#जनविचार मंच की गोष्ठी ।
लखनऊ। स्वप्निल संसार। भारत में दक्षिण पंथी विचार के राजनैतिक और दार्शनिक फैलाब में नेहरू के विचार चट्टान है , और वो कितनी भी कोशिश करें नेहरू के बैज्ञानिक सोच और धर्मनिरपेक्ष विचारों से पार नही कर सकते। अगर दक्षिणपंथ की इन कोशिशों का प्रगतिशील ताकतों को मुकाबला करना है तो 1947 से पहले के नेहरू के आधुनिकता के विचारों को आगे बढ़ाना होगा, 1947 के बाद के नेहरू के आधुनिकीकरण से नही । अधिनिकता का संबंध मूल्यों से है जो संघर्ष और आंदोलन से निर्मित होता है जबकि आधुनिकरण केवल तकनीकी विकास तक सीमित है ।
यह बात जन विचार मंच द्वारा वर्तमान राजनैतिक संदर्भ और नेहरू विषय पर कैफ़ी आज़मी सभागार में आयोजित संगोष्ठी में गुजरात सेंटल यूनिवर्सिटी के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ धनंजय कुमार राय ने कहीं ।
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गोष्टी को संबोधित करते हुए लखनऊ यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने कि कहा कि नेहरू ने हमेशा दिमाग की बात की है, आने वाला भारत समतावादी हो उसके लिए छात्रों , किसानों सब वंचितों की एकता ज़रूरी थी । नेहरू ने हमेशा फांसीवाद के खिलाफ खुलकर बात रखी ।
गोष्टी की अध्यक्षता गिरी इंस्टीटूट के निदेशक प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार ने तथा संचालन प्रोफेसर नदीम हसनैन ने किया ।
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