ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन
कर्मचारियों और ऊर्जा क्षेत्र के लिए बेहद निराशाजनक बजट
कर्मचारियों और ऊर्जा क्षेत्र के लिए बेहद निराशाजनक बजट
बिजली इन्जीनियरों ने केन्द्र सरकार के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वर्ष 2018 का बजट कर्मचारियों और ऊर्जा क्षेत्र के लिए बेहद निराशाजनक बजट है | ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे , उप्रराविप अभियंता संघ के अध्यक्ष जी के मिश्र और महासचिव राजीव सिंह ने आज यहाँ कहा कि आयकर में एक पैसे की भी छूट न देना अत्यन्त निराशाजनक है | उन्होंने कहा कि वित्त मन्त्री के बजट भाषण के अनुसार नौकरी पेशा कर्मचारियों से औसत 76000 रु प्रति कर्मचारी टैक्स मिल रहा है जबकि उद्योग सेक्टर से लगभग 26000 रु प्रति टैक्स मिलता है फिर भी नौकरी पेशा कामगारों को इनकम टैक्स में कोई छूट न देना और 250 करोड़ रु तक के टर्न ओवर वाले उद्योगों को कारपोरेट टैक्स में 25 % की कमी करना केन्द्र सरकार की कारपोरेट परस्त और कर्मचारी विरोधी नीति का परिचायक है |
बिजली अभियन्ता पदाधिकारियों ने आगे कहा कि आम बजट ऊर्जा क्षेत्र के लिए भी बेहद निराशाजनक है | बजट में 04.30 करोड़ रु के घाटे और 05 लाख करोड़ रु के कर्ज में डूबी बिजली वितरण कंपनियों के लिए न कोई राहत दी गयी है और न ही कोई उल्लेख किया गया है | देश के 05 करोड़ घरों तक बिजली पहुंचाने की महत्वाकांक्षी सौभाग्य योजना में पूर्व स्वीकृत 16000 करोड़ रु का ही आम बजट में उल्लेख किया गया है जो राज्यों के कमजोर बिजली नेटवर्क और सुदूर ग्रामीण इलाकों में बिजली कनेक्शन देने के लिए अपर्याप्त हो सकता है |
पर्यावरण के नए मापदण्डों के अनुसार 25 साल से अधिक पुराने ताप बिजली घरों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन( एफ जी डी एस ) प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया है अन्यथा इन बिजली घरों को बंद करना पड़ेगा | देश में लगभग दो लाख मेगावाट क्षमता के पुराने बिजली घरों को पर्यावरण के इन माप डंडों का पालन करना होगा जिस पर प्रति मेगावाट एक करोड़ रु से अधिक का खर्च आएगा | इन बिजली घरों को बंद होने से बचाने के लिए एफ जी डी एस प्लांट लगाने हेतु बजट में कोई भी प्राविधान नहीं किया गया है जिससे इनके बंद होने का खतरा बढ़ गया है | उप्र के सबसे सस्ती बिजली देने वाले आनपारा ए और बी बिजली घर भी इन मापदडों को पूरा न कर पाए तो बंद करने पड़ेंगे |
अगले दो वर्षों में एक लाख 75 हजार मेगावाट की नई उत्पादन क्षमता सोलर , विन्ड और अन्य गैर परंपरागत क्षेत्रों में जोड़ी जानी है | गैर परंपरागत क्षेत्र में इतनी बड़ी क्षमता का पूरा सदुपयोग हो सके इस हेतु चार्जिंग इन्फ्रा स्ट्रक्चर और स्टोरेज इन्फ्रा स्ट्रक्चर की जरूरत होगी जिस पर प्रति यूनिट 05 से 07 रु तक खर्च आएगा जिसका बजट में कोई प्रावधान न होना निराशाजनक है |
शैलेन्द्र दुबे चेयरमैन
बिजली अभियन्ता पदाधिकारियों ने आगे कहा कि आम बजट ऊर्जा क्षेत्र के लिए भी बेहद निराशाजनक है | बजट में 04.30 करोड़ रु के घाटे और 05 लाख करोड़ रु के कर्ज में डूबी बिजली वितरण कंपनियों के लिए न कोई राहत दी गयी है और न ही कोई उल्लेख किया गया है | देश के 05 करोड़ घरों तक बिजली पहुंचाने की महत्वाकांक्षी सौभाग्य योजना में पूर्व स्वीकृत 16000 करोड़ रु का ही आम बजट में उल्लेख किया गया है जो राज्यों के कमजोर बिजली नेटवर्क और सुदूर ग्रामीण इलाकों में बिजली कनेक्शन देने के लिए अपर्याप्त हो सकता है |
पर्यावरण के नए मापदण्डों के अनुसार 25 साल से अधिक पुराने ताप बिजली घरों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन( एफ जी डी एस ) प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया है अन्यथा इन बिजली घरों को बंद करना पड़ेगा | देश में लगभग दो लाख मेगावाट क्षमता के पुराने बिजली घरों को पर्यावरण के इन माप डंडों का पालन करना होगा जिस पर प्रति मेगावाट एक करोड़ रु से अधिक का खर्च आएगा | इन बिजली घरों को बंद होने से बचाने के लिए एफ जी डी एस प्लांट लगाने हेतु बजट में कोई भी प्राविधान नहीं किया गया है जिससे इनके बंद होने का खतरा बढ़ गया है | उप्र के सबसे सस्ती बिजली देने वाले आनपारा ए और बी बिजली घर भी इन मापदडों को पूरा न कर पाए तो बंद करने पड़ेंगे |
अगले दो वर्षों में एक लाख 75 हजार मेगावाट की नई उत्पादन क्षमता सोलर , विन्ड और अन्य गैर परंपरागत क्षेत्रों में जोड़ी जानी है | गैर परंपरागत क्षेत्र में इतनी बड़ी क्षमता का पूरा सदुपयोग हो सके इस हेतु चार्जिंग इन्फ्रा स्ट्रक्चर और स्टोरेज इन्फ्रा स्ट्रक्चर की जरूरत होगी जिस पर प्रति यूनिट 05 से 07 रु तक खर्च आएगा जिसका बजट में कोई प्रावधान न होना निराशाजनक है |
शैलेन्द्र दुबे चेयरमैन
वर्ष 2018-19 के बजट में ऊर्जा क्षेत्र को सबसे बड़ी निराशा।
ऊर्जा क्षेत्र के अनेकों मदों में बजट में की गयी कटौती से यह बात तय आने वाले समय में ऊर्जा क्षेत्र में निजी करण को मिलेगा बढ़ावा।
सौभाग्या योजना में 4 करोड़ गरीब परिवारों को फ्री कनेक्शन देने की कई महीनों पूर्व की गयी घोषणा को बजट में शामिल करना हास्यापद।
पूरे देश में 5 लाख करोड़ से ऊपर के घाटे में बिजली कम्पनियों को ऊपर उठाने के लिये बजट में कोई प्राविधान नहीं।
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा वर्ष 2018-19 के लिये आज जो बजट लोकसभा में पेश किया गया, वह पूरी तरह निराशाजनक है। खासतौर पर ऊर्जा क्षेत्र के लिये अब तक सबसे ज्यादा निराशाजनक बजट केन्द्र सरकार द्वारा पेश किया गया है। जिस प्रकार से बजट में 4 करोड़ गरीब परिवारों को फ्री कनेक्शन देने के लिये सौभाग्या योजना में 16 हजार करोड़ की बात कही गयी है, यह योजना कई महीने पहले ही देश मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा घोषित की जा चुकी है। ऊर्जा क्षेत्र के लिये दीन दयाल ग्राम ज्योति योजना के मद में कुल 18800 करोड़ का प्रावधान किया गया है और प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना के तहत लगभग 2750 करोड़ की बात कही गयी है। कुल मिलाकर ऊर्जा क्षेत्र के लिये 21550 करोड़ बजट में व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगा। जहां सोलर पावर को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की जा रही थी, वहीं सौर विद्युत ग्रिड इंटरैक्टिव नवीनीकरण विद्युत के लिये जहां वर्ष 2017-18 के लिये बजट का अनुमान 2661 करोड़ था, उसे घटाकर वर्ष 2018-19 में 2045 करोड़ कर दिया गया। विन्ड पावर के लिये जो 2017-18 में लगभग 750 करोड़ संशोधित था वही वर्ष 2018-19 में भी 750 करोड़ ही है। सेालर पावर आफ ग्रिड विकेन्द्रीकृत संवितरित के लिये वर्ष 2017-18 में जो संशोधित बजट रू0 985 करोड़ अनुमानित था वह 2018-19 में केवल 849 करोड़ है। सहज बिजली हर घर योजना जो पहले 1550 करोड़ थी वह अब 2018-19 में केवल 2750 करोड़ है। एकीकृत विद्युत विकास योजना जो पहले वर्ष 2017-18 में बजट के अनुमान में 5821 करोड़ था उसे घटाकर वर्ष 2018-19 में रू0 4935 करोड़ कर दिया गया। विद्युत क्षेत्र विकास निधि व विद्युत प्रणाली सुदृढ़ीकरण के लिये वर्ष 2017-18 में जो रू0 1517 करोड़ अनुमानित था, उसे वर्ष 2018-19 में घटाकर रू0 1311 करोड़ कर दिया गया। जो यह सिद्ध करता है कि आने वाले समय में देश के ऊर्जा क्षेत्र में निजी घरानों का बड़ा बोल बाला होगा।
उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जिस प्रकार ऊर्जा के बजट में अनेकों मदों में कटौती की गयी है, उससे यह सिद्ध होता है कि आने वाले समय में पूरे देश में ऊर्जा क्षेत्र में निजी घरानों का वर्चस्व कायम होगा। पूरे देश में जिस प्रकार से राज्यों की बिजली कम्पनियां लगभग 5 लाख करोड़ से ऊपर के घाटे में डूबी हैं, उनके लिये कोई भी राहत पैकेज घोषित नहीं किया गया और न ही सार्वजनिक क्षेत्र में उत्पादन गृह लगाने की दिशा में कोई प्रावधान किया गया। बड़े पैमाने पर सभी राज्यों में पुरानी विद्युत उत्पादन इकाईयां हैं, उनका भी नवीनीकरण करने के लिये बजट में कोई भी प्रावधान न किया जाना यह दर्शाता है कि ऊर्जा क्षेत्र का बजट पिछले 10 वर्षों के बजट का सबसे निराशाजनक बजट है।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में किसानों/ग्रामीणों को राहत देने के लिये कोई भी प्राविधान न किया जाना यह सिद्ध करता है कि हर घर को बिजली देने की योजना के क्रम में गरीब विद्युत उपभोक्ता यह आस लगाये था कि उसे सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिये बजट में कुछ नई व्यवस्था होगी, लेकिन उसे पूरी तरह निराशा हाथ लगी। सब मिलाकर कहना उचित होगा कि ऊर्जा क्षेत्र का बजट अब तक का सबसे निराशाजनक बजट है।