दिलों में बसने वाले गजल गायक जगजीत सिंह का आज जन्मदिन है. उनके गजलें रुहानी अहसास कराती हैं. जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान के श्री गंगा नगर में हुआ था। उनका बचपन का नाम जगमोहन सिंह था। जगजीत सिंह चार भाई और दो बहनों के परिवार में पले बढ़े। उनके परिवार की आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी। जगजीत सिंह के पिता अमर सिंह धीवन और माँ बच्चन कौर चाहते थे कि वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाये लेकिन जगजीत सिंह बचपन से ही संगीत की ओर रुचि रखा करते थे. उन्होंने संगीत की शिक्षा उस्ताद जमाल खान और पंडित छगनलाल शर्मा से हासिल की थी.
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जगजीत सिंह फ़िल्मी दुनिया में पार्श्वगायनवर्ष का अरमान लिये 1965 में मुबंई आ गये. तब पेट पालने के लिए कॉलेज और ऊंचे लोगों की पार्टियों में अपनी पेशकश दिया करते थे। करियर के शुरुआत में जगजीत विज्ञापन फिल्मों में जिंगल गाया करते थे. इसी दौरान उनकी मुलाकात चित्रा से हुई और दोनों ने शादी(1969) कर ली. उसके बाद दोनों ने एक साथ कई एलबम में गाने गाए, उनकी जादूई आवाज लोगों के दिलों में उतर आई. जगजीत ने कई फिल्मों के लिए भी गाने गाए.उनकी पहली एलबम ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ (1976) बेहद हिट रही.जगजीत ने इस एलबम की कामयाबी के बाद मुंबई में पहला फ़्लैट ख़रीदा था।यकीनन जगजीत सिंह गजल गायिकी की परंपरा में एक ऐसा नाम है और ऐसी आवाज है जिसने न केवल गजल को बदल दिया, उसके संगीत को बदल दिया, बल्कि उसकी साज और संगीत दोनों को बदल दिया. बदलाव की ये बयार गजल के क्षेत्र में ऐसी थी कि 70 से 80 के दशक में जगजीत सिंह की आवाज गजल का पर्याय बन गई.उनकी गजलों ने न सिर्फ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इजाफा किया बल्कि ग़ालिब, मीर, मजाज, जोश और फिराक जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया. ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’, ‘झुकी झुकी सी नजर’, ‘होठों से छू लो तुम’, ‘चिठ्ठी न कोई संदेश’, ‘ये दौलत भी ले लो’, ‘कोई फरियाद’ जैसी कई गजलें आज भी लोगों के बीच उन्हें जिंदा रखे हैं. उन्होंने 150 से ज्यादा एलबम भी बनाईं थी.फिल्मी और गैर फिल्मी गजल-गीत गाने वाले जगजीत सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के गीतों के दो एलबम नई दिशा और सम्वेदन को आवाज दी थी। जगजीत जी ने क्लासिकी शायरी के अलावा साधारण शब्दों में ढली आम-आदमी की जिंदगी को भी सुर दिए। ‘अब मैं राशन की दुकानों पर नज़र आता हूं’, ‘मैं रोया परदेस में’, ‘मां सुनाओ मुझे वो कहानी’ जैसी रचनाओं ने ग़ज़ल न सुनने वालों को भी अपनी ओर खींचा। फोटो आज तक से