भाजपा को झटका- अदालत की कई बार फटकार सुन चुकीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी को इस बार सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। मामला पंचायत चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की ज्यादती को रोकने से जुड़ा था। इसलिए भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले मंे हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।
पश्चिम बंगाल में अगले महीने पंचायत के चुनाव होने हैं। इन चुनावों के लिए 1 मई, तीन मई और 5 मई की तारीखें तय की गयी हैं। पंचायत चुनावों के लिए नामांकन भरने का काम हो रहा है। नामांकन भरने के दौरान कई जगह हिंसक झड़पें होने की खबर आयी। भाजपा का आरोप है कि नामांकन के दौरान उसके प्रत्याशियों की पिटाई की जाती है और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। इसी बात को उठाकर पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। भाजपा ने कहा कि ब्लाक विकास अधिकारी (वीडीओ) उनके उम्मीदवारों को नामांकन से रोक रहे हैं और भाजपा प्रत्याशियों को राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। भाजपा ने अपनी याचिका में केन्द्रीय सुरक्षा बल की तैनाती कर नामांकन प्रक्रिया को दुरुस्त करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश भाजपा इकाई की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह चुनाव आयोग के पास जाने को स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष निराश दिखाई पड़े। उन्होंने हालांकि कहा है कि हम यहीं पर नहीं रुकेंगे। श्री घोष ने कहा कि हमारे कार्यकर्ता इस लड़ाई को लड़ेंगे और जहां भी हम मजबूत होंगे, वहां पर तृणमूल कांग्रेस को करारा जवाब देंगे। श्री दिलीप घोष ने सबसे गंभीर आरोप पुलिस पर लगाया है। वह कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस के नेता पुलिस के सामने हमारे कार्यकर्ताओं पर हमला करते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। इस प्रकार हमारा भरोसा पश्चिम बंगाल पुलिस पर नहीं रह गया है। श्री घोष ने बताया कि 2013 के चुनाव के समय राज्य चुनाव अयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर केन्द्रीय पुलिस बल की मांग की थी, इसलिए पंचायत चुनाव के समय भाजपा ने इस तरह की मांग करके कोई अनुचित कार्य नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं और मामले को आगे ले जाएंगे। (हिफी)