भाजपा की गिरती शाख को बचाने के लिए एजेंसियों ने फिर खेला आतंक का कार्ड – रिहाई मंच
आरिज़ के पहले से ही सुरक्षा-खुफिया एजेंसियों की गिरफ्त में होने की थी आशंका
मुकदमें के दौरान होने वाली गिरफ्तारियों से पुलिस को मिलता है अपनी कहानी को दुरूस्त करने का मौका
लखनऊ। रिहाई मंच ने दिल्ली स्पेशन सेल द्वारा 13 फरवरी को इंडियन मुजाहिदीन के कथित आतंकी आरिज़ खान की गिरफ्तारी को संदिग्ध बताते हुए उसके पहले से ही सुरक्षा-खुफिया एजेंसियों की गिरफ्त में होने की आशंका जताई है।
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम ने कहा कि विगत में खुफिया एजेंसियों के सूत्र आरिज़ खान के दुबई, पाकिस्तान और सीरिया में होने की बातें करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस के बयान के मुताबिक आईएम का एक अन्य कथित आतंकी अब्दुस्सुबहान, जिसे गत 24 जनवरी को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया, के सम्पर्क में था और दोनों नेपाल में रहते थे। ऐसे में सुबहान की गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद उसके आरिज के भारत आने की कहानी संदेह उत्पन्न करती है। उन्होंने कहा कि आज़मगढ़ के लापता युवकों केपरिजन लगातार यह आशंका व्यक्त करते रहे हैं कि लापता युवक सुरक्ष-खुफिया एजेंसियों की गिरफ्त में हो सकते हैं और वह उन्हें अपनी सुविधा और ज़रूरत के हिसाब से गिरफ्तार होने या किसी इनकाउंटर में मारे जाने की बात कही जा सकती है। जिस तरह से थोड़े थोड़े समय के बाद आज़मगढ़ के फरार युवकों सलमान, शहज़ाद, असदुल्लाह अख्तर और अबआरिज़ खान को गिरफ्तार बताया गया उससे उनकी उस आशंका को बल मिलता है। इससे पहले 24 सितंबर 2008 को मुम्बई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के निर्देशानुसार अबू राशिद के परिजनों ने उसे संजरपुर से मुम्बई के लिए रवाना कर दिया था और उसके तुरंत बाद गांव मौजूद न्यूज़ चैनल ‘आज तक’ को भी इसकी सूचना दे दी थी लेकिन आज तक उसका पता नहीं चला और एजेंसियां उसे कभी पाकिस्तान में तो कभी सीरिया में आईएसआर्इएस के साथ होने की बात कहती हैं।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि 2008 में होने वाले दिल्ली, अहमदाबाद और जयपुर के धमाकों के बाद बटला हाउस इनकाउंटर मामले में पुलिस की थ्योरी पर कई सवाल उठे थे जिनके जवाब अब तक नहीं मिल पाए हैं। उस हाई प्रोफाइल मामले में एजेंसियां अपने केस को बहुत पुख्ता करना चाहती हैं ताकि आरोपियों को अदालत से सज़ादिलाना सुनिश्चित किया जा सके और अदालती फैसले के बाद कोई सवाल बाकी न रहे। उन्होंने कहा कि इस तरह की गिरफ्तारियों से जहां एक तरफ पहले से चल रही मुकदमों कीप्रक्रिया बाधित कर आरोपियों के अभिभावकों की दिक्कतें बढ़ाई जा सकती हैं वहीं इस तरह की गिरफ्तारियों के बाद नए तथ्यों के सामने आने के नाम पर जांच एजेंसियों कोसप्लीमेंटरी चार्जशीट दाखिल कर पहले से चल रहे मुकदमों में बाकी बच गई खामियों को ठीक करने का भी अवसर मिलता है।
राजीव यादव ने कहा कि दिल्ली स्पेशल सेल के डीसीपी कुशवाहा का यह दावा विश्वसनीय नहीं लगता कि आरिज़ नई भर्तियां करने के लिए भारत आया था। इससे पहले दिल्लीस्पेशल सेल ने अब्दुस्सुबहान कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद यह दावा किया था कि उसे पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया था और वह गणतंत्र दिवस के अवसर पर हमला करना चाहताथा। जाहिर सी बात है कि वह अकेला और केवल एक पिस्टल से इस काम को अंजाम नहीं दे सकता था लेकिन उसके बाद स्पेशल सेल ऐसी कोई बरामदगी या गिरफ्तारी नहीं की जिससे उसका दावा खारिज होता है। वहीं अब्दुस्सुबहान कुरैशी के गिरफ्तारी स्थल पर पत्रकारों को किसी प्रकार की फायरिंग के सबूत नहीं मिले और स्थानीय दुकानदारों औरनिवासियों ने ऐसी किसी घटना से अनिभिज्ञता जाहिर की। इसी तरह एक समझौते के तहत पाकिस्तान से भारत आत्मसमर्पण करने आए लियाकत अली शाह को दिल्ली स्पेशलसेल ने गिरफ्तार करने और दिल्ली में एक होटल से हथियार बरामद करने का दावा किया था जो बाद में झूठा साबित हुआ।