पुण्य तिथि पर विशेष – शफी इनामदार का नाम सामने आते ही ऐसे प्रतिभाशाली कलाकार का नाम सामने आता है जो रंगमंच की दुनिया से आया बेजोड़ अदाकार था. चरित्र अभिनेताओं की कतार में उनका नाम हमेशा आदरपूर्वक लिया जाता है. टीवी फिल्में और नाटकों की बात करे तो शफी इनामदार का नाम सफल नाटकों के मंचन में सबसे पहले लिया जाएगा। वैसे उनकी प्रतिभा पानी की तरह थीं जिसमें में उपयोग करे वैसी बन जाती थीं. कोई भी पात्र विशष हो शफी को भूमिका सौंप देने का मतलब चादर पहनकर सो जाना था। कुछ कलाकार ऐसे होते है जिनकी उपस्थिति का ऐसा दर्शकों के विशाल वर्ग से नहीं बल्कि उनके किए काम से होता है। ऐसे कलाकारों की तुलना महानगर में बने हाई-वे से की जा सकती है जिसमें चलने पर खुषी तो मिलती पर हाई-वे जुडने वाली पगडंडी पर चलने की संतुष्टि का अपना एक अलग मजा है।शफी इनामदार अभिनय की सशक्त पगडंडी थे।
बॉम्बे (अब मुंबई) में पले बढ़े शफी इनामदार कॉलेज के दिनों से ही नाटकों से जुड़ गए थे. हिन्दी, गुजराती और मराठी तीनों रंगमंच पर की तूती बोला करती थीं। उनके योगदान को रंगमंचीय परिप्रेक्ष्य में भुलाना नामुमुकन है। कालेज की पढ़ाई के बाद शफी इनामदार, कादर खान और प्रवीण जोशी के साथ जुड़ गए। उन्होंने नीला कमरा, अदा, अपन तो भाई ऐसे नाटकों में खूब नाम कमाया। शफी इनामदार बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे अभिनेता होने के साथ साथ नाट्यकार, निर्देशक, निर्माता, कॉमेडियन और चरित्र अभिनेता थे. सफल होने के बाद शफी ने अपना नाट्य ग्रुप हम बनाया और फिर उन्होंने तमाम हिन्दी नाटकों का निर्माण, निर्देशन न और अभिनय भी किया. उनका सबसे ज्यादा मशहूर र नाटक है बॉ रिटायर थई छे (मां रिटायर हो रही हेै) इस नाटक के हिन्दी गुजराती और मराठी में 500 से ज्यादा शो हुए है। उनके अन्य पापुलर नाटकों में डाक्टर तमे पन, शबाना द सैकंड और टोखर का नाम शामिल है शफी इनामदार को सेल्युलायड के परदे पर लाने का श्रेय गोविन्द निहलानी को तो छोटे परदे पर लाने कार्य मंजुला सिन्हा को जाता है. गोविंद निहलानी ने शफी इनामदार को विजेता में काम दिया. टीवी की बात करें तो शफी का हास्य धारावाहिक ये जो है जिदंगी भला कौंन भूल सकता है? इसमें रंजीत बने शफी इनामदार और रेणु बनीं स्वरुप संपत की जोड़ी ने नया इतिहास बनाया था. इस समय दूरदर्शन घुटनों के बल चल रहा था इस धारावाहिक की लोकप्रियता ने टीवी का नाम घर घर में लोकप्रिय कर दिया. सोप आपेरा शब्द की शुरुआत इसी धारावाहिक से हुई थीं। एक भुल्लकड़ पति के रुप में शफी इनामदार ने बेमिसाल अभिनय किया था। 52 एपीसोड के बाद शफी ने जब इस धारावाहिक को छोड़ा तो फिर वह क्रेज नहीं रह पाया था इस धारावाहिक का. शफी इनामदार ने आल द बेस्ट तेरी भी चुप मेरी भी चुप फिलिप्स टाप-10,खट्टा-मीठा आदि धारावाहिको में काम किया था जहां तक फिल्मों की बात है तो शफी ने हर प्रकार की भूमिका निभाई. अर्धसत्य, आज की आवाज, मृत्युदाता, घायल, हिप हिप हुर्रे, यषवंत आदि फिल्में एक लाईन में याद आती हैं। शफी ने अपने निर्देषन में हम दोनों फिल्म का निर्माण भी किया था। इसमें नाना पाटेकर और रिशी कपूर की जोड़ी थीं. शफी इनामदार का दर्षक वर्ग भले बहुत बड़ा न रहा हो, पर यह सच है कि मनोरंजन के कई क्षेत्रों में सक्रिय शफी एक मिसाल तो कायल कर ही गए हैं अभिनेता बनने से पहले वे बहुत बढिया इंसान थे. उनके साथ काम कर चुके कलाकार मानते है कि शफी इनामदार प्रेरक व्यक्तित्व के धनी थे. वे हमेशा बेहतर करने के लिए तैयार रहते थे। उन्होंने कभी भी अपनी भूमिका को लोकर नखरे बाजी नहीं की. वे सीधे सादे इंसान थे। यही उनकी खूबी थीं। शफी इनामदार ने अभिनेत्री भक्ति बर्वे से शादी की थी । शफी इनामदार की मृत्यु 13 मार्च 1996 को हुई थी । उनकी पत्नी 12 फरवरी 2001 को सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था।एजेन्सी
