पुण्य तिथि पर विशेष- राजेंद्र नाथ हास्य कलाकार थे। उन्होंने पंजाबी, भोजपुरी और दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में भी काम किया था। राजेंद्र नाथ ने 1961 में बनी फ़िल्म ‘जब प्यार किसी से होता है’ में पोपट लाल का किरदार निभाया था। वह किरदार इतना हिट हुआ कि लोग उन्हें राजेंद्र नाथ की जगह पोपट लाल के नाम से भी याद करने लगे थे। उन्होंने 175 से अधिक फ़िल्मों में काम किया।
राजेंद्र नाथ का जन्म (08 जून 1931) टीकमगढ़ में हुआ था। राजेंद्र नाथ का परिवार पेशावर का रहने वाला था। आजादी से पहले उनके पिता रीवा स्टेट में पुलिस आधिकारी होकर आए और आई.जी के रूप में रिटायर हुए। राजेंद्र नाथ के सात भाई और चार बहने थीं। पिता के रिटायर होने के बाद उनका परिवार जबलपुर आ गया। पृथ्वीराज कपूर से उनके परिवार के बेहद घनिष्ट संबंध थे। यहां तक की राजकपूर से राजेंद्र नाथ की बहन कृष्णा की शादी भी हुई। 1969 में उन्होंने गुलशन कृपलानी से शादी कर ली। उनके दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी है।
राजेंद्र नाथ के बड़े भाई प्रेमनाथ को जब पृथ्वी थियेटर में काम मिल गया। तब उन्होंने राजेंद्र नाथ को अपने पास बुला लिया। राजेंद्र भी पृथ्वी थियेटर से जुड़ गए, लेकिन वो अपने भविष्य को लेकर गंभीर नहीं थे क्योंकि रहने खाने का इंतजाम उनके भाई प्रेमनाथ के करते थे। एक दिन प्रेमनाथ ने उन्हें सख़्त चेतावनी दी कि वे अपने कॅरियर को लेकर गंभीर हो जाएं और अपने खर्चे खुद उठाएं। प्रेमनाथ के इस रवैये ने राजेंद्र नाथ को अचानक गंभीर बना दिया और उन्होंने फ़िल्मों में काम खोजने के लिये भाग दौड़ शुरू की।
राजेंद्र नाथ ने सबसे अधिक प्रभावशाली रोल अपने गहरे दोस्त शम्मी कपूर के साथ किये। ‘जानवर’, ‘जवां मोहबब्त’, ‘तुम हसीं मैं जवां’, जैसी कई फ़िल्में राजेंद्र नाथ के कॅरियर में मील का पत्थर साबित हुईं। शम्मी से उनकी दोस्ती पृथ्वी थियेटर में काम करने के दौर में हुई और आखिर तक कायम रही। इसके अलावा उन्होंने फ़िल्म ‘दिल देके देखो’, ‘फिर वहीं दिल लाया हूँ’, ‘जब प्यार किसी से होता है’, ‘शरारत’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘मुझे जीने दो’, ‘जीवन-मृत्यु’, ‘बेखुदी’, ‘जमाने को दिखाना है’, ‘प्रेम रोग’ आदि।राजेंद्र नाथ के पोपट लाल के चरित्र को जब खूब लोकप्रियता मिली तो उन्होंने ‘द पोपटलाल शो’ नामक एक कार्यक्रम बनाया और विदेशों में इस कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। ‘पोपट लाल’ शो में राजेंद्र नाथ खास अंदाज़ में स्टेज पर चुटकुले सुनाते और मिमिक्री करते। उनके शो यूरोप और अमेरिका में धूम मचाने लगे।
फ़िल्म इंडस्ट्री में राजेंद्र नाथ का सिक्का जम गया। फ़िल्मों में राजेंद्र नाथ की व्यस्तता बढ़ती गयी। लेकिन तभी कार दुर्घटना में वो बुरी तरह ज़ख्मी हो गए। लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहने की वजह से उन्हें फ़िल्मों में काम मिलना कम हो गया। फिर भी उन्होंने पंजाबी, भोजपुरी और दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में भी काम किया। महमूद, जॉनी वॉकर दिग्गज हास्य अभिनेताओं के दौर में राजेंद्र नाथ ने अपनी मेहनत से अलग स्थान बना ली। 1974 में उन्हें फ़िल्म बनाने की सूझी। रणधीर कपूर और नीतू सिंह को लेकर उन्होंने फ़िल्म ‘ग्रेट क्रैशर’ शुरू की, लेकिन जल्द ही राजेंद्र नाथ भारी कर्ज़ें में डूब गए। ऐसे समय में उनके बड़े भाई प्रेमनाथ ने उनका साथ दिया। निर्माता बनने के सपने ने राजेंद्र नाथ को बुरी तरह तोड़ दिया।
कुछ दिनों बाद राजेंद्र नाथ ने फ़िल्मों में अभिनय की दूसरी पारी शुरू की। राजकपूर की फ़िल्म ‘प्रेम रोग’ और ‘बीवी ओ बीवी’ में अहम भूमिकाएं निभाईं। इस दौरान उनके छोटे भाई खलनायक नरेंद्र नाथ की मौत हो गयी। इसके बद उन्होंने फ़िल्मों में काम करना लगभग बंद कर दिया। लेकिन पोपट लाल शो की लोकप्रियता कम नहीं हुई थी। उन पर ये शो करने का दबाव बना ही रहता था, इसलिये वो दुनिया भर में घूम-घूम कर पोपट लाल शो करते थे। नब्बे के दशक में काजोल की पहली फ़िल्म ‘बेख़ुदी’ और नीलम अभिनीत ‘सौदा’ राजेंद्र नाथ की अंतिम फ़िल्में थीं। अभिनय की अंतिम पारी उन्होंने ‘हम पांच’ धारावाहिक में पूरी की। उनका 13 फ़रवरी, 2008 को मुंबई में निधन हो गया।