लखनऊ । 13 फरवरी, 2018 को एडवा एवं SFI के संयुक्त तत्वाधान में “ मेरी पसंद , मेरा अधिकार “ विषय पर एडवा प्रदेश अध्यक्ष मधु गर्ग की अध्यक्षता में गोष्ठी का आयोजन हुआ । गोष्ठी का सञ्चालन करते हुए एडवा जिला सचिव सीमा राणा ने कहा कि आज हमे इस विषय पर चर्चा करने की ज़रूरत है पड़ी है क्योंकि आज जो अधिकार संघर्षो के बाद लड़ कर हांसिल किये गए थे उन पर भी हमला हो रहा है , और औरतो की विशेष कर नयी पीढ़ी की नवयुवतियो के खिलाफ तमाम फरमान जारी हो रहे है जिसका लखनऊ एडवा सख्त विरोध करती है।
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गोष्ठी की मुख्या वक्ता सरबानी चक्रवर्ती जो जेएनयू में GSCASH कमेटी की सदस्य भी है , ने अपनी बात रखते हुए कहा कि महिलाओं के हकों पर बने तमाम अधिकार कानून प्रगतिशील महिला आन्दोलन की देन है पर आज जो कुछ भी प्राप्त हुआ है उसे भी छिनने की कोशिशे हो रही है । न्यायपालिका भी प्रतिगामी विचारधारा से प्रभावित हो रही है जैसे दिल्ली के फारुखी मामले में में कोर्ट ने उन्हें यह कह कर बरी किया कि पीड़िता की “न“ में दम नहीं है तो वो “हाँ” ही दी होगी | एक सकारात्मक पक्ष यह है कि पिछड़ी सामंती मानसिकता की सोच रखने वाली ताकते जितनी हमलावार हो रही है उतना ही प्रतिरोध भी बढ़ रहा है जैसे BHU की लड़कियों ने सड़क पर उतर कर अपना विरोध दर्ज किया । उत्तर प्रदेश सरकार पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा का दावा करने वाली सरकार के कार्यकाल में लगातार लड़कियों पर हिंसा होने के मामले काफी बढ़ गए है । छेड़छाड़ की शिकार लड़कियां इन्साफ न मिलने की स्थिति में आत्महत्या तक कर रही है || सरबनी चक्रवर्ती ने कहा कि केवल कानून से ही न्याय नहीं मिलेगा बल्कि उसके लिए एक पिछड़ी मानसिकता के खिलाफ एक मुकम्मल लडाई लड़नी होगी । SFI के लखनऊ जिला अध्यक्ष अनुपम यादव ने लविवि में प्राक्टर द्वारा जारी किये गए सर्कुलर का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह एक तुगलकी फरमान है जिसमे आदेश दिया गया है कि लड़के लडकियां वेलेन्टाइन डे पर परिसर ना आये और चेतावनी दी है यदि वे आये तो परिणाम भुगतना पड़ेगा | एक लोकतान्त्रिक देश में व्यस्को के संवैधानिक अधिकारों को कुचला जा रहा है जो अति निंदनीय है | प्रदेश अध्यक्ष मधु गर्ग अपने वक्तव्य में खाप पंचायतो द्वारा सुप्रीम कोर्ट की सरकार के बाद पंचायतो द्वारा जारी किये गए फरमानों कि वे न बेटी पैदा होने देंगे और न ही पढने देंगे की सख्त निंदा की । उन्होंने आगे कहा कि पित्रसत्तात्मक समाज में जन्म से ही लड़कियों के पसंद के अधिकार को कुचला जाता है और आज ऐसी ही सोच के लोग सत्ता पर काबिज है जो लड़कियों और महिलाओं को बर्बर मध्ययुगीन समाज वापस ले जान चाहते है | एडवा इन ताकतों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए संकल्पबद्ध है । उक्त गोष्ठी में बड़ी संख्या में डिग्री कालेज की छात्राओं ने हिस्सेदारी की ।
प्रतीकतामक फोटो