हिफी स्थापना दिवस (24 अप्रैल) पर विशेष-पत्रकारिता अर्थात् मीडिया समाज के मार्गदर्शक की भूमिका निभाती है। मार्गदर्शक ही गलत रास्ते पर चल पड़ेगा तो समाज को गर्त में जाने से कौन बचा सकता है। आज के समाचार पत्र-पत्रिकाओं और दूरदर्शन के चैनलों को देखें तो मारपीट, लूट-डकैती, दुराचार हत्या आदि के समाचारों की भरमार रहती है और फिर उन्हीं को फालोअप किया जाता है जबकि अभी हाल में हमारे देश के खिलाड़ियों ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किये, अंतरिक्ष में उपग्रह का प्रक्षेपण हुआ और चीन से भी ज्यादा दूरी तक मार करने वाली मिसाइल का हमने सफल परीक्षण किया। इन खबरों को सिर्फ एक दिन ही मीडिया में जगह मिल पायी जबकि लोगों तक जानकारी पहुंचनी चाहिए कि हमारे प्रतिभावान खिलाड़ी किस तरह से मेहनत करते हैं और कैसे अभ्यास करके उन्होंने अपने प्रतिद्वन्द्वियों को पराजित किया अथवा हमारे वैज्ञानिक किस तरह से लगन और मेहनत से उपग्रह को बनाते हैं, उसका प्रक्षेपण करते हैं और मिसाइल की तकनीक क्या होती है उसे तैयार करने वालों ने कहां शिक्षा पायी, कितनी मेहनत की, इन सभी की प्रेरणादायी कहानी भी मीडिया का विषय बननी चाहिए। इसे ही रचनात्मक पत्रकारिता कहते हैं। रचनात्मक पत्रकारिता करने वाले कई स्वनामधन्य पत्रकार हुए हैं। इन्हीं में एक नाम है अरविन्द मोहन स्वामी का, जिन्होंने छोटे और मझोले समाचार पत्र-पत्रिकाओं के लिए समाचार फीचर सेवा की स्थापना की थी।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में महान स्वाधीनता सेनानी मोहन स्वामी के सुपुत्र अरविन्द मोहन स्वामी ने 24 अप्रैल 1990 को हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा लि0 (हिफी) शुरू की जिसने हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा जो वर्तमान में आज भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है। छोटे और मझोले समाचार पत्रों के लिए रेडी-टू-प्रिंट तैयार किया जिससे आर्थिक संकट से जूझ रहे इन अखबारों को संजीवनी मिल सकी। 24 अप्रैल, 2018 को हिफी स्थापना के 29वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हैं। श्री अरविन्द मोहन स्वामी की हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा को उनकी सुपुत्री मनीषा स्वामी कपूर ने बुलंदियों तक पहंुचाया है और ई-मेल सेवा के जरिये इसके फीचर एवं समाचार देश के कई राज्यों में लगभग 2400 समाचार पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित करती हैं। इस संस्थान का जाॅब वर्क भी सफलतापूर्वक चल रहा है और विज्ञापन मिश्रित आलेख के क्षेत्र में तो हिफी अग्रिम पंक्ति में खड़ी है।
आज के कम्प्यूटर युग में समाचार पत्र-पत्रिकाओं में एक ही व्यक्ति सारे काम कर लेता है लेकिन उस समय ऐसा संभव नहीं था। अरविन्द की रुचि सभी कामों में थी और बहुत शीघ्र वह कम्पोजिंग से लेकर एडिटिंग तक पारंगत हो गये थें मोहन स्वामी ने अपने बेटे अरविन्द मोहन की रुचि देखकर ‘गाजियाबाद समाचार’ की बागडोर धीरे-धीरे उन्हें सौंप दी। इस प्रकार गाजियाबाद में बीए और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त करते हुए वह अनुभवी पत्रकार भी बन गये। अरविन्द मोहन स्वामी को बहुत बड़े क्षेत्र में कार्य करना था इसलिए वह थोड़ी-बहुत पंूजी लेकर गाजियाबाद से प्रदेश की राजधानी लखनऊ आ गये। यहीं से उन्होंने पत्रकारिता शुरू की। इस बीच आगरा में ईदगाह कालोनी निवासी रजनीकांत कटारा की बेटी मीरा से उनका विवाह हुआ। श्रीमती मीरा से उनको अपने कर्तव्य पालन में भरपूर सहयोग मिला। कई बार तो श्रीमती मीरा के सुझाव अरविन्द मोहन के बहुत काम आए। 1949 के दिसम्बर महीने में शिवशंकर आप्टे ने मुंबई में हिन्दुस्थान समाचार प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी से पहली भारतीय हिन्दी समाचार एजेंसी शुरू की थी। जून 1957 में हिन्दुस्थान समाचार प्राइवेट लिमिटेड का विलय कर हिन्दुस्थान समाचार सहकारी समिति लिमिटेड के नाम से एक सहकारी संस्थान बना। श्रीमती इन्दिरा गांधी ने 1975 में जब देश में आपातकाल लागू किया तो समाचार पत्रों पर भी नकेल कस दी गयी और सभी समाचार एजेंसियों को मिलाकर ‘समाचार’ नाम से हिन्दी समाचार एजेंसी बनायी गयी। इस ‘समाचार’ एजेंसी में हिन्दुस्थान समाचार सहकारी समिति लि. भी समाहित हो गयी। श्रीमती इन्दिरा गांधी की सत्ता पलटने के बाद 1978 में इस संस्था का पुनः गठन हुआ। अरविन्द मोहन स्वामी के पत्रकारिता अनुभव को देखते हुए 3 जुलाई 1987 को उन्हें हिन्दुस्थान समाचार सहकारी समिति लि. का प्रबंध निदेशक बनाया गया जून 1988 में इंडोनेशिया में सम्पन्न समाचार एजेंसियांे के सम्मेलन में श्री अरविन्द मोहन स्वामी ने विचार रखा कि समाचारों के साथ समाचार विश्लेषण और विभिन्न विषयों पर फीचर को प्रमुखता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को समाचार विश्लेषण और फीचर के रेडी-टू-प्रिंट मिल जाएं तो उनका आर्थिक बोझ कम हो सकता है। उनके इस विचार को जब तवज्जों नहीं मिला तो श्री अरविन्द मोहन स्वामी ने 24 अप्रैल, 1990 को हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा प्राइवेट लिमिटेड की नींव डाली और छोटे, मझोले अखबारों, पत्रिकाओं को रेडी-टू-प्रिंट उपलब्ध कराने लगे। देखते ही देखते इस सेवा को देश भर के सैकड़ों अखबारों ने अपनाया और धीरे-धीरे यह संख्या हजारों में पहुंच गयी। हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा में सम्पादक के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार रामपाल सिंह, घनश्याम जोशी और यश भारती से सम्मानित मधुकर त्रिवेदी जैसे स्वनामधन्य पत्रकारों ने सम्पादन का दायित्व निर्वहन किया। पत्रकारिता जगत का नाम रोशन करने वाले लेखकों ने अपने विद्वतापूर्ण लेख लिखे।
14 मई 2000 को एक बड़ा झटका लगा जब मात्र 52 वर्ष की अवस्था में अरविन्द मोहन स्वामी हृदयगति रुकने से ब्रह्मलीन हो गये। एक समय तो लगा कि जैसे सब कुछ बिखर जाएगा लेकिन अरविन्द मोहन स्वामी की बड़ी बेटी मनीषा स्वामी ने अपने अनुज युधिष्ठिर स्वामी, माता मीरा स्वामी, मामा केशवकांत कटारा को लेकर हिफी की गाड़ी को गतिमान रखा। इसके बाद मनीषा स्वामी ने प्रगतिशील विचारों वाले युवक ऋषि कपूर से विवाह किया। उधर भाई युधिष्ठिर स्वामी को मोहिता जैसी कर्मठ और विदुषी अद्र्धांगिनी मिली। इस प्रकार हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा लि. का कार्य क्षेत्र विस्तृत होता चला गया। एक तरफ समाचार विश्लेषण, देश के प्रमुख समाचार और विभिन्न विषयों पर सारगर्भित लेख प्रकाशित होते थे तो दूसरी तरफ अपना प्रिंटिंग प्रेस जाॅब वर्क कर रहा था। हिफी की विश्वसनीयता को देखते हुए हिन्दुस्तान यूनी लीवर, महिन्द्रा जैसी नामी गिरामी कंपनियों ने विज्ञापन मिश्रित आलेख के लिए हिफी को दायित्व सौंपा। हिफी के आलेख देश के कई राज्यों में लगभग 2400 समाचार पत्र-पत्रिकाओं में दैनिक रूप से प्रकाशित होते हैं। ये सामयिक एवं ज्ञानवर्द्धक लेख ईमेल द्वारा भी उपलब्ध हैं। इनमें दैनिक विषयों का आकलन होता है जो प्रतियोगी परीक्षाओं में भी काम आ सकता है तथा अद्यतन जानकारी देता है। इस प्रकार अरविन्द मोहन स्वामी ने हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा के जिस रचनात्मक आंदोलन की कल्पना की थी उसे मनीषा स्वामी कपूर और हिफी के कर्मठ कर्मचारियों ने एक मजबूत और प्रेरणादायी आधार दे दिया है। हिफी में प्रकाशित समाचार विश्लेषण, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, खेल जगत, फिल्म जगत, कृषि बागवानी, सौंदर्य-स्वास्थ्य पर छोटे लेकिन गंभीर लेख बड़े चाव से पढ़े जाते हैं और छोटे व मंझोले समाचार पत्र व पत्रिकाओं को बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध हो जाते हैं। इन समाचार पत्रों-पत्रिकाओं के लिए लेखकों का पारिश्रमिक उनकी आर्थिक सीमा से बाहर हो जाता है, इसलिए
हिफी उनके लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है।
अरविन्द मोहन स्वामी आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन हिफी हमेशा उनके पद चिन्हों पर चलते हुए उनका स्मरण कराती रहती है। स्व. अरविन्द मोहन स्वामी ने नैतिकता को हमेशा बढ़ावा दिया और स्तरहीन समाचारों से परहेज किया। भारत की सर्व धर्म संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने और देश में एकता, समरसता और बंधुत्व की भावना का विकास करने के लिए रचनात्मक लेखों का जो क्रम उन्होंने चलाया था उसमें निरंतर प्रगति हो रही है। प्रधान सम्पादक मनीषा स्वामी कपूर अपने पिता के सपने को पूरा
करने के लिए प्राणप्रण से प्रयास कर रही हैं। (हिफी)
