत्र धारण कर रहे हैं, उस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कर्म की सही या गलत दिशा का निर्धारण आपका काम है। (हिफी)