ग्लोबल वार्मिग और उसके प्रभाव’’ समारोह का आयोजन- लखनऊ । विश्व पृथ्वी दिवस-2018 होने के कारण संस्था सूर्या विकास समिति, लखनऊ द्वारा आयोजित एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के मुख्य बिन्दु “गो ग्रीन, गो क्लीन” के अन्तर्गत “ग्लोबल वार्मिंग और उसके प्रभाव ” विषयक कार्यक्रम का समारोह का आयोजन गुरूकुल कानवेंट स्कूल, हरदोई रोड पर किया गया।
कार्यक्रम का के मुख्य अतिथि डा0 सईद कुरैशी ने हमें उद्योगों गैसों के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी तथा हमारी पृथ्वी पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को बताया तथा इनसे बचने के उपायों को भी बताया। डा0 आर0डी0 शुक्ला वरिष्ठ समाजसेवी ने पृथ्वी को बचाने हेतु वनो को बचाना नितान्त आवश्यक है यदि हम आज वनों की हिफाजत नहीं कर पाये तो सम्पूर्ण विश्व में मात्र दो मौसम ही रह जायेंगे गर्मी और अधिक वर्षा ज्यादा गर्मी के कारण कोई वृक्ष उगेगा हीं तो पृथ्वी मरू भूमि बन जायेगी और जहां अधिक वर्षा होगी वहां पर कुछ उगेगा तो हमारे उपयोग का नहीं, यदि हमारे शहरी क्षेत्रों में अधिक वर्षा हुई तो जीवन बचाना संभव न रहेगा इसलिए वन हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण अंग हैं इनको बचाना है।
नूर आलम, प्रधानाचार्य गुरूकुल कान्वेंट स्कूल ने अपने भाषण में कहा कि पृथ्वी का लगातार तापमान बदल रहा है जिससे अधिक गर्मी होने लगी है जिस कारण हमारे ग्लेशियर लगातार पिघल रहे है, गैसो के कारण पहाड़ों पर कम बरफबारी हो रही है जिस कारण ग्लेशियर लगातार सुकड़ रहे है जिसका मुख्य कारण यह है कि बेतरतीब जीवन, बिना सुरक्षा मानकों के उद्योग धन्धे लगाना। यदि अभी हम लोग सचेत नहीं हुए तो हमारी अगली पीढ़ी के सामने घोर संकट छा जायेगा और फिर हम लोगों का इस पृथ्वी पर रहना बहुत ही दुष्कर हो जायेगा इस मैं तो कहता हूं कि हमें पर्यावरण को बचाने के लिए लगातार इस प्रकार के सार्थक प्रयास करते रहना चाहिए।
संस्था अध्यक्ष श्री अरशद ने अपने सम्बोधन में कहा कि पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व बचाने के लिए हमें सबसे पहले पृथ्वी को बचाना होगा और पृथ्वी बचाने के लिए हमें अवैध खदान, अवैध कटान, अवैध उद्योग धन्धे इत्यादि तत्काल प्रभाव से बन्द कराने होंगे इसके लिए सरकार को कुछ सख्त कानून बनाने हांेगे और जो कानून बने हुए है उन पर सख्ती से पालन कराना होगा तभी हमारा और आप सबका भविष्य उज्जवल होगा। साथ ही श्री अरशद ने कहा कि हमें वन एवं वन्य जीवों को भी बचाना होगा, वनों से हमें भोजन, आक्सीजन, आश्रय, मनोरंजन अध्यात्मिक जीविका के साथ साथ वन 5000 से अधिक व्यावसायिक उत्पादों जैसे लकड़ी, कपड़ों, दवाईयों आदि के स्रोत हैं। अतः हमें वन की सुरक्षा का सम्पूर्ण बंदोबस्त करना चाहिए।इस अवसर पर नूर आलम, मो0 समी, बशारत अजीम, मो0 आलम, सुरेश वर्मा, राकेश प्रधान, नरेश प्रधान, राजन सोनी, इमरान, रजनी, रंजना, प्रेमा, श्यामलाल, इत्यादि मौजूद रहे।
